शराब के नशे में दरिंदा बना पति! जबरन बीवी से बना रहा था संबंध, मना करने पर पत्थर से कूचकर की हत्या

बबुआ और ढेली बाई की एक साधारण दंपती, दो छोटे बच्चों के माता-पिता जिनकी चार साल पहले दोनों की शादी हुई थी. गांव में लोग उन्हें एक सामान्य जोड़ा मानते थे, लेकिन घर के भीतर की सच्चाई कुछ और ही थी.;

Edited By :  रूपाली राय
Updated On :

छत्तीसगढ़ के सुदूर पहाड़ियों और घने जंगलों के बीच बसी बस्तियों में ज़िंदगी भले ही धीमी हो, लेकिन उस शांति के पीछे अक्सर कई कहानियां दबी होती हैं. कहानियां दर्द की, डर की और दम तोड़ती उम्मीदों की. बलरामपुर-रामानुजगंज जिले की चैनपुर बस्ती भी उन्हीं में से एक है, जहां की रातें आज भी दीपक की लौ और सन्नाटे की आवाज़ से भरी होती हैं. लेकिन इस बार वो सन्नाटा एक ऐसी चीख़ के बाद आया, जिसे किसी ने सुना नहीं क्योंकि वह एक औरत की चीख़ थी, और इस देश में औरतों की चीख़ अक्सर घर की चारदीवारी में दम तोड़ देती है.

यह कहानी है बबुआ और ढेली बाई की एक साधारण दंपती, दो छोटे बच्चों के माता-पिता जिनकी चार साल पहले दोनों की शादी हुई थी. गांव में लोग उन्हें एक सामान्य जोड़ा मानते थे, लेकिन घर के भीतर की सच्चाई कुछ और ही थी. बबुआ शराब का लती था, गुस्सैल था, और अक्सर अपनी पत्नी पर हाथ उठाता था. लेकिन ढेली बाई, जैसे तमाम औरतें करती हैं, घर की शांति के लिए सबकुछ सहती रही. शायद बच्चों की खातिर, शायद सामाजिक शर्म के डर से या शायद इसलिए क्योंकि उसे कहीं और जाने का कोई रास्ता नज़र नहीं आता था.

संबंध बनाने की ज़िद 

बुधवार की रात बबुआ के माता-पिता और बाकी घरवाले गांव से बाहर गए हुए थे, घर में सिर्फ पति-पत्नी थे. रात के सन्नाटे में जब बबुआ शराब पीकर लौटा, तो उसने ढेली बाई से जबरन संबंध बनाने की ज़िद की. ढेली ने मना कर दिया, शायद उसकी तबियत ठीक न हो, शायद मन न हो, या शायद अब उसके सब्र का बांध टूट चुका हो. लेकिन औरत के ‘ना’ ने उस रात फिर एक बार हिंसा को न्योता दिया.

इंसान से हैवान बना पति

पत्नी का इंकार से बौखलाया बबुआ ने उसे पीटना शुरू कर दिया. चीख-पुकार सुनकर ढेली के पिता मधु और उसका भाई साधो दौड़े आए. उन्होंने दामाद को समझाया, झगड़ा हुआ, हाथापाई भी हुई. लेकिन उन्होंने सोचा मामला शांत हो गया है, और लौट गए. शायद उन्हें नहीं पता था कि उन्होंने एक ज्वालामुखी को और भड़का दिया है. जैसे ही वे लौटे, बबुआ ने ढेली बाई पर आरोप लगाया कि उसी ने उसे पिटवाया. उसने फिर पीटना शुरू किया, इस बार ज़्यादा गुस्से और ज़्यादा नफरत के साथ और फिर, जब ढेली बाई अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही थी, बबुआ ने एक भारी पत्थर उठाया और उसके सिर पर दे मारा. एक ही वार में ढेली बाई की जिंदगी की आखिरी सांस रुक गई.

सारी रात शव के बैठा रहा पति 

हत्या के बाद बबुआ को कोई पछतावा नहीं हुआ. वह पत्नी की लाश के पास पूरी रात बैठा रहा, जैसे कुछ हुआ ही नहीं. सुबह जब घर से कोई आवाज़ नहीं आई, तो पड़ोसियों को शक हुआ. कोटवार को बुलाया गया, फिर पुलिस आई. जब दरवाजा खोला गया, तो अंदर का दृश्य किसी डरावने दृश्य से कम नहीं था. एक पत्नी की लाश खून में सनी हुई थी और पति चुपचाप पास बैठा था. ढेली बाई की मौत सिर्फ एक घरेलू हिंसा की घटना नहीं है, यह उस समाज की असफलता है जो शराबी पति को “मर्द का गुस्सा” कहकर बख्श देता है, उस औरत की चीख़ को घरेलू मामला” मानकर अनदेखा कर देता है, और उस सिसकती आत्मा को जीते जी मार डालता है. बबुआ को गिरफ्तार कर लिया गया है. 

Similar News