अल-फलाह यूनिवर्सिटी में ‘तालिबान मॉडल’ लागू करता था उमर, एक साथ... दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े डॉक्टरों पर छात्रों का बड़ा खुलासा
India Today की स्टिंग ऑपरेशन में दिल्ली रेड फोर्ट ब्लास्ट के आरोपी डॉक्टरों से जुड़े अल-फलाह यूनिवर्सिटी के चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. छात्रों ने खुलासा किया कि डॉ. उमर मोहम्मद क्लास में 'तालिबान मॉडल' लागू करता था और लड़के-लड़कियों को अलग बैठने को मजबूर करता था. वहीं, डॉ. मुअज्जम सईद ने झूठ बोलकर फरीदाबाद में कमरा किराए पर लिया था और वहां विस्फोटक छिपाए थे. घटना के बाद यूनिवर्सिटी अस्पताल में मरीजों की संख्या घट गई है और अब पूरा कैंपस जांच एजेंसियों के रडार पर है.;
Al-Falah University, Red Fort blast: फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी एक बार फिर सुर्खियों में है. रेड फोर्ट ब्लास्ट केस में आरोपी दो डॉक्टर, डॉ. उमर मोहम्मद (Dr Umar Mohammad) और डॉ. मुअज्जम सईद (Dr Muzammil Saeed), कभी इसी यूनिवर्सिटी में पढ़ाया करता था. अब, इंडिया टुडे की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) की अंडरकवर स्टिंग में यूनिवर्सिटी के छात्रों और स्टाफ ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं.
‘क्लासरूम में लागू किया तालिबान मॉडल’
छात्रों ने बताया कि डॉ. उमर मोहम्मद, जो अब रेड फोर्ट के पास हुए i20 कार ब्लास्ट में आत्मघाती हमलावर बताया जा रहा है, अपने लेक्चर्स में 'तालिबान-स्टाइल' नियम लागू करता था. एक एमबीबीएस छात्र ने कहा, “हमारी बैच में लड़के-लड़कियां साथ बैठते थे, लेकिन वो आते ही कहते थे- अलग बैठो. हमें मजबूरन सीटें बदलनी पड़ती थीं.”
छात्रों ने बताया कि उमर यूनिवर्सिटी के होस्टल में ही रहता था, और बहुत कम लोगों से बात करता था. एक स्टाफ सदस्य ने कहा, “वो बहुत रिजर्व रहता था. किसी से मेलजोल नहीं रखता था.”
‘मुजम्मिल कभी क्लास में नहीं दिखा, पर नाम सुनते थे’
छात्रों ने बताया कि डॉ. मुअज्जम सईद को उन्होंने कभी यूनिवर्सिटी में नहीं देखा. एक छात्र ने कहा।“मुजम्मिल को कभी देखा नहीं, उमर ही हमारे बैच का टीचर था.”
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, यूनिवर्सिटी अस्पताल में ब्लास्ट के बाद से मरीजों की संख्या घट गई है. एक छात्र ने बताया, “पहले अस्पताल में भीड़ रहती थी, अब मरीज बहुत कम आ रहे हैं.”
शिक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी सवाल
कुछ छात्रों ने यूनिवर्सिटी की शिक्षा व्यवस्था और इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी असंतोष जताया. एक छात्र ने कहा, “पढ़ाई का स्तर बहुत खराब है, लैब प्रैक्टिकल टाइम पर नहीं होते, टीचर्स भी रेगुलर नहीं हैं.” हालांकि, छात्रों ने डॉ. शहीन सईद को एक अच्छे शिक्षक के रूप में याद किया. एक छात्र ने कहा, “शहीन मैम बहुत अच्छा पढ़ाती थीं.” अब यही डॉ. शहीन सईद, 'डॉक्टर्स टेरर मॉड्यूल' की अहम सदस्य बताई जा रही हैं और पुलिस की गिरफ्त में हैं.
मुजम्मिल ने झूठ बोलकर किराए पर लिया घर, वहां रखा विस्फोटक
इंडिया टुडे की टीम को पता चला कि डॉ. मुअज्जम सईद ने ब्लास्ट से पहले यूनिवर्सिटी कैंपस के पास दो कमरे किराए पर लिए थे. मकान मालिक मद्रासी ने बताया, “वो सितंबर में आया था, बोला मैं डॉक्टर हूं. 2400 रुपये एडवांस दिए और फिर कभी लौटा ही नहीं. बाद में कुछ पुलिसवाले आए और पूछताछ की। अगले दिन कश्मीरी लोग आए, सामान उठाया और चले गए.”
जांच में सामने आ रहे नए लिंक
जांच एजेंसियों का कहना है कि यह पूरा मॉड्यूल 'डॉक्टर्स टेरर नेटवर्क' के रूप में काम कर रहा था, जिसने शिक्षा संस्थानों की आड़ में अपनी गतिविधियां चलाईं.
अल-फलाह यूनिवर्सिटी कैंपस अब सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर है, जहां यह जांच जारी है कि आखिर शिक्षा के केंद्र से आतंकी नेटवर्क कैसे संचालित हुआ.