MMC जोन के माओवादियों की हालत पस्त! सरेंडर करने के लिए रखी शर्त, 3 राज्यों के सीएम को लिखी चिट्ठी
एमएमसी जोन में माओवादियों की कमजोर होती पकड़ के बीच संगठन की ओर से तीन राज्यों ( महाराष्ट्र, मध्य प्रदश और छत्तीसगढ़) के मुख्यमंत्रियों के नाम एक लेटर भेजा गया है. माओवादियों में अपने पत्र में सरकार के सामने आत्मसमर्पण की इच्छा जताते हुए कई शर्तें रखी हैं. इस दौरान सुरक्षा बलों से बड़े ऑपरेशन रोकने की मांग की है.;
CPI (माओवादी) की महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ (MMC) स्पेशल जोनल में सुरक्षा बलों के लगातार ऑपरेशन कमर टूट गई है. यही वजह है कि एमएमसी जोन के माओवादी कमेटी के कमांडर सरकार ने हथियार डालने और रिहैबिलिटेशन प्रोसेस में शामिल होने के लिए 15 फरवरी, 2026 तक का समय मांगा है. सीपीआई माओवादी ने 22 नवंबर को इस बाबत बयान जारी किया है. कमेटी के प्रवक्ता अनंत के इसको लेकर एक प्रेस नोट भी जारी किया है.
दरअसल, एमएमसी जोन में पिछले एक वर्ष में सुरक्षा बलों ने कई बड़े ऑपरेशन चलाए हैं. उसी का नतीजा है कि माओवादियों की ताकत में भारी गिरावट आई है. कई टॉप कमांडर या तो मारे जा चुके हैं या सरेंडर कर चुके हैं. सीआरपीएफ, एसटीएफ और स्थानीय पुलिस की संयुक्त कार्रवाई से उनका नेटवर्क बिखर गया है.
MMC जोन में गढ़चिरौली (महाराष्ट्र), बालाघाट (मध्य प्रदेश) और राजनांदगांव-कबीरधाम (छत्तीसगढ़) के घने ट्राई-जंक्शन जंगल आते हैं. ऐतिहासिक रूप से उत्तरी और पश्चिमी इलाकों को दंडकारण्य कोर से जोड़ने वाले एक स्ट्रेटेजिक कॉरिडोर के तौर पर काम करता रहा है. पिछले कई सालों तक, इस इलाके ने कंपनी और प्लाटून लेवल की पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) की टुकड़ियों को सपोर्ट किया और बस्तर और गढ़चिरौली के बीच कैडर के आने-जाने में मदद की.
माओवादी सरेंडर के लिए मजबूर
सुरक्षा बलों के अधिकारियों का कहना है कि पिछले कुछ सालों में लगातार ऑपरेशन ने इस इलाके को काफी कमजोर कर दिया है, जिससे एक्टिव हथियारबंद कैडर की संख्या कम हो गई है और सप्लाई लाइनें बाधित हुई हैं.
CM से ऑपरेशन रोकने की अपील
एमएमसी माओवादी के प्रवक्ता की ओर जारी बयान के अनुसार ग्रुप का इरादा PLGA-फ्री एक्टिविटीज की ओर बढ़ना है और उसने तीनों राज्य सरकारों से बदलाव के समय में सर्च और माओवादी विरोधी ऑपरेशन रोकने की रिक्वेस्ट की है. साथ ही सीएम को लिखी चिट्ठी में कहा है कि उनके पास अलग-अलग यूनिट्स के पास सीधे कम्युनिकेशन चैनल नहीं होने से सरेंडर के लिए कुछ वक्त चाहिए. इसने राज्य सरकारों से यह पक्का करने को कहा कि अपील बिना किसी देरी के सभी अंडरग्राउंड कैडर तक पहुंचे.
पत्रकारों से बातचीत की मांगी छूट
कमेटी ने सरेंडर और रिहैबिलिटेशन के लिए आपसी सहमति से तय शेड्यूल बनाने के लिए कुछ पब्लिक रिप्रेजेंटेटिव और पत्रकारों से बातचीत करने की भी इजाजत मांगी है. ग्रुप ने कहा कि वह सरकारों के साथ शुरुआती बातचीत के बाद एक और प्रेस स्टेटमेंट जारी करेगा, जिसमें हथियार डालने की पक्की तारीख बताई जाएगी और तीनों राज्यों से इस प्रोसेस को इलाके में शांति बहाल करने के मौके के तौर पर लेने की अपील की.
ऑपरेशन रोकना संभव नहीं : ADG नक्सल
छत्तीसगढ़ के सीनियर पुलिस अधिकारियों ने कहा कि ऑफर की जांच की जाएगी, लेकिन उन्होंने कहा कि सरेंडर करना सभी हथियारबंद कैडर के लिए पहले से ही एक ऑप्शन है.
एडिशनल डायरेक्टर जनरल (ADG) नक्सल ऑपरेशन विवेकानंद सिन्हा ने कहा कि इस मुद्दे पर पुलिस की एक जैसी पॉलिसी है. उन्होंने कहा, “वे कभी भी और कहीं भी सरेंडर कर सकते हैं. माओवादियों को सबसे पास के कैंप की जगह पता है और वे बिना किसी शर्त के वहां पहुंच सकते हैं.”
अधिकारियों ने आगे कहा कि हालांकि, रिहैबिलिटेशन के रास्ते मौजूद हैं, लेकिन MMC बेल्ट में कोऑर्डिनेटर ऑपरेशन जारी रहेंगे ताकि बचे हुए ग्रुप को फिर से इकट्ठा होने से रोका जा सके.