खतरे के निशान से ऊपर बह रही यमुना नदी, हजारों लोग बेघर, किसानों की फसलें तबाह; क्या हैं दिल्ली में बाढ़ के हालात?
दिल्ली में लगातार बारिश और हथिनीकुंड बैराज से छोड़े गए पानी ने हालात बिगाड़ दिए हैं. यमुना नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जिससे हजारों लोग बेघर और कई इलाके जलमग्न हो गए हैं. किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं और राहत कैंपों में भीड़ बढ़ गई है. प्रशासन और NDRF टीमें रेस्क्यू में जुटी हैं, लेकिन संकट अभी टला नहीं है.;
दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश ने राजधानी को बाढ़ के खतरे में डाल दिया है. यमुना नदी का जलस्तर मंगलवार को ही खतरे के निशान को पार कर गया था. प्रशासन ने एहतियातन अब तक करीब 5000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया है. वहीं, एनडीआरएफ की 4 टीमें लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं. हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया पानी इस संकट को और बढ़ा रहा है.
रविवार सुबह 7 बजे तक यमुना का जलस्तर 205.59 मीटर दर्ज किया गया, जो कि खतरे के निशान से ऊपर है. हालांकि जलस्तर में धीरे-धीरे कमी आ रही है, लेकिन संकट अभी भी टला नहीं है. निचले इलाकों जैसे यमुना खादर, मयूर विहार और कश्मीरी गेट के आसपास पानी भरा हुआ है. यहां रहने वाले लोगों को राहत कैंपों में शिफ्ट किया गया है.
दिल्ली के कई इलाके जलमग्न
यमुना बाजार और मोनेस्ट्री मार्केट बुधवार को पूरी तरह जलमग्न हो गए. निगमबोध घाट, पुराना लोहे का पुल, आईएसबीटी, बुराड़ी, नजफगढ़ और न्यू उस्मानपुर जैसे इलाके पानी में डूब गए हैं. कालिंदी कुंज और मयूर विहार फेस-1 में भी पानी भर गया है. नजफगढ़ और लोनी रोड पर आवाजाही बुरी तरह प्रभावित हुई है. प्रशासन ने रेड अलर्ट जारी कर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है.
राहत कैंपों में बढ़ी भीड़
सरकार ने मयूर विहार, बुराड़ी और कालिंदी कुंज में राहत कैंप बनाए हैं. यहां हजारों लोग अपने परिवार के साथ रह रहे हैं. लेकिन इन कैंपों में बिजली, पीने का पानी और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी की शिकायतें सामने आई हैं. कई इलाकों में बच्चों और बुजुर्गों को दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं.
राजनीतिक बयानबाज़ी तेज
बाढ़ संकट के बीच राजनीति भी तेज हो गई है. आम आदमी पार्टी के विधायक संजीव झा ने बुराड़ी और जहांगीरपुरी का दौरा किया. उन्होंने आरोप लगाया कि लोग घुटनों तक पानी में रहने को मजबूर हैं और कैंपों में मेडिकल सुविधाएं तक नहीं हैं. उन्होंने कहा कि अब तक कोई बड़ा मंत्री या अधिकारी हालात का जायजा लेने तक नहीं आया है. वहीं, भाजपा ने भी दिल्ली सरकार पर राहत कार्यों में लापरवाही का आरोप लगाया.
किसानों की फसलें बर्बाद
बाढ़ का सबसे ज्यादा असर दिल्ली के किनारे बसे किसानों पर पड़ा है. यमुना खादर, पुराना उस्मानपुर, गढ़ी मांडू और सोनिया विहार के किसानों की पूरी फसलें जलमग्न हो गईं. इनमें बैंगन, भिंडी, लौकी, गोभी, टमाटर, मटर और प्याज जैसी सब्जियां शामिल हैं. किसानों ने बताया कि उन्होंने खेती के लिए जमीन पट्टे पर ली थी और इसके लिए लोन भी लिया था. अब सारी मेहनत पर पानी फिर गया है.
स्वास्थ्य संकट भी गहराया
बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों को मानसिक और शारीरिक चोटें झेलनी पड़ रही हैं. राहत शिविरों में बीमार और घायल लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. शनिवार को ही मेडिकल कैंपों में 200 से ज्यादा मरीज पहुंचे. डॉक्टरों ने बताया कि ज्यादातर मरीजों को हाथ-पैर में गहरे कट, सिर पर चोट और फिसलने से लगी गंभीर चोटों का इलाज करना पड़ा. बच्चों और बुजुर्गों की हालत सबसे ज्यादा खराब बताई जा रही है.
संकट अभी टला नहीं
हालांकि हथिनीकुंड और अन्य बैराजों से छोड़े गए पानी की मात्रा कम हुई है और जलस्तर धीरे-धीरे घट रहा है, लेकिन खतरा पूरी तरह से टला नहीं है. प्रशासन ने लोगों से अलर्ट रहने और नदी किनारे न जाने की अपील की है. बाढ़ ने न केवल हजारों लोगों को बेघर किया है, बल्कि किसानों और मजदूरों की रोज़ी-रोटी पर भी गहरा असर डाला है.