क्या कभी सफेद हुआ करता था 'Lal Qila', सोशल मीडिया के दावों में कितना है दम?

Republic Day 2025: मुगल सम्राट शाहजहां ने 1639 में दिल्ली में स्थित ऐतिहासिक लाल किले का निर्माण करवाया था. यह लाल बलुआ पत्थर से बना है इसलिए इसका रंग लाल है और इमारत का नाम लाल किला पड़ा. लेकिन सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि लाल किले का मूल रंग लाल और सफेद दोनों था. हालांकि भारत सरकार की ओर से इस तरह का कोई दावा कभी नहीं किया गया.;

( Image Source:  canva )

Republic Day 2025: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रसिद्ध ऐतिहासिक लाल किला भारत के इतिहास की गवाही देता है. हर साल स्वतंत्रता दिवस प्रधानमंत्री लाल किले पर झंडा फहराते हैं और देश को संबोधित करते हैं. इस किले को 1639 में मुगल सम्राट शाहजहां ने बनवाया था. जिन्होंने अपना दरबार आगरा से दिल्ली बदला था. यहीं से आजाद भारत में पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू अपना भाषण दिया था.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, लाल रंगा दिखने वाला यह किले जो कि लाल किले के नाम से मशहूर है. इसके रंग को लेकर बड़े दावे किए जाते हैं. सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि लाल किले का असली सिर्फ 'लाल' नहीं था., बल्कि 'लाल और सफेद' था. अब हर इस दावे पर चर्चा कर रहा है कि अगर लाल रंग कुछ और होता तो उसका नाम क्या होता? आगे हम इस वायरल दावे के बारे में बताएंगे.

लाल किला था 'सफेद'?

टेलीग्राफ ने आर्किटेक के हवाले से बताया कि किले को 'लाल और सफेद किला' के नाम से जाना जाना चाहिए. क्योंकि इसके निर्माता शाहजहां ने रंगों के मैच को पसंद किया था, शाहजहां ने इसे मूल रूप से 'धन्य किला' नाम दिया गया था. हालांकि भारत सरकार की वेबसाइट यह दावा नहीं करती कि लाल किला मूल रूप से सफेद रंग का था. किंवदंती के अनुसार किले का बाहरी हिस्सा शुरू में लाल और सफेद था, लेकिन बाद में अंग्रेजों ने इसे पूरी तरह से लाल रंग में रंग दिया.

क्या है दावे का सच?

आर्किटेक्चरल सर्वे के प्रमुख के.के. मोहम्मद ने कहा कि 'लाल किला' एक "गलत धारणा" है, क्योंकि इसकी बाहरी प्राचीर लाल बलुआ पत्थर से बनी है. "लाल किले का ज्यादातर हिस्सा जितना लोग समझते हैं, उससे कहीं अधिक सफेद है." उन्होंने कहा कि यह नहीं बताया कि किले को अंग्रेजों ने या मुगलों ने खुद रंगा था, लेकिन वर्तमान में शाही गैलरी के मैन गेट नौबतखाना को सफेद चूने के प्लास्टर के अनुरूप रंगने का काम चल रहा है.

वहीं वास्तुकार रतीश नंदा ने का कहना है कि "अंग्रेजों ने भारत में संरक्षण की शुरुआत की, लेकिन उन्होंने उस प्रणाली को भी खत्म कर दिया जिसके जरिए से इन इमारतों को संरक्षित किया जाता था. रिकॉर्ड से पता चलता है कि इमारतें सफेद थीं. मुगलों ने इसे लाल और सफेद रंग में बदला था.

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