EXCLUSIVE: स्पेशल सेल के पूर्व अफसर का सवाल- ‘लाल किला’ के अंदर की बजाए 'सोमवार' को 'गौरी-शंकर’ मंदिर के पास ही बम-विस्फोट क्यों?
स्टेट मिरर हिंदी की एक्सक्लूसिव पड़ताल: लाल किला के सामने सोमवार शाम हुए कार धमाके में क्यों चुना गया गौरी-शंकर मंदिर के निकट रेड-लाइट क्रॉसिंग इस सवाल पर स्पेशल सेल के रिटायर्ड अफसर और RAW के वरिष्ठ सूत्रों ने अपने-अपने आशंकाओं का खुलासा किया. शुरुआती फॉरेंसिक संकेत टाइमर-बेस्ड और फिदायीन हमले की तरफ इशारा कर रहे हैं; पुलवामा-कनेक्शन की भी गहन जांच चल रही है. NIA, NSG, IB और दिल्ली पुलिस की संयुक्त टीमें सबूत जुटा रही हैं. इस घटना के राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ने वाले गंभीर नतीजों का विश्लेषण रिपोर्ट में किया गया है.;
अब से 25 साल पहले यानी 22 दिसंबर 2000 को रात के वक्त जिस लाल किला के भीतर घुसकर पाकिस्तानी आतंकवादियों ने तीन भारतीय फौजियों को मार डाला था. इस बार यानी 10 नवंबर 2025 को 25 साल बाद आखिर वह क्या वजह रही कि आतंकवादियों या विध्वंसकारी ताकतों ने लाल किला परिसर छोड़कर उसकी नाक के नीचे या कहिए ठीक सामने मौजूद ‘गौरी शंकर’ मंदिर की ‘रेड-लाइट’ पर ही कार में इतना जबरदस्त विस्फोट किया?
इन्हीं तमाम सवालों के लिए सोमवार-मंगलवार की पूरी रात स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर क्राइम इनवेस्टीगेशन ने एक्सक्लूसिव बातचीत की दिल्ली लाल किला कार विस्फोट की जांच में जुटी एनआईए, दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच, दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल और एनएसजी सहित खुफिया एजेंसियों (RAW and IB) के उच्च पदस्थ विश्वस्त सूत्रों से. साथ ही इन तमाम तथ्यों की अधिकृत पुष्टि के लिए स्टेट मिरर हिंदी ने अब से 25 साल पहले इसी लाल किला परिसर के भीतर हुए आतंकवादी हमले के जांच अधिकारी रहे दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के रिटायर्ड इंस्पेक्टर सुरेंद्र संड से भी बात की.
देश और दुनिया को हिलाकर भारतीय हुकूमत को खुली चुनौती देने वाले कार बम धमाके की घटना की जांच में जुटी एजेंसियों के मुताबिक, “जांच कई दृष्टिकोण से की जा रही है. विशेषकर इस नजरिए से कि क्या धमाके में सीमा-पार (पाकिस्तान) मौजूद भारत विरोधी ताकतों का हाथ है. अगर ऐसा साबित हो गया तब फिर भारत को अपनी संप्रुभता की रक्षा के लिए उस एक्ट ऑफ वॉर पर अमल करना जरूरी हो जाएगा, जो उसने पाकिस्तान को ऑपरेशन सिंदूर में माफी के दौरान उसके आंख-कान खोलने के लिए डंके की चोट पर समझा दिया था. उसके बाद भी अगर मक्कार पाकिस्तान ने 10 नवंबर 2025 (सोमवार) को शाम ढले अगर इस तरह की घटना को अंजाम देने का दुस्साहस किया है तो समझिए पाकिस्तान ने अपने ताबूत में कीलें खुद ही ठुकवाने का घिनौना काम किया है. इसमें अगर अब भारत, पाकिस्तान को उसी की भाषा में मुंहतोड़ जवाब देता है. तो भारत इसके लिए कहीं से किसी भी नजर गुनहगार नहीं होगा.”
सीएनजी ब्लास्ट नहीं है ये धमाका
साल 2000 में यानी अब से 25 साल पहले 22 दिसंबर को रात 09 बजे पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा द्वारा लाल किला के भीतर घुसकर किए गए आतंकवादी हमले की जांच के बाद, लश्कर कमांडर और उस हमले के मास्टरमाइंड मोहम्मद आरिफ उर्फ मोहम्मद अशफाक को फांसी की सजा मुकर्रर करवा लेने वाले दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के दबंग अफसर इंस्पेक्टर सुरेंद्र संड (रि.) कहते हैं, “सोमवार को लाल किला की रेड लाइट पर हुआ कार धमाका सीएनजी ब्लास्ट कतई नहीं है. जिस तरह से मैने ब्लास्ट का सीसीटीवी फुटेज देखा है. उसे देखकर मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि यह सीधे सीधे बिन किसी यदि किंतु परंतु के आतंकवादी घटना है. इसमें मुझे शत प्रतिशत किसी फिदायीन यानी मानव-बम के शामिल होने की बहुत गंदी कहूं या साफ-साफ बदबू आ रही है. थोड़ा वक्त दीजिए जो मुझे आशंका है उसी पर हमारे देश की जांच एजेंसियां मुहर लगा देंगी.”
