मोहल्ला क्लीनिक अब बनेंगे आरोग्य आयुष्यमान मंदिर! BJP सरकार कर रही बदलाव की तैयारी

Mohalla Clinic: दिल्ली की बीजेपी सरकार आम आदमी पार्टी की सरकार में शुरू किए गए मोहल्ला क्लीनिक को बदलने वाली है. अब इसे आरोग्य आयुष्य मंदिर स्थापित किया जाएगा. उस संबंध में तैयारी की जा रही है. जिसके तहत 51 लाख लोगों को तुरंत आयुष्मान कार्ड जारी किए जाएंगे.;

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Ayushman Arogya Mandir: हाल में हुए दिल्ली विधानसभा में भाजपा को 27 साल बाद राजधानी में जीत मिली है. पार्टी अब सरकार बनाने को तैयार है. हालांकि अभी पार्टी ने मुख्यमंत्री के नाम का एलान नहीं किया है. बीजेपी के चुनाव जीतने के बाद से कई बड़े बदलाव किए जा रहे हैं. अब सूत्रों का कहना कि अरविंद केजरीवाल की सरकार में शुरू किए गए मोहल्ला क्लीनिक का नाम बदला जाएगा.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार के कार्यकाल में जनता के लिए मोहल्ला क्लीनिक खोले गए थे. अब ऐसा दावा किया जा रहा है कि बीजेपी ने उसका नाम बदलकर और नया रूप देकर इसे आरोग्य आयुष्य मंदिर के रूप में स्थापित करने का फैसला लिया है. इसके लिए टेंडर भी दिए जाएंगे. इस संबंध में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय नए स्वास्थ्य मंत्री से रिपोर्ट मांगेगा.

क्यों बदले जाएंगे मोहल्ला क्लीनिक के नाम?

दिल्ली में जगह-जगह स्थापित मोहल्ला क्लीनिक को अरविंद केजरीवाल अपनी बड़ी सफलता मानती है. अब बीजेपी इसे नया रूप देगी. साथ ही मोहल्ला क्लीनिक को लेकर भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करेगी- जिसमें दवाओं की खरीद और रखरखाव से जुड़े मामले भी शामिल हैं. नई सरकार केंद्रीय नीति के तहत मोहल्ला क्लीनिकों को आरोग्य आयुष्य मंदिर में परिवर्तित किया जाएगा.

कैसा होगा आरोग्य आयुष्य मंदिर?

दिल्ली की जनता को स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं पहुंचाने के लिए आरोग्य आयुष्य मंदिर स्थापित किए जाएंगे. जिसके तहत 51 लाख लोगों को तुरंत आयुष्मान कार्ड जारी किए जाएंगे. दिल्ली में इन 51 लाख लोगों की पहचान की गई है जो सही सामाजिक-आर्थिक वर्ग में आते हैं. इसमें 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के 6 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को शामिल किया गया है, जो सामाजिक-आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना 4.5 करोड़ परिवारों को कवर करता है.

मोहल्ला क्लीनिक लगे थे भ्रष्टाचार के आरोप

दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आप सरकार पर मोहल्ला क्लीनिक में भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाए गए थे. जिसके बाद यह मुद्दा सुर्खियों में आ गया. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने कहा है कि मरीजों के बारे में डेटा "फेक" लगता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि डॉक्टरों और डायग्नोस्टिक लैब से जुड़े अधिकारियों की "मिलीभगत" की संभावना है, जहां टेस्ट आउटसोर्स किए जा रहे थे.

अधिकारियों ने बताया कि फरवरी-दिसंबर 2023 के दौरान दो निजी प्रयोगशालाओं ने करीब 22 लाख टेस्ट किए, जिनमें से 65,000 फर्जी पाए गए. सरकार ने इन लैब को टेस्ट के लिए 4.63 करोड़ रुपये का भुगतान किया. वहीं गृह मंत्रालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो को मामले की जांच करने का निर्देश दिया.

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