कन्हैया कुमार, धनंजय और अब नीतीश... बिहार से JNUSU अध्यक्ष बनने की कायम रही परंपरा, एक किसान के बेटे ने कैसे दी ABVP को शिकस्त?

​बिहार के नीतीश कुमार ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) छात्रसंघ के अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की है. उन्होंने ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फ्रंट (DSF) के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) की शिखा स्वराज को 272 वोटों के अंतर से हराया. नीतीश को 1702 वोट मिले, जबकि शिखा को 1430 वोट प्राप्त हुए. इसके साथ ही, एक बार फिर से अध्यक्ष पद पर 'बिहार' का ही कब्जा रहा.;

By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 29 April 2025 12:07 AM IST

Nitish Kumar JNUSU President: बिहार की मिट्टी खास है... कुछ है तो इस राज्य की आबोहवा में, जो एक से बढ़कर एक छात्रनेता निकल रहे हैं... पहले कन्हैया कुमार, फिर धनंजय कुमार और अब नीतीश कुमार... जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के अध्यक्ष पद पर फिर से बिहार का दबदबा देखने को मिला. जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन के चुनाव में वामपंथी छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फ्रंट (DSF) के संयुक्त उम्मीदवार नीतीश कुमार ने जीत दर्ज की है.

नीतीश कुमार ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की शिखा स्वराज को 272 वोटों से हराया. नीतीश को 1702, जबकि शिखा को 1430 वोट मिले. नीतीश से पहले, धनंजय कुमार JNU छात्र संघ के अध्यक्ष थे. वे भी बिहार के ही गया जिले के रहने वाले हैं. आइए, नीतीश के बारे में आपको विस्तार से बताते हैं...

कौन हैं नीतीश कुमार?

  • नीतीश कुमार बिहार के अररिया जिले के शेखपुरा गांव के रहने वाले हैं. उनकी प्रारंभिक शिक्षा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध सरस्वती शिशु मंदिर में हुई, जो विद्या भारती द्वारा संचालित है. हालांकि, उच्च शिक्षा के दौरान उनका झुकाव वामपंथी विचारधारा की ओर हुआ.
  • नीतीश ने दसवीं तक की पढ़ाई फारबिसगंज के सरस्वती शिशु मंदिर से की, फिर पूर्णिया कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की.
  • इसके बाद नीतीश बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में स्नातक की पढ़ाई के लिए गए, जहां उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर गहराई से विचार करना शुरू किया.
  • बीएचयू में रहते हुए नीतीश ने देखा कि कैसे कुछ नीतियां समाज में विभाजन पैदा कर रही हैं, जिससे उनका झुकाव वामपंथी विचारधारा की ओर हुआ. बाद में वे जेएनयू में एमए करने आए और वर्तमान में पॉलिटिकल साइंस में पीएचडी कर रहे हैं.​

वामपंथी विचारधारा की ओर कैसे हुआ नीतीश कुमार का रुझान?

नीतीश का कहना है कि स्कूल के दिनों में उन्हें आरएसएस की विचारधारा का विशेष अनुभव नहीं हुआ। बीएचयू में अध्ययन के दौरान उन्होंने महसूस किया कि कुछ नीतियां समाज में विभाजन पैदा कर रही हैं, जिससे उनका झुकाव वामपंथी विचारधारा की ओर हुआ. जेएनयू में आने के बाद उन्होंने ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) से जुड़कर छात्र राजनीति में सक्रिय भागीदारी शुरू की।​

किसान हैं नीतीश कुमार के पिता?

नीतीश का परिवार एक साधारण किसान परिवार है. उनके पिता प्रदीप यादव किसान और मां पूनम देवी गृहिणी हैं. उनकी दो बड़ी बहनें हैं, जिनकी शादी हो चुकी है. पारिवारिक पृष्ठभूमि ने उन्हें सामाजिक असमानताओं को समझने और उनके खिलाफ आवाज उठाने की प्रेरणा दी. ​नीतीश के जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष बनने पर शेखपुरा गांव में हर्ष का माहौल है. लोगों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाई दी.

छात्रसंघ अध्यक्ष के रूप में क्या रहेंगी प्राथमिकताएं?

चुनाव जीतने के बाद नीतीश कुमार ने कैंपस की फंड कटौती का मुद्दा उठाया और कहा कि वे सरकारी खजाने से कैंपस का फंड खींचकर लाएंगे. उन्होंने जेएनयू की गरिमा को बहाल करने का संकल्प लिया है.

बिहार से जेएनयू अध्यक्ष बनने की परंपरा

नीतीश कुमार से पहले भी बिहार के कई छात्र जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष रह चुके हैं, जिनमें गया के धनंजय कुमार, तनवीर अख्तर, कटिहार के शकील अहमद खान, सिवान के चंद्रशेखर प्रसाद और बेगूसराय के कन्हैया कुमार शामिल हैं.

नीतीश कुमार का यह सफर दिखाता है कि शिक्षा और अनुभव कैसे व्यक्ति की विचारधारा को आकार देते हैं. एक संघ से संबद्ध स्कूल में पढ़ाई करने के बावजूद, उन्होंने अपने अनुभवों और विचारों के आधार पर वामपंथी राजनीति की राह चुनी और उसमें सफलता हासिल की.

Similar News