रांची में छात्र आंदोलन पर पुलिस का एक्शन, JSSC बिल्डिंग को घेरने पहुंचे छात्र; धारा 144 लागू

झारखंड में सीजीएल परीक्षा को लेकर राज्यभर से आए छात्र रांची के झारखंड स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (JSSC) बिल्डिंग का घेराव करने पहुंचे. प्रशासन ने कार्यालय जाने वाले सभी रास्तों की चेकिंग की और लोगों ने समर्थन भी किया. संदिग्ध व्यक्तियों से पूछताछ की गई और उनके आईडी कार्ड चेक किए गए. जेएसएससी कार्यालय के आसपास का इलाका हाई सिक्योरिटी जोन में बदल दिया गया है.;

( Image Source:  Social Media- X- @MahimaJourno )

झारखंड में सितंबर में आयोजित एक भर्ती परीक्षा में हुई गलती को लेकर राज्यभर से आए छात्र रांची के झारखंड स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (JSSC) बिल्डिंग का घेराव करने पहुंच गए. बड़ी संख्या में छात्रों के जुटने से हालात बिगड़ गए. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए कड़ी सुरक्षा लगाई और हल्का लाठीचार्ज भी किया. लाठीचार्ज से आक्रोशित छात्र सड़क पर ही बैठ गए और प्रदर्शन जारी रखा. जेएलकेएम नेता देवेंद्र महतो के नेतृत्व में आंदोलन कर रहे छात्रों ने अपनी मांगों के लिए आवाज उठाई. पुलिस की ओर से डीएसपी अमर पांडेय ने नामकुम के सदाबहार चौक पर प्रदर्शनकारियों को रोका और हालात को कंट्रोल करने की कोशिश की.

जानकारी के अनुसार, नामकुम बाजार मैदान में प्रदर्शन कर रहे छात्रों को पुलिस ने खदेड़ दिया. इस दौरान छात्रों पर हल्का लाठीचार्ज भी किया गया. जेएसएससी कार्यालय के आसपास सुरक्षा बढ़ाते हुए आधे किलोमीटर के दायरे में धारा 144 लागू कर दी गई है.

वाहनों की हुई जांच,लोगों ने किया सहयोग

प्रशासन ने कार्यालय जाने वाले सभी रास्तों पर जांच अभियान चलाया. संदिग्ध व्यक्तियों से पूछताछ की गई और उनके पहचान पत्र चेक किए गए. जेएसएससी कार्यालय के आसपास का इलाका हाई सिक्योरिटी जोन में बदल दिया गया है. स्थानीय लोगों को बार-बार आईडी दिखानी पड़ रही है और पूछताछ का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि, अधिकतर स्थानीय लोग इसे प्रशासन का सही कदम मानते हुए सहयोग कर रहे हैं.

प्रशासन के दिशा-निर्देश: आंदोलन शांतिपूर्ण रखने की अपील

प्रशासन ने प्रदर्शन के दौरान किसी भी हिंसा को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं. हर गतिविधि की रिकॉर्डिंग के लिए वीडियोग्राफी और ड्रोनोग्राफी की जा रही है, छात्रों को चेतावनी दी गई है कि हिंसक गतिविधियों में शामिल होने पर उनका भविष्य खराब हो सकता है और हिंसा करने से एकेडमिक रिकॉर्ड पर दाग लग सकता है, जिससे सरकारी और निजी नौकरी के अवसर प्रभावित होंगे.

प्रशासन ने छात्रों से शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगें रखने की अपील की है. साथ ही आदेश का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है.

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