क्या है SRBSDV वायरस, जिससे हरियाणा की धान की फसले हुईं खराब, कृषि विभाग ने तुरंत लिया एक्शन
हरियाणा में धान की फसल पर बौना वायरस का असर देखा गया है. करीब 92,000 एकड़ खेत इसके कारण प्रभावित हुए हैं. इस वायरस से फसल बचाने के लिए प्रभावित पौधों को उखाड़कर नष्ट करना सबसे जरूरी उपाय है. सरकार और कृषि विभाग तुरंत काम कर रहे हैं और किसानों को राहत देने के लिए मुआवजा और सही सुझाव भी दे रहे हैं.;
हरियाणा के किसानों के लिए इस समय एक बड़ी चिंता का विषय सामने आया है. राज्य में लगभग 40 लाख एकड़ में धान की बुवाई हुई थी. लेकिन इनमें से लगभग 92,000 एकड़ की फसल प्रभावित हो चुकी है. यह समस्या एक वायरस की वजह से हुई है.
इस वायरस के कारण धान के पौधे कमजोर हो रहे हैं और उनकी बढ़वार रुक गई है. प्रभावित पौधे छोटे यानी ‘बौने’ दिखाई दे रहे हैं और उनका रंग और आकार भी असामान्य हो जाता है. हालांकि, कृषि मंत्रालय ने तुरंत एक्शन लेते हुए डैमेज कंट्रोल कर लिया है.
वायरस का नाम और असर
किसानों और विशेषज्ञों के अनुसार, हाल ही में हरियाणा में जो धान की फसल प्रभावित हुई है, उसके पीछे ‘साउदर्न राइस ब्लैक-स्ट्रिक्ड ड्वार्फ वायरस’ (SRBSDV) जिम्मेदार है. यह वायरस धान के पौधों को गंभीर रूप से प्रभावित करता है. सबसे पहले तो यह पौधों को छोटा यानी बौना बना देता है. इसके अलावा, पौधों की तने कमजोर हो जाते हैं, पत्तियां झुर्रियों जैसी दिखती हैं और पौधे ठीक से बढ़ नहीं पाते है. जब पौधे छोटे और कमजोर हो जाते हैं, तो उनका धान देने की क्षमता भी कम हो जाती है. इसका मतलब यह है कि किसानों की फसल का उत्पादन घट सकता है और उन्हें अपेक्षित लाभ नहीं मिलेगा.
मंत्रालय की कार्रवाई
हरियाणा के कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने बताया कि जो धान के पौधे ‘साउदर्न राइस ब्लैक-स्ट्रिक्ड ड्वार्फ वायरस’ (SRBSDV) से प्रभावित हुए हैं, उन्हें उखाड़कर नष्ट करना सबसे असरदार तरीका है. इसका कारण यह है कि प्रभावित पौधे वायरस के मुख्य स्रोत होते हैं. अगर इन्हें खेत में रहने दिया जाए, तो वायरस आसपास की स्वस्थ फसलों में भी फैल सकता है. लेकिन अगर इन्हें समय रहते हटा दिया जाए और जलाया या नष्ट किया जाए, तो वायरस के फैलाव को काफी हद तक रोका जा सकता है. मंत्री ने यह भी बताया कि प्रभावित क्षेत्रों में फसल का अनुमानित नुकसान लगभग 5 से 10 प्रतिशत ही हुआ है. इसका मतलब है कि पूरी फसल पर गंभीर असर नहीं पड़ा. यह नुकसान अपेक्षाकृत कम माना जा रहा है.
विधानसभा में उठाई गई चिंता
इस बारे में बात करते हुए कांग्रेस के विधायक आदित्य सुरजेवाला ने कहा कि करनाल, अंबाला, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर और कैथल जिलों में धान की फसल वायरस से प्रभावित हुई है. उन्होंने कहा कि इन प्रभावित किसानों को मुआवजा मिलना चाहिए. इसी तरह, INLD के विधायक अर्जुन चौटाला ने भी किसानों की परेशानी जताई और कहा कि उन्हें उचित राहत दी जानी चाहिए.
वैज्ञानिक और प्रशासनिक कदम
कृषि मंत्री ने कहा कि जैसे ही वायरस का पता चला, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार (CCSHAU) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने तुरंत कार्रवाई शुरू की साथ ही, केंद्र और राज्य सरकार की टीमों ने 6 और 7 अगस्त को सर्वे किया ताकि प्रभावित क्षेत्रों और नुकसान का सही आंकड़ा पता चल सके.
किसानों के लिए सुझाव
कृषि विशेषज्ञों और हरियाणा कृषि विभाग की सलाह के अनुसार, जिन खेतों में धान की फसल पर वायरस का असर देखा गया है, उन प्रभावित क्षेत्रों में तुरंत और सावधानीपूर्वक कदम उठाना बेहद जरूरी है. सबसे पहले, संक्रमित पौधों की पहचान कर उन्हें तुरंत खेत से उखाड़कर नष्ट करना चाहिए. इससे वायरस के फैलाव की प्रक्रिया को काफी हद तक रोका जा सकता है. साथ ही, कृषि विशेषज्ञ यह भी सुझाव दे रहे हैं कि किसान सुरक्षित बुवाई तकनीक अपनाएं. इसमें रोग-प्रतिरोधी बीजों का उपयोग, उचित दूरी पर रोपाई और मिट्टी की स्थिति के अनुसार सिंचाई जैसी सावधानियों को शामिल किया जाता है.