कितनी होती है मेयर की सैलरी और पावर? जानें क्या क्या मिलती है सुविधाएं

छत्तीसगढ़ में 15 फरवरी को हुए नगरीय निकाय चुनाव में बीजेपी ने सभी 10 नगर निगमों में मेयर पद पर जीत हासिल की. मेयर को सरकार से 26,000 रुपये मासिक वेतन, 4000 रुपये सत्कार भत्ता, बंगला, गाड़ी और अन्य सुविधाएं मिलती हैं. उन्हें वार्ड बैठकों के लिए दैनिक भत्ता भी दिया जाता है, जिससे वार्षिक मानदेय करीब 6.60 लाख रुपये होता है.;

Edited By :  नवनीत कुमार
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छत्तीसगढ़ में 15 फरवरी को नगरीय निकाय चुनाव के नतीजे घोषित किए गए, जिसमें बीजेपी ने बड़ी जीत दर्ज की. विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद बीजेपी ने प्रदेश के सभी नगर निगमों में भी अपनी पकड़ मजबूत कर ली. छत्तीसगढ़ में कुल 10 नगर निगम हैं, और इन सभी में मेयर पद पर बीजेपी के प्रत्याशी विजयी रहे, जबकि अन्य पार्टियों के उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा.

चुनाव प्रचार और टिकट हासिल करने की प्रक्रिया में प्रत्याशियों ने लाखों रुपये खर्च किए. ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर चुनाव जीतने के बाद मेयर को कितनी सैलरी मिलती है, जिससे वे चुनाव प्रचार पर इतना खर्च करने को तैयार रहते हैं. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि एक मेयर को वेतन और अन्य भत्तों के रूप में कितनी सुविधाएं प्राप्त होती हैं.

कितनी होती है सैलरी?

छत्तीसगढ़ में 5 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में नगर निगम का गठन किया जाता है, जहां मेयर एक निर्वाचित प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है. सरकारी नियमों के अनुसार, छत्तीसगढ़ में मेयर को 26,000 रुपये मासिक वेतन दिया जाता है. इसके अलावा, उन्हें 4,000 रुपये प्रति माह सत्कार भत्ता भी प्राप्त होता है. साथ ही, मेयर को बंगला, गाड़ी, आवासीय कर्मचारी और कार्यालय स्टाफ जैसी सुविधाएं भी दी जाती हैं.

बैठक के लिए मिलता है दैनिक भत्ता

मेयर को नगर निगम और इसकी समितियों की बैठकों में भाग लेने के लिए दैनिक भत्ता भी मिलता है. किसी भी वार्ड समिति की बैठक में भाग लेने पर मेयर या उनके नामित सदस्य को 225 रुपये प्रति बैठक का भत्ता दिया जाता है, हालांकि यह राशि 900 रुपये प्रति माह से अधिक नहीं हो सकती. इसके अतिरिक्त, पूरे वर्ष में मेयर को विभिन्न भत्तों सहित कुल मिलाकर लगभग 6.60 लाख रुपये का मानदेय प्राप्त होता है.

कितनी होती है पावर?

मेयर नगर निकाय का प्रमुख होता है और शहर की विकास योजनाओं को बनाना और लागू करना उसकी मुख्य जिम्मेदारी होती है. शहर में पानी, सीवरेज, सौंदर्यीकरण और अन्य बुनियादी सुविधाओं की योजनाएं तैयार करने और उन पर काम करने का निर्णय भी मेयर के हाथ में होता है. वह निगम की बैठकों की अध्यक्षता करता है और नगर प्रोटोकॉल में सबसे ऊंचे पद पर होता है. किसी भी एजेंडे को सदन में लाने से पहले मेयर की मंजूरी आवश्यक होती है. यहां तक कि अगर प्रधानमंत्री भी शहर के दौरे पर आते हैं, तो मेयर प्रोटोकॉल के तहत उन्हें कुछ घंटों के लिए शहर की चाबी सौंप सकता है.

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