'टूरिज्म मिनिस्टर या टूरिस्ट इन कंफ्यूजन?' झारखंड के मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू की ‘ज्योग्राफिकल भूल’ पर देश ने पकड़ा सिर!

52 जिलों का नक्शा अगर मंत्री जी से पूछो तो शायद वो कहें Google करो, मैं तो बस भावना में बह गया. सोनू जी का ये भूगोल ज्ञान बता रहा है कि उनका सारा ध्यान टूरिज्म से ज़्यादा ट्रेंडिंग पर है. उन्हें बस बोलना है. दिमाग नहीं लगाना है.;

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Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 25 April 2025 1:14 PM IST

झारखंड के टूरिज्म मिनिस्टर सुदिव्य कुमार सोनू का बयान सुनकर लगता है, जैसे उन्होंने टूरिज्म का चार्ज गलती से ले लिया हो और भूगोल की क्लास बंक मार दी हो. जनाब ने ऐसा 'बोल-बम' फोड़ा कि देशभर में हंसी का पात्र बन गए हैं.

अब जरा गौर कीजिए. एक गंभीर आतंकी हमले के बाद जब पूरा देश शोक में डूबा है, मंत्री साहब को जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश का फर्क समझ नहीं आया. पहलगाम कहां है, ये पूछो तो शायद Google Maps भी जवाब देने से मना कर दे! मगर सोनू बाबू ने बिना किसी रिसर्च या जानकारी के सीधे हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को कठघरे में खड़ा कर दिया. अब बताइए, यह सियासी समझ है या जियोग्राफी का जीरो नंबर?

हम टूरिज्म मिनिस्टर हैं, मगर टूरिज्म आता नहीं

अगर कोई क्लासिक उदाहरण चाहिए कि कैसे कोई इंसान अपने पद की गरिमा को खुद ही धूल में मिला सकता है, तो सुदिव्य कुमार सोनू टॉपर होंगे. जनता चाहती है कि टूरिज्म मिनिस्टर राज्य की खूबसूरती को प्रमोट करें, टूरिज्म प्लान बनाएं और पर्यटकों को आकर्षित करें, लेकिन हमारे मंत्रीजी तो नक्शा ही उल्टा पकड़ बैठे.

नक्शा नहीं पढ़ा, बस नाम सुना और तीर चला दिया!

पहलगाम का नाम सुनते ही शायद मंत्री जी को पहाड़ और बर्फ याद आ गया होगा और उन्होंने फटाक से मान लिया कि ये जगह हिमाचल में ही है. सोचिए, अगर टूरिज्म के जिम्मेदार लोग ही देश के पर्यटन स्थलों की सही लोकेशन नहीं जानते, तो टूरिस्ट कहां भटकेंगे, इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है. 

सियासत में सेंस जरूरी है, सस्पेंस नहीं

ऐसे गैर-जिम्मेदाराना बयानों से न सिर्फ मंत्री की किरकिरी होती है, बल्कि पूरे राज्य की छवि पर भी असर पड़ता है. मंत्री जी को चाहिए कि बयान देने से पहले गूगल पर एक बार जगह का नाम जरूर सर्च कर लें. वरना अगली बार वे शायद गोवा को गुजरात में डाल दें या मसूरी को मिज़ोरम भेज दें!

आखिर में सोनू जी, जनता सब समझती है. आपसे उम्मीद थी कि पर्यटन को ऊंचाई देंगे, लेकिन आपने तो ज्योग्राफी की ऊंचाई ही गिरा दी. अगली बार बोलने से पहले थोड़ा पढ़ लीजिए. वरना आपकी टूरिज्म की कुर्सी भी जल्द ही 'वन वे ट्रिप' पर जा सकती है.

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