क्या हुड्डा बचा पाएंगे अपना सरकारी आवास? 15 दिनों के समय में क्या कर पाएंगे कुछ चमत्कार

कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद गहरे मंथन में डूबी हुई है. पार्टी ने अब तक हरियाणा में नेता प्रतिपक्ष कौन होगा इस पर फैसला नहीं किया है. इस बीच उनकी इस मुश्किल को सत्ता पक्ष की ओर से बढ़ा दिया गया है. उन्हें सरकारी आवास खाली करने के लिए नोटिस जारी किया गया है.;

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Edited By :  सार्थक अरोड़ा
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विधानसभा चुनाव के दौरान जीत के दावों में फेल हुई कांग्रेस की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही है. गुटबाजी के कारण हार का सामना करना पड़ा था यही सिलसिला अभी भी जारी है. पहले हार का सामना अब इस गुटबाजी के कारण पार्टी ये नहीं तय कर पारी कि आखिर हरियाणा में विपक्ष का नेता कौन होगा. हरियाणा चुनाव खत्म हुए भी काफी समय हो चुका है. इसके बावजूद अभी भी इस बात पर पार्टी फैसला नहीं कर पाई है.

इस बीच सत्ता पक्ष की ओर से राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री के पद पर रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सरकारी आवास खाली करने का नोटिस जारी किया गया है. बता दें कि इस समय वह चंडीगढ़ के सेक्टर 7 में स्थित कोठी नंबर 70 में रहते हैं. जिसे अब खाली करवाने को कहा जा रहा है.

सत्ता गई अब जाएगा मकान?

भूपेंद्र सिंह हुड्डा के इस आवास पर कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल की नजर है. सरकार से इसी आवास की उन्होंने मांग की. जिसे स्वीकार करते हुए सरकार ने उन्हें नोटिस भेजकर जवाब देने की मांग की है. हालांकि हुड्डा की ओर से 15 दिन का समय मांगा गया है. समय मांगने के पीछे कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद पार्टी इन 15 दिनों में विपक्ष नेता प्रतिपक्ष का फैसला कर लें. यदि ऐसा हो जाता है तो उन्हें ये मकान खाली नहीं पड़ेगा. लेकिन अगर ऐसा नहीं होता तो जाहिर है उन्हें इसे खाली करना होगा.

क्या हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाना चाहती कांग्रेस?

वहीं कांग्रेस किसके नाम पर मुहर लगाने वाली है इस पर फैसला होना अभी भी बाकी है. लेकिन नेता प्रतिपक्ष बनाने की इस लिस्ट में कई विधायकों का नाम भी दर्ज हो चुका है. जिसके कारण हुड्डा को लेकर ये बड़ा सवाल किया जा रहा है कि क्या पार्टी उनकी जगह किसी और को ये पद देने का फैसला कर सकती है? लोकसभा चुनाव के दौरान भी पार्टी को हुड्डा के नाम से ही पांच सीटों पर जीत मिल पाई थी. हालांकि उस दौरान कांग्रेस काफी खुश हुई थी और विधानसभा में एक बार फिर से हुड्डा को फ्री हैंड मिला था. लेकिन विधानसभा में कांग्रेस को वो जीत नहीं मिली जिसकी शायद उसने उम्मीद की थी.

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