संकट में अदालत की छत! क्या सरंगपुर शिफ्ट होगा हाईकोर्ट? हरियाणा के वकीलों की वोटिंग से होगा फैसला

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट को मौजूदा जगह से शिफ्ट कर चंडीगढ़ के सरंगपुर गांव में एक नया भवन बनाने का प्रस्ताव सामने आया है. लेकिन यह सिर्फ एक प्रस्ताव नहीं, बल्कि वकीलों के भविष्य और हाईकोर्ट की कार्यक्षमता से जुड़ा एक बड़ा फैसला है. इस प्रस्ताव को लेकर बार एसोसिएशन दो हिस्सों में बंटी हुई है. अब यह फैसला वकीलों की वोटिंग से लिया जाएगा कि हाईकोर्ट को वहीं रखा जाए या नए स्थान पर स्थानांतरित किया जाए.;

Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 25 Aug 2025 7:55 PM IST

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट, जो अभी चंडीगढ़ के सेक्टर-1 में है, उसे शिफ्ट करने का मुद्दा इन दिनों चर्चा में है. यह इलाका यूनेस्को द्वारा घोषित वर्ल्ड हेरिटेज साइट में आता है और सुखना झील के पास होने के कारण यहां कोई बड़ा निर्माण कार्य करना आसान नहीं है. इसी वजह से लंबे समय से हाईकोर्ट के विस्तार को लेकर समस्याएं आ रही हैं.

वर्तमान में कोर्ट के पास 85 जजों के लिए मंजूरी है लेकिन सिर्फ 69 कोर्टरूम ही काम कर रहे हैं. कोर्ट में रोजाना हजारों मामलों की सुनवाई होती है और जगह की कमी की वजह से न्याय प्रक्रिया भी प्रभावित होती है.

क्या हैं दो विकल्प?

मौजूदा जगह पर ही कोर्टरूम बनाना

पीएचएचसीबीए (Punjab and Haryana High Court Bar Association) के कुछ सदस्य चाहते हैं कि कोर्ट को वहीं रखा जाए. इसके लिए कोर्टरूम के सामने तीन मंजिला नया स्ट्रक्चर और दो मंजिला अंडरग्राउंड पार्किंग बन सकती है. इस योजना में सिर्फ 16 नए कोर्टरूम बनेंगे और करीब ₹200 करोड़ खर्च होंगे.

क्या है समस्या?

सबसे बड़ी बाधा यह है कि इसके लिए यूनेस्को से मंजूरी लेनी होगी, जो लंबी प्रक्रिया है और मंजूरी मिलने की कोई गारंटी नहीं है. इसके अलावा निर्माण कार्य के दौरान पार्किंग कम हो जाएगी, धूल-मिट्टी, ट्रैफिक ब्लॉकेज जैसी समस्याएं भी रहेंगी.

कोर्ट को सरंगपुर में शिफ्ट करना

पीएचएचसीबीए की एग्जीक्यूटिव कमेटी ने 20 अगस्त को सर्वसम्मति से सरंगपुर में नया कोर्ट कॉम्प्लेक्स बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इसके लिए 48.865 एकड़ जमीन चिन्हित की गई है, जिसमें से 15 एकड़ पहले ही अलॉट हो चुकी है. नया भवन लगभग 42 लाख वर्ग फुट में बनेगा जो भविष्य के 20-25 सालों की जरूरतों को पूरा कर सकेगा. यहां चारों दिशाओं से प्रवेश और निकास की सुविधा होगी, मेट्रो स्टेशन भी पास में होगा और कई मुख्य सड़कों से कनेक्टिविटी रहेगी.

कोर्ट ने क्या कहा?

22 अगस्त को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस पूरे मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि यह इतना महत्वपूर्ण फैसला है कि इसे सिर्फ एग्जीक्यूटिव कमेटी नहीं ले सकती है. मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति रमेश कुमारी ने कहा कि 'जब तक यह प्रस्ताव जनरल बॉडी से पास नहीं होता, इसे मान्यता नहीं दी जा सकती है.' कोर्ट के आदेश के बाद अब फैसला सभी वकीलों की वोटिंग से होगा. इसका मतलब है कि हर सदस्य को वोट डालने का अधिकार मिलेगा और बहुमत जो फैसला करेगा, वही अंतिम माना जाएगा.

बार एसोसिएशन की अपील

बार एसोसिएशन ने वकीलों से अपील की है कि वे इस महत्वपूर्ण फैसले में अपनी भूमिका निभाएं और वोट जरूर डालें. नोटिस में यह भी बताया गया है कि दोनों योजनाएं लगभग 5 से 7 साल में पूरी हो सकती हैं. लेकिन जहां एक तरफ मौजूदा जगह पर काम करने में कई तरह की सीमाएं और रुकावटें हैं, वहीं सरंगपुर में आधुनिक और लंबी अवधि की जरूरतों को ध्यान में रखकर निर्माण किया जा सकता है.

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