नीतीश कुमार को बार-बार क्यों उलझा रहे चिराग? क्या है उनका इरादा, पार्टी के नेता ने कर दिया खुलासा
केंद्रीय मंत्री और एनडीए के सहयोगी चिराग पासवान इस बार नीतीश कुमार पर 2020 की तरह सीधे हमला तो नहीं बोल रहे हैं, लेकिन वह जेडीयू को विपक्ष की तरह घेरने में कोई कसर भी नहीं छोड़ रहे हैं. लोग पूछ रहे हैं कि चिराग गठबंधन में हैं या उनकी कब्र खोद रहे हैं? कहीं उनकी मंशा जेडीयू को इस बार भी नुकसान पहुंचाने की तो नहीं है.;
बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक दल (बीजेपी, जेडीयू, एलजेपीआर, हम और राष्ट्रीय लोक मंच) विधानसभा चुनाव जीत प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए पुरजोर कोशिश में जुटे हैं, लेकिन चिराग पासवान पांच साल पहले की तरह इस बार भी अलहदा मोड में हैं. वह गठबंधन में रहते हुए एनडीए के खिलाफ बोल रहे हैं. उनका ये तेवर नीतीश कुमार को अच्छा नहीं लगा रहा, लेकिन वो चाहते हुए भी कुछ नहीं कर सकते. ऐसा इसलिए कि चिराग खुद को पीएम मोदी का 'हनुमान' जो बताते हैं.
पीएम मोदी और अमित शाह से नजदीकी कहें या फिर चिराग की महत्वाकांक्षा वो रह-रहकर नीतीश कुमार को बिहार में सियासी दर्द दे रहे हैं. अब उन्होंने उद्योगपति अशोक खेमका की मौत के बाद एनडीए सरकार का पक्ष लेने के बदले महागबंधन दल (आरजेडी, कांग्रेस और वामपंथी दलों) के सुर में सुर मिलाते हुए प्रदेश में कानून व्यवस्था को चिंता का विषय करार दिया हे. उनके इस बयान विपक्षी नेता नीतीश कुमार के खिलाफ एक ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं.
इससे पहले वो कई बार कह चुके हैं कि एलजेपीआर बिहार विधानसभा की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटी है. दरअसल, चिराग के यही तेवर ने पिछले चुनाव में भी जेडीयू को बड़ा झटका दिया था. इस बार फिर चिराग अभी तक एनडीए के घटक दलों से थोड़ा अलग रास्ते पर चलते दिख रहे हैं. इससे चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के कार्यकर्ताओं का उत्साह तो बढ़ रहा है, लेकिन इसकने एनडीए समर्थकों की दुविधा बढ़ा दी है.
उनके इस रुख से एनडीए के घटक दलों के दूसरी-तीसरी पंक्ति के नेताओं एवं समर्थकों के बीच इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति है कि चिराग का रुख गठबंधन की नीति के विपरीत है या वह सिर्फ अपनी राजनीतिक हैसियत बढ़ाने की एक रणनीति पर काम कर रहे हैं.
एजेपीआर की मंशा क्या है?
चिराग पासवार मोदी कैबिनेट में मंत्री हैं. इसके बावजूद बिहार में कानून व्यवस्था, रोजगार, भ्रष्टाचार और सामाजिक न्याय जैसे मसलों पर नीतीश सरकार पर खुलकर हमला बोल रहे हैं. अशोक खेमका की हत्या को भी उन्होंने चंता का विषय बताया है, जो अप्रत्यक्ष रूप से जदयू और भाजपा को असहज करता है.
चिराग पासवान को यह पता है कि महागठबंधन में उनके लिए सम्मानजनक जगह नहीं है, इसलिए एनडीए के साथ रहते हुए अपना कद बढ़ाने के प्रयास में जुटे हैं. उनकी अहमियत बढ़ेगी तो एनडीए में उन्हें सीटें भी ज्यादा मिल सकती हैं.
साल 2020 के चुनाव में एलजेपीआर ने जेडीयू का नुकसान तो बहुत किया लेकिन खुद एक ही सीट जीत पाई थी. आरजेडी को इसका सबसे ज्यादा मिला था. अब उनकी कोशिश यह है कि भविष्य में उन्हें मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में देखा जाए.
क्या कहा था चिराग ने ?
एलजेपी रामविलास के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने पटना में उद्योगपति गोपाल खेमका की हत्या को लेकर पांच जुलाई को कहा था कि यह सरकार के लिए "चिंता का विषय" होना चाहिए. ऐसी घटनाएं गांव में हो रही हों या शहर में, सरकार को गंभीर होने की जरूरत है.
तो जन हित में सवाल भी न उठाए जाएं - रंजन सिंह
वहीं, बिहार लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास पासवान के प्रवक्ता रंजन सिंह का कहना है कि एलजेपीआर की वैचारिक प्रतिबद्धता और एनडीए का सैद्धांतिक दोनों अलग-अलग हैं. एलजेपी नेताओं बखूबी पता है कि गठबंधन धर्म क्या होता है? पर, यह भी जानने की जरूरत है कि राजनीति में हर दल के अपने प्रमुख एजेंडे होते हैं, जिससे वो समझौता नहीं करती. जनहितैषी मामले आम नागरिकों की सुरक्षा, कानून व्यवस्था, पलायन, बेरोजगारी जैसे मसले पर हमारी पार्टी समझौता नहीं कर सकती.
पार्टी के प्रमुख चिराग पासवान जी यही तो किया है. उन्होंने खेमका की हत्या को चिंता का विषय बताया है. यह हकीकत है. अगर आप बिहार जैसे राज्य में एक उद्योगपति की रक्षा नहीं कर पाएंगे तो यहां पर निवेश कौन करेगा? निवेश ही नहीं होगा तो युवाओं को रोजगार कहां से मिलेंगे? अगर इस पर कुछ न बोलें तो आप क्या चाहते हैं हम जन हित में सवाल भी न उठाए जाएं.
एलजेपीआर केंद्र में महत्वपूर्ण सहयोगी है. बिहार में एलजेपीआर के न विधायक और न ही एमएलसी. नीतीश सरकार में हमारी कोई भूमिका नहीं है. रंजन सिंह का कहना है कि हाल के दिनों में कुछ घटनाएं हुई हैं जो एग्जामपल हैं. इसलिए एलजेपी का बोलना जरूरी है. यह हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है.
उन्होंने आगे कहा कि जो लोग हम पर सवाल उठा रहे है, उन्हें पता है कि बात चिराग पासवान का सीएम बनने न बनने की नहीं है. बिहार में सुरक्षा का माहौल हो, यह हमारी प्राथमिकता है.