Delhi Election Results 2025: दिल्ली में कांग्रेस लगा रही Zero की हैट्रिक, रुझानों में फिर पार्टी के हाथ खाली
Delhi Election Results 2025: दिल्ली में शनिवार सुबह से विधानसभा चुनाव के वोटों की गिनती शुरू हो गई है. अब तक के रुझानों में भाजपी और आम आदमी पार्टी की सीटें मिलती नजर आ रही हैं, लेकिन कांग्रेस को लगातार तीसरी बार हार के संकेत मिल रहे हैं. नतीजों से पहले कई एग्जिट पोल ने कांग्रेस के लिए जीरो की हैट्रिक की भविष्यवाणी की थी.;
Delhi Election Results 2025: दिल्ली में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल देखने को मिल रही है. वोटों की गिनती सुबह 8 बजे से शुरू हो गई है. शुरुआती रुझानों में आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच रेस देखने को मिल रही है. दोनों पार्टियों के उम्मीदवार एक-दूसरे को मात देते नजर आ रहे हैं. वहीं दूसरी और देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस कहीं खोई हुई सी नजर आ रही है. जिसे देखकर लग रहा है कि इस बार भी चुनाव में कांग्रेस खाता भी नहीं खुलेगा.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली चुनाव की मैदानी जंग में कांग्रेस लगातार तीसरी बार जीरो पर पहुंच सकती है. अभी तक के रुझानों के अनुसार, बादली सीट से शुरुआती दौर की काउंटिंग में आगे चल रही पार्टी सभी निर्वाचन क्षेत्रों में पीछे चल रही है.
क्या इस बार भी नहीं मिलेगी सफलता?
राजधानी दिल्ली में साल 2013 तक कांग्रेस ने शासन किया और 15 सालों तक पार्टी ने अच्छी पकड़ बनाई. फिर आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के बाद कांग्रेस दोबारा दिल्ली की गद्दी पर नहीं बैठ पाई. हालांकि पार्टी ने इस बार के विधानसभा चुनाव में अपनी सारी ताकत लगा दी, लेकिन फिर भी सफलता मिलती नहीं दिखाई दे रही है. बता दें कि राजनीति में अपनी पकड़ फिर से बनाने के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा जैसे वरिष्ठ नेताओं द्वारा चुनावों से पहले कई रैलियां आयोजित करके भरपूर प्रयास किया था.
एग्जिट पोल में मिले थे हार के संकेत
विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले कई एग्जिट पोल ने कांग्रेस के लिए जीरो की हैट्रिक की भविष्यवाणी की थी. कांग्रेस ने दिल्ली में 2013 के विधानसभा चुनाव अपना खाता में खोला था , जब उसने 8 सीटें जीती थीं. पार्टी को 24.55 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि भाजपा को 33.07 प्रतिशत और आप को 29.49 प्रतिशत वोट मिले थे.
2013 में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी भाजपा को 31 सीटें मिलीं, जो 70 सदस्यीय सदन में आवश्यक बहुमत से 5 सीटें कम थीं. इसके बाद अरविंद केजरीवाल की आप ने 28 सीटें हासिल कीं और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई. हालांकि, उनका गठबंधन केवल 49 दिनों तक चला. अब देखना यह होगा कि क्या इस बार के चुनाव में कांग्रेस को एक भी सीट मिलती है या नहीं.