फिदायीन हमला था या नहीं, जल्द हो जाएगी पुष्टि
लंबे समय तक पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल और लंदन में नियुक्त रहे चुके भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी ने सोमवार-मंगलवार की रात स्टेट मिरर हिंदी से विशेष बातचीत में इशारा किया, “दरअसल यह हिंदुस्तान के खिलाफ फिर से छेड़े गए छद्म युद्ध का इशारा नहीं ठोस सबूत है. साल 2014 से दिल्ली में 9 नवंबर 2025 तक कोई भी छोटी-बड़ी आतंकवादी घटना नहीं हुई थी. 10 नवंबर 2025 को लाल किला की रेड लाइट पर हुए कार धमाके ने और उसमें इतनी बड़ी तादाद में हुई जनहानि (10 लोगों की मौत) ने चुनौती तो खड़ी कर ही दी है. हालांकि जिस तरह से इस विस्फोट में किसी फिदायीन के शामिल होने की बात निकल कर सामने आ रही है, उससे यह बहुत ही जल्दी पुष्टि हो जाएगी कि इसमें सीमापार (पाकिस्तान) से किसी का हाथ था या नहीं. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि आतंकवादी सीमापार का होगा. इस धमाके को अंजाम दिलवाने के लिए संभव है कि बाहरी ताकतों ने किसी लालची हिंदुस्तानी को ही अपनी ग्रिप में लेकर उसे पैसे के बलबूते यह कार बम धमाका फिदायीन बनकर अंजाम देने के लिए तैयार कर लिया हो.”
जान-बूझकर किया गया कार में बम धमाका
जब 22 दिसंबर 2000 को रात के वक्त पाकिस्तानी आतंकवादियों ने लाल किले के भीतर राजपूताना राइफल्स के तीन जवानों को गोलियों से भून डाला था. तब इस बार लाल किला के सामने लाल बत्ती पर इस घटना को अंजाम दिए जाने की कोई खास वजह? स्टेट मिरर हिंदी के साथ बातचीत में अपनी पहचान उजागर न करने की शर्त पर और इस कार बम धमाके की जांच में जुटे दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल और क्राइम ब्रांच के कुछ आला-अफसरों ने कमोबेश मिलती-जुलती ही आशंका जताई. जिसके मुताबिक, “सोमवार को चूंकि लाल किला बंद होता है. इसलिए वहां प्रवेश पाना नामुमकिन था. दूसरे जब लाल किला बंद रहने के चलते सोमवार को वहां भीड़ ही नहीं मिलती तब फिर कोई भी आतंकवादी घटना सूनी जगह पर अंजाम देकर हवा में बम-बारूद क्यों झोंका जाएगा.
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी के मुताबिक, जोकि साल 2000 में यानी अब से 25 साल पहले इसी लाल किला परिसर में हुए आतंकवादी हमले की भी जांच से जुड़े रहे अधिकारी के मुताबिक, “दरअसल सोमवार को लाल किला बंद रहता है. इसलिए उसके अंदर या उसकी चार-दीवारी के आसपास भी किसी का फटक पाना संभव नहीं होता है. दूसरे सोमवार को लाल किला के बाहर हिस्से या आसपास की सड़कों जैसे नेताजी सुभाष मार्ग, लाजपतराय मार्केट, जैन मंदिर और चांदनी चौक के मुहाने पर जैन मंदिर के एकदम बराबर में सटा हुआ मुगलकालीन एतिहासिक गौरी-शंकर मंदिर पर अच्छी खासी भीड़ रहती है. लिहाजा काफी हद तक आशंका इस बात की भी है कि लाल किला की छुट्टी होने के चलते उसके अंदर या चार दीवारी के आसपास जाने की कोशिश तक नहीं की गई. सीधे सीधे लाल किला के सामने वाली रेड लाइट पर, जहां से जैन मंदिर और गौरी-शंकर मंदिर जैसी दोनों ही हिंदुओं की श्रद्धा से जुड़े धार्मिक स्थल मौजूद हैं, उनके पास जान-बूझकर कार में बम धमाका किया गया हो. जहां तक बात लाल किला के सामने चांदनी चौक की रेड लाइट पर कार बम धमाके को अंजाम देने की एक वजह यह भी हो सकती है कि, इस रेड लाइट पर शाम के वक्त जबरदस्त भीड़ होती है.”
ज्यादा से ज्यादा लोगों को चपेट में लेना था मकसद
जांच से जुड़े दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल एक उच्चाधिकारी ने स्टेट मिरर हिंदी के एक सवाल के जवाब में कहा, “नहीं, जैन मंदिर या गौरी शंकर मंदिर के अंदर शायद विध्वंसकारी ताकतों को बम धमाका करने में ज्यादा मुश्किल पेश आई होगी. दूसरे चूंकि यह फिदायीन हमला होने का पूरा पूरा अंदेशा है. ऐसे में कार में विस्फोटक प्लांट करके सड़क पर रेड लाइट के ऊपर अन्य वाहनों को भी इस कार धमाके में ज्यादा से ज्यादा चपेट में लेने की पूरी पूरी उम्मीद इस दुस्साहसिक घटना में शामिल लोगों को रही होगी. हुआ भी बिलकुल वैसा ही है कि जैसा मैं बता रहा हूं. 20-25 लोग और कई वाहन कारें इत्यादि इस धमाके की हद में सिर्फ इसीलिए आ सके हैं क्योंकि यह मुख्य चौराहे पर अंजाम दिया गया.”