बार-बार एक ही गलती करने पर जमानत नहीं... पंजाब-हरियाणा HC ने गोहत्या के आरोपी की रद्द की याचिका
Punjab-Haryana HC: पंजाब-हरियाणा होईकोर्ट ने नूंह में गोहत्या के आरोपी की जमानत याचिका रद्द कर दी. हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का उदाहरण देते हुए कहा, अपराधी बार-बार एक ही अपराध को दोहराए तो उसे जमानत नहीं दी जा सकती.

Punjab-Haryana HC: पंजाब हरियाणा कोर्ट ने गोहत्या के आरोपी को जमानत देने से साफ इनकार कर दिया. अदालत ने कहा कि यह एक गंभीर अपराध है. आरोपी हरियाणा के नूंह का रहने वाला आसिफ है, जिस पर पहले भी कोर्ट के नरमी का गलत इस्तेमाल करने का भी आरोप है.
इस मामले की सुनवाई जस्टिस संदीप मौदगिल ने की. उन्होंने कहा कि बार-बार गायों की हत्या करना सिर्फ कानूनी उल्लंघन ही नहीं बल्कि देश की सांस्कृतिक धारा और संवैधानिक मूल्यों पर भी हमला है. क्योंकि भारतीय समाज में गाय का विशेष स्थान है. हिंदुओं में गाय की पूजा की जाती है और माता कहा जाता है.
कोर्ट ने रद्द की जमानत याचिका
आरोपी ने हाईकोर्ट में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 की धारा 482 के तहत जमानत याचिका दायर की थी. कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए इसे खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि ऐसे व्यक्ति को अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती जो बार-बार कानून तोड़ता हो. आसिफ पर पहले से ही तीन समान एफआईआर दर्ज हैं और उसने पहले मिली जमानत का दुरुपयोग किया है. हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का उदाहरण देते हुए कहा, अपराधी बार-बार एक ही अपराध को दोहराए तो उसे जमानत नहीं दी जा सकती.
क्या है मामला?
3 अप्रैल 2025 को नूंह पुलिस को जानकारी मिली थी कि तीन व्यक्ति तसलीम, अमन और आसिफ गायों को राजस्थान ले जाकर उनकी हत्या करने वाले हैं. नूंह-तावडू रोड पर पल्ला मोड़ के पास पुलिस ने एक टाटा इंट्रा वाहन को रोका. पीछा करने के दौरान तसलीम बाइक से गिरकर पकड़ा गया, जबकि गाड़ी चला रहे अमन को भी गिरफ्तार कर लिया गया. वहीं आसिफ कथित तौर पर गाड़ी से कूदकर भाग निकला. पुलिस ने गाड़ी की तलाशी ली, जिसमें दो भूखी-प्यासी गायें, एक चाकू और कुल्हाड़ी बरामद हुए.
पुलिस ने आरोपियों पर हरियाणा गौवंश संरक्षण और गौसंवर्धन अधिनियम, 2015 तथा पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 11 के तहत मामला दर्ज हुआ. अमन को पूछताछ के बाद जमानत मिल गई, लेकिन आसिफ फरार रहा और बाद में अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट पहुंचा. उसने खुद को निर्दोष बताते हुए अमन के समान राहत देने की मांग की, लेकिन कोर्ट ने इनकार कर दिया.