यूथ + महिलाएं = बिहार की कुर्सी, NDA को मिल सकता है मेंडेट, पीके बने X फैक्टर; ओपिनियन पोल में महागठबंधन के लिए बैड न्यूज
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले जारी पोलस्ट्रैट ओपिनियन पोल ने सियासी हलचल तेज कर दी है. सर्वे में एनडीए को 44.80% वोट शेयर के साथ बहुमत का अनुमान, जबकि महागठबंधन 38.60% पर पिछड़ता दिखा. सबसे बड़ा ट्विस्ट युवा वोटर्स का झुकाव महागठबंधन और उभरती पार्टी जन सुराज की तरफ है, जिसे 18-25 आयु वर्ग में 12% समर्थन मिला है. वहीं उम्र बढ़ने के साथ एनडीए की पकड़ फिर मजबूत होती दिख रही है.;
बिहार चुनाव 2025 का माहौल अब सिर्फ “कौन जीतेगा?” तक सीमित नहीं है, बल्कि अब असली बहस यह है, “खेल बदलेगा कौन? युवा या महिलाएं?”. जब मैदान में सत्ता का पुराना समीकरण और जनता का नया मूड आमने-सामने हो, तो ओपिनियन पोल सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि चुनावी मानस का आईना बन जाते हैं. यही वजह है कि पोलस्ट्रैट के ताज़ा सर्वे ने राजनीतिक गलियारों में बेचैनी बढ़ा दी है.
बीजेपी-जेडीयू की अगुवाई वाला एनडीए और राजद-कांग्रेस वाला महागठबंधन, दोनों ही अपनी-अपनी रणनीति गढ़ रहे हैं, लेकिन सर्वे के नतीजे यह संकेत दे रहे हैं कि इस बार युवा वोट और महिला वोट दोनों चुनाव का सारा गणित बदल सकते हैं. सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि इस बार मैदान में कोई तीसरा मोर्चा नहीं, बल्कि युवाओं की पसंद बदलने वाला नया खिलाड़ी ‘जन सुराज’ तेजी से उभर रहा है.
ओपिनियन पोल में एनडीए को बढ़त
पोलस्ट्रैट के आंकड़ों के मुताबिक, एनडीए 44.80% वोट शेयर के साथ चुनावी मुकाबले में आगे है, जबकि महागठबंधन 38.60% वोट पर रुकता हुआ दिख रहा है. सीटों के हिसाब से देखें तो एनडीए को 133-142 के बीच, जबकि महागठबंधन को 80-88 सीटें मिलने का अनुमान है. यह अंतर केवल आंकड़ों का नहीं, बल्कि सत्ता के मनोविज्ञान का भी है.
युवा मतदाता पलट सकता है खेल
18-25 साल के वोटरों में मुकाबला उलटा है. यहां महागठबंधन 40.73% वोट के साथ आगे है, जबकि एनडीए थोड़ा पीछे. लेकिन इसी आयु वर्ग में एक चौंकाने वाली एंट्री है ‘जन सुराज’ की, जिसे 12% युवा वोट मिलते दिख रहे हैं. यानी युवा अब सिर्फ दो गठबंधनों के बीच बंटा नहीं है, बल्कि तीसरा विकल्प भी चुनने लगा है.
उम्र बढ़ते ही मत बदला
26-40 आयु वर्ग में एनडीए 43% से अधिक वोट पाता है, वहीं 41-59 आयु वर्ग में यह बढ़त 47% से भी ऊपर जाती है. वरिष्ठ मतदाताओं में भी यही प्रवृत्ति जारी है. यानी जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, एनडीए का भरोसा और मजबूत होता दिखता है.
जन सुराज – अब चुनाव का ‘X फैक्टर’
प्रशांत किशोर की अगुवाई वाली जन सुराज पार्टी पहली बार चुनाव मैदान में है, लेकिन असर गहरा है. खास बात यह है कि यह पार्टी पारंपरिक जातीय समीकरणों पर नहीं, युवा और बदलाव के नारे पर फोकस कर रही है. भले ही सीटें कम हों, पर वोट शेयर में यह पार्टी बाकी दलों की मुश्किलें बढ़ा रही है.
महिला वोटर – अब सिर्फ आंकड़ा नहीं, निर्णायक शक्ति
पोलस्ट्रैट के डेटा के बाद कई राजनीतिक दल अपनी रणनीति अब महिला वोटरों की ओर मोड़ रहे हैं. बिहार में पिछले दो चुनाव यह साबित कर चुके हैं कि महिलाओं का वोट पैटर्न पुरुषों से अलग और निर्णायक होता है. इस बार यह वोट बैंक किस तरफ झुकेगा, यही चुनाव का असली मोड़ तय कर सकता है.
चाणक्य सर्वे भी दे रहा एनडीए को बढ़त
पोलस्ट्रैट के अलावा चाणक्य स्ट्रैटेजीज के सर्वे ने भी एनडीए की बढ़त की पुष्टि की है. इस सर्वे में एनडीए 128-134 और महागठबंधन 102-108 सीटों के बीच दिखाया गया है. AIMIM, RLJP और अन्य छोटे दल 0-3 सीटों तक सीमित बताए गए हैं.
क्या वोट शेयर = पक्की जीत?
हालांकि एनडीए आगे दिख रहा है, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो 6% वोट का अंतर भी मैदान में बर्फ की तरह पिघल सकता है, खासकर तब जब कोई मुद्दा एकदम से चुनावी माहौल बदल दे. इस बार मुद्दे जाति और धर्म पर नहीं, बल्कि रोजगार, सरकारी भर्ती, महिला सुरक्षा और महंगाई पर टिके दिखते हैं.
चुनाव की चाबी युवा हाथों में, दिशा महिलाओं के पास
दोनों दल जानते हैं कि इस बार वोटिंग सिर्फ सत्ता बदलने की लड़ाई नहीं, बल्कि नया नेतृत्व चुनने का फैसला है. इसलिए सवाल सिर्फ इतना नहीं कि “कौन जीतेगा?”, बल्कि यह है, “बिहार का भविष्य लिखेगा कौन? युवा मतदाता या महिला मतदाता?”