छत्तीसगढ़ में फेक SBI ब्रांच हुआ खुलासा, नौकरियों के लिए बेरोजगारों से वसूली मोटी रकम

इन दिनों किंग घोटालों की घटनाएं काफी तेजी से बढ़ती हुई नजर आ रही है. हाल ही में छत्तीसगढ़ से एक मामला सामने आया है, जहां पर भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक पूरी तरह से फर्जी ब्रांच खोलकर स्थानीय ग्रामीणों और बेरोजगारों को ठगने की कोशिश की. जालसाजों ने बेरोजगार युवाओं को SBI के फर्जी ऑफर लेटर दिए और उन्हें मैनेजर, मार्केटिंग ऑफिसर, कैशियर और कंप्यूटर ऑपरेटर जैसी पोस्ट पर नियुक्त किया.;

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Edited By :  संस्कृति जयपुरिया
Updated On : 3 Oct 2024 4:40 PM IST

हाल के वर्षों में धोखाधड़ी और बैंकिंग घोटालों की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में हाल ही में सामने आया एक मामला सबसे साहसी योजनाओं में से एक है. अपराधियों ने यहां भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक पूरी तरह से फर्जी ब्रांच खोलकर स्थानीय ग्रामीणों और बेरोजगारों को ठगने की कोशिश की. इस योजना में नकली नियुक्तियाँ, फर्जी ट्रेनिंग और सरकारी नौकरी का लालच देकर मोटी रकम वसूलना शामिल था.

छत्तीसगढ़ के शक्ति जिले के छपोरा गाँव में अपराधियों ने पूरी तरह से असली दिखने वाली एसबीआई ब्रांच खोली. यह ब्रांच सिर्फ 10 दिन पहले खोली गई थी, जिसमें असली बैंक की तरह सब कुछ था, जैसे की- नया फर्नीचर, पेशेवर कागजात, और कामकाजी बैंक काउंटर. इस नकली बैंक ने ग्रामीणों और बेरोजगार युवाओं को अपने जाल में फंसाना शुरू कर दिया. स्थानीय लोग खाता खोलने और लेन-देन करने के लिए इस शाखा में आना शुरू कर चुके थे, जबकि वहाँ नियुक्त कर्मचारी सरकारी बैंक में नौकरी पाने को लेकर बेहद खुश थे.

डबरा ब्रांच के मैनेजर की सतर्कता से खुला राज़

सब कुछ सामान्य चल रहा था, लेकिन पास की डबरा ब्रांच के प्रबंधक ने जब 27 सितंबर को छपोरा में खुली इस "ब्रांच" के बारे में शक जताया, तो एसबीआई के शीर्ष अधिकारियों और पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू की. छानबीन के बाद यह खुलासा हुआ कि छपोरा में चल रही यह ब्रांच पूरी तरह से फर्जी थी.

जालसाजों ने बेरोजगार युवाओं को SBI के फर्जी ऑफर लेटर दिए और उन्हें मैनेजर, मार्केटिंग ऑफिसर, कैशियर और कंप्यूटर ऑपरेटर जैसी पोस्ट पर नियुक्त किया. इन नौकरियों के लिए बेरोजगारों से 2 से 6 लाख रुपये तक की मोटी रकम वसूली गई. फर्जी ट्रेनिंग सेशन भी आयोजित किए गए थे, जिससे नकली ब्रांच की सच्चाई पर किसी को शक न हो.

ग्रामीणों का शक और घोटाले का पर्दाफाश

स्थानीय ग्रामीण अजय कुमार अग्रवाल ने छपोरा में अचानक खुली इस ब्रांच को लेकर शक जताया. उनकी निकटतम वैध एसबीआई ब्रांच डबरा में थी, इसलिए बिना किसी सूचना के नई ब्रांच खुलने पर उन्हें संदेह हुआ. जब उन्होंने बैंक के कर्मचारियों से सवाल किया, तो वे संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए. साइनबोर्ड पर कोई ब्रांच कोड भी नहीं था. यह फर्जी एसबीआई ब्रांच गांव के निवासी तोष चंद्र के किराए के परिसर में स्थापित की गई थी, जिसका मासिक किराया 7,000 रुपये था. जालसाजों ने इस ब्रांच को असली दिखाने के लिए फर्नीचर और साइनबोर्ड की भी व्यवस्था की थी. वे कोरबा, बालोद, कबीरधाम और शक्ति के बेरोजगार युवाओं को अपने निशाने पर रख रहे थे.

घोटाले का शिकार हुईं ज्योति यादव ने बताया, "मुझे 30,000 रुपये का वेतन देने का वादा किया गया था और मेरी नियुक्ति भी कन्फर्म हो गई थी." वहीं एक अन्य पीड़ित संगीता कंवर ने कहा, "मुझसे 5 लाख रुपये मांगे गए थे, लेकिन मैंने अंततः 2.5 लाख रुपये दिए. मुझे 35,000 रुपये का वेतन देने का वादा किया गया था."

स्थानीय ग्रामीण राम कुमार चंद्रा ने कहा, "अगर फर्जी बैंक चलता रहता, तो कई ग्रामीण अपनी मेहनत की कमाई जमा कर देते और करोड़ों की ठगी हो जाती." अब पीड़ित बेरोजगार युवाओं को न केवल वित्तीय नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि उन्होंने जो ऋण लिए या गहने गिरवी रखे थे, उनके लिए भी उन्हें मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं.

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