अल-फलाह ही है असली जड़! 12 दिनों तक कॉलेज के बाहर खड़ी थी दिल्ली ब्लास्ट में इस्तेमाल हुई i20 कार, डॉक्टर की एक गलती पड़ी भारी
दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए धमाके में इस्तेमाल हुई i20 कार करीब 12 दिन तक फरीदाबाद के अल-फलाह मेडिकल कॉलेज में खड़ी रही थी. अपने साथियों की गिरफ्तारी के बाद घबराहट में संदिग्ध डॉ. उमर नबी 10 नवंबर को कार दिल्ली लेकर आया. जांच में यह विस्फोट आत्मघाती नहीं बल्कि ‘एक्सीडेंटल ब्लास्ट’ जैसा लग रहा है. एनआईए और दिल्ली पुलिस अब इस मॉड्यूल के विदेशी हैंडलर और उसके डिजिटल नेटवर्क की पड़ताल कर रही हैं.;
Delhi Blast: दिल्ली के लाल किले के पास सोमवार शाम हुए धमाके में इस्तेमाल की गई सफेद ह्युंडई i20 कार करीब 12 दिन तक हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह मेडिकल कॉलेज कैंपस में खड़ी रही थी. धमाके के दिन यानी 10 नवंबर की सुबह संदिग्ध डॉ. उमर नबी ने यह कार अचानक कॉलेज से बाहर निकाली. जांच एजेंसियों के मुताबिक, उसने ऐसा अपने साथियों की गिरफ्तारी के बाद घबराहट में किया.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, 10 नवंबर की शाम करीब 6:52 बजे दिल्ली के पुराने इलाके में लाल किला मेट्रो स्टेशन गेट नंबर-1 के पास धीमी रफ्तार से चल रही इस i20 कार में जोरदार विस्फोट हुआ. धमाके में 9 लोगों की मौत हो गई और करीब दो दर्जन लोग घायल हुए. दिल्ली पुलिस और एनआईए की संयुक्त टीम अब इस विस्फोट को एक “गलत तरीके से जोड़े गए आईईडी (Improvised Explosive Device)” से हुआ हादसा मान रही है, न कि आत्मघाती हमला.
कार की कहानी: फरीदाबाद से लाल किला तक
जांच में सामने आया है कि डॉ. उमर नबी ने यह i20 कार 29 अक्टूबर को फरीदाबाद के एक कार डीलर सोनू से खरीदी थी. उसी दिन वह कार को Pollution Under Control (PUC) सर्टिफिकेट के लिए भी ले गया था. सीसीटीवी फुटेज में कार नंबर HR 26CE7674 को फरीदाबाद के रॉयल कार जोन के पास देखा गया था. PUC करवाने के बाद नबी ने कार को अल-फलाह मेडिकल कॉलेज के भीतर पार्क कर दिया. वहीं उसने अपनी कार डॉ. मुजम्मिल शकील की स्विफ्ट डिजायर के बगल में खड़ी की थी. शकील को सोमवार को गिरफ्तार किया गया, जब फरीदाबाद में 2,900 किलो विस्फोटक सामग्री और हथियारों का बड़ा जखीरा मिला.
डॉ. शकील की कार डॉ. शाहीन सईद के नाम पर रजिस्टर्ड थी, जिनकी गाड़ी से असॉल्ट राइफल और गोला-बारूद बरामद हुआ. माना जा रहा है कि इन गिरफ्तारियों के बाद ही उमर नबी को डर लगा कि अब उसकी बारी है और उसने 10 नवंबर की सुबह कॉलेज से कार निकाल ली.
दिल्ली में एंट्री और अंतिम ठिकाना
रिपोर्ट के मुताबिक, कार को उस दिन कनॉट प्लेस और मयूर विहार के आसपास देखा गया था. बाद में यह कार चांदनी चौक के सुनेहरी मस्जिद पार्किंग लॉट में 3:19 बजे दाखिल हुई. वहां से यह कार 6:30 बजे तक नहीं निकली. सीसीटीवी फुटेज में ड्राइवर साइड की खिड़की से एक हाथ हिलता हुआ दिखाई देता है, जिसे जांच एजेंसियां डॉ. उमर नबी का हाथ मान रही हैं. तीन घंटे तक वह कार में ही बैठा रहा और किसी भी पल बाहर नहीं निकला.
कौन हैं डॉ. उमर नबी और उसके साथी?
डॉ. मुजम्मिल शकील, जो डॉ. नबी का करीबी बताया जा रहा है, को हरियाणा और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में गिरफ्तार किया गया. उसके साथ डॉ. अदील अहमद राथर भी पकड़ा गया. दोनों के पास से बड़ी मात्रा में विस्फोटक और हथियार बरामद हुए. पुलिस का कहना है कि यह पूरा गिरोह ‘व्हाइट कॉलर टेरर नेटवर्क’ का हिस्सा था, जो डॉक्टरों और शिक्षित युवाओं को आतंकी गतिविधियों में शामिल कर रहा था.
वहीं, डॉ. शाहीन सईद, लखनऊ की एक महिला डॉक्टर, को मंगलवार को गिरफ्तार किया गया. दिल्ली पुलिस के सूत्रों के अनुसार, शाहीन भारत में जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के महिला विंग को खड़ा करने की कोशिश कर रही थी और काफी समय से अंडरग्राउंड काम कर रही थी.
‘पैनिक’ के चलते हुआ हादसा, आत्मघाती हमला नहीं
इंटेलिजेंस सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि देशभर में छापेमारी और 2,900 किलो विस्फोटक मिलने के बाद इस मॉड्यूल में घबराहट फैल गई. उसी घबराहट में उमर नबी ने कार को दिल्ली ले जाकर विस्फोटक को कहीं और ट्रांसफर या नष्ट करने की कोशिश की. हालांकि जांच में सामने आया कि उसने आईईडी डिवाइस को गलत तरीके से असेंबल किया, जिससे यह अनियंत्रित रूप से फट गया. विशेषज्ञों के मुताबिक, यदि डिवाइस सही तरीके से जोड़ी गई होती तो नुकसान कहीं अधिक होता. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “यह आत्मघाती मिशन नहीं था, बल्कि एक एक्सीडेंटल ब्लास्ट था. उमर नबी का उद्देश्य विस्फोटक को हटाना या कहीं और पहुंचाना था, लेकिन डिवाइस ने समय से पहले ब्लास्ट कर दिया.”
अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की पड़ताल जारी
जांच एजेंसियों का मानना है कि यह पूरा नेटवर्क विदेश में बैठे एक हैंडलर द्वारा संचालित हो रहा था. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल, एनआईए और इंटेलिजेंस ब्यूरो अब उस विदेशी हैंडलर की लोकेशन और कम्युनिकेशन ट्रेल को ट्रैक कर रही हैं. फिलहाल अल-फलाह यूनिवर्सिटी में 52 से अधिक लोगों से पूछताछ की जा चुकी है और छह लोगों को हिरासत में लिया गया है. एनआईए ने सभी जब्त किए गए डिजिटल डिवाइस, मोबाइल फोन, लैपटॉप और सर्वर डेटा को फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है.