EXCLUSIVE: 25 साल पहले लाल किला आतंकी हमले के जांच अधिकारी- चांदनी चौक के सामने विस्फोट CNG कार-धमाका नहीं बम-ब्लास्ट है”!
दिल्ली के लाल किले के सामने हुए धमाके में 10 लोगों की मौत के बाद इसे सीएनजी ब्लास्ट बताने वाले दावों को पूर्व स्पेशल सेल अधिकारी सुरेंद्र संड ने खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि यह “सुनियोजित आतंकी हमला” है, जिसका मकसद देश की राजधानी को दहलाना था. संड ने इसे जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों की साजिश से जोड़ते हुए कहा कि अनंतनाग से फरीदाबाद तक की हालिया घटनाएं इस धमाके की कड़ी हैं.;
सोमवार (10 नवंबर 2025) शाम करीब सात बजे भारत की राजधानी दिल्ली में लाल किला के सामने स्थित चांदनी चौक में (लाजपत राय मार्केट के पास) हुए धमाके में 10 लोगों की मौत हो गई. इस जबरदस्त धमाके को लेकर कई तरह की खबरें सामने घटना के कई घंटे के बाद तक सामने आती रही. कुछ लोगों का कहना था कि यह धमाका सीएनजी कार सिलेंडर में ब्लास्ट से हुआ. जबकि 22 दिसंबर 2000 को यानी अब से करीब 25 साल पहले लाल किले के अंदर हुए आतंकवादी हमले की घटना में दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के जांच अधिकारी रहे इंस्पेक्टर सुरेंद्र संड ने सीएनजी कार ब्लास्ट के दावों की हवा निकाल दी.
स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर क्राइम इनवेस्टीगेशन से नई दिल्ली में मौजूद स्पेशल सेल के पूर्व दबंग अधिकारी सुरेंद्र संड ने कहा, “सीएनजी कार में बम विस्फोट की बात बेतुकी है. सीएनजी कार का धमाका इतना जबरदस्त नहीं होता है कि जिसकी आवाज कई किलोमीटर तक सुनाई दे. यह सीधे सीधे सुनियोजित तरीके से दिल्ली और देश की हुकूमत को दहलाने की साजिश के लिए किया गया जबरदस्त बम विस्फोट है. यह आतंकवादी घटना है. मैं अब से 25 साल पहले हुए लाल किला पर आतंकवादी हमले की जांच के अनुभव से यह दावा कर रहा हूं.”
स्टेट मिरर हिंदी के एक सवाल के जवाब में दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के पूर्व अधिकारी और 22 दिसंबर 2000 को रात नौ बजे लाल किला के अंदर पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद व लश्कर-ए-तैयबा द्वारा संयुक्त ऑपरेशन के दौरान किए गए हमले के जांच अधिकारी रहे इंस्पेक्टर सुरेंद्र संड आगे बोले, “यह सुनियोजित आतंकवादी हमला इसलिए है कि, 24 घंटे के भीतर जम्मू कश्मीर (अनंतनाग) से लेकर हरियाणा (फरीदाबाद) और फिर दिल्ली में सोमवार को शाम के वक्त हुए कार ब्लास्ट की कड़ियां जोड़कर देखिए. सब समझ में आ जाएगा कि यह आतंकवादी हमला था या फिर सीएनजी कार में ब्लास्ट.
अनंतनाग से फरीदाबाद और फिर दिल्ली-तीन घटनाओं की कड़ी, आतंक की बड़ी साजिश का संकेत
एक दिन पहले ही अनंतनाग (जम्मू कश्मीर) में चीन से डॉक्टरी पढ़कर घाटी में वापिस आए और एक सरकारी अस्पताल के पूर्व अधिकारी-डॉक्टर के लॉकर से एके-47 जैसी घातक मार वाली राइफल बरामद होती है. उसके चंद घंटों बाद ही दिल्ली से सटे हरियाणा के फरीदाबाद जिले की हद में 2900 किलोग्राम विस्फोटक की बरामदगी हो जाती है. इस बरामदगी के चंद घंटे के भीतर ही लाल किला के सामने मौजूद लाजपतराय मार्केट और चांदनी चौक की लाल बत्ती (रेड लाइट) पर एक आई20 कार में विस्फोट होता है. विस्फोट भी इतना जबरदस्त की जिसका शोर कई किलोमीटर तक सुनाई देता है. 10 लोग मारे जाते हैं. कई कारों में आग लग जाती है. यह सब क्या किसी घातक और बेहद ताकतवर विस्फोटक सामग्री के बिना संभवा है? बिलकुल नहीं. यह सीधे-सीधे आतंकवादी घटना है. थोड़ा सब्र रखिए दिल्ली पुलिस, एनआईए और एनएसजी की संयुक्त जांच में सबकुछ खुलकर सामने आ जाएगा.”
घटना को सीएनजी कार सिलेंडर धमाके से हुई मानने को कतई राजी न होने वाले दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के पूर्व अफसर सुरेंद्र संड बोले, “दरअसल जबसे केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार आई है. तब से लेकर 10 नवंबर 2025 की रात तक राजधानी में एक भी बम-विस्फोट की घटना नहीं घटी थी. ऐसे में लाल किला के अंदर न सही तो उसके आसपास इस तरह की विध्वंसकारी घटना को अंजाम देकर, हुकूमत को एक बार फिर से 11 साल बाद भारत विरोधी ताकतों ने खुली चुनौती तो दे ही दी है.”
साल 2000 में 21 दिसंबर को रात जैश ए मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा जैसे खूंखार पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों ने भी लाल किला को ही चुना. और अब 10 नवंबर 2025 को शाम के वक्त इस जबरदस्त विस्फोट के लिए भी लाल किला के आसपास की ही जगह चुनी गई, आखिर इसकी कोई खास वजह? स्टेट मिरर हिंदी के इस सवाल का जवाब देते हुए दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के पूर्व अधिकारी और अब से 25 साल पहले लाल किला पर हुए आतंकवादी घटना की जांच के दौरान कश्मीर घाटी में पहुंचने पर अपने ऊपर आतंकवादी हमला झेले बैठे सुरेंद्र संड बोले, “दरअसल लाल किला, इंडिया गेट, राष्ट्रपति भवन भारत की ऐसी धरोहरें और एतिहासिक महत्व वाली इमारतें हैं, जिनके ऊपर या जिनके आसपास हमला करने पर नेशनल इंटरनेशनल स्तर पर आतंकवादियों को पब्लिसिटी मिलती है. इसलिए इस बार भी लाल किला परिसर न सही तो उसके करीब ही सही.”