Shilpi Jain Murder Case: 26 साल पुराने केस में कैसे आया बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी का नाम? सोशल में मचा हल्ला

1999 का शिल्पी जैन-गौतम सिंह केस एक बार फिर चुनावी सियासत का बड़ा मुद्दा बन गया है. प्रशांत किशोर ने उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर आरोप लगाए, जबकि सम्राट ने इन्हें सिरे से नकार दिया है. अब इसे लेकर सोशल मीडिया पर बवाल मचा है. जानें पूरा विवाद और क्यों गहराई बिहार की राजनीति.;

( Image Source:  sora ai & ANI )
Curated By :  नवनीत कुमार
Updated On : 2 Oct 2025 1:33 PM IST

साल था 1999, पटना के फ्रेजर रोड स्थित उस समय की मुख्यमंत्री रबड़ी देवी के भाई साधु यादव का बंगला (एमएलए क्वार्टर नंबर 12) के गैरेज में खड़ी कार से दो लोगों की लाश मिलती है. नाम था शिल्पी जैन और गौतम सिंह. बताया गया कि दोनों की मौत जहर खाने से हुई थी. जिस हालत में दोनों की लाश मिली उसने पूरे मामले पर सवाल खड़े कर दिए. लड़की के शरीर पर दुष्कर्म के निशान थे और डीएनए टेस्ट में एक से ज्यादा लोगों के शामिल होने की बात सामने आई थी. इसके बावजूद भी पुलिस ने इसे सुसाइड मान लिया. परिवार ने जांच में गड़बड़ी के आरोप लगाए थे और मामला काफी चर्चित हुआ था.

उस समय इस घटना ने बिहार की राजनीति में उथल पुथल मचा दी थी. सीबीआई की जांच में भी पता चला था कि दोनों ने आत्महत्या की थी. अब लगभग 26 साल बाद 2025 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर इसकी चर्चा ने सियासी बहस छेड़ दी है. दरअसल, जन सुराज पार्टी के चीफ प्रशांत किशोर (पीके) ने बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर इस केस में संदिग्ध अभियुक्त के तौर पर नामजद होने का आरोप लगाया. हालांकि सम्राट चौधरी ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया और कहा कि ये आरोप पूरी तरह गलत और बेबुनियाद है. डिप्टी सीएम ने कहा कि जो पीके ये आरोप लगा रहे हैं वो शख्स कोई और था. अब इसे लेकर सोशल मीडिया में बवाल मचा है.

क्यों आया सम्राट चौधरी का नाम?

सम्राट चौधरी ने अपने नाम में कई बार बदलाव किया है. उनका पहला नाम राकेश कुमार मौर्य था. इस वजह से राकेश नाम होने के कारण उनका नाम इस केस से जोड़ा जा रहा है. डिप्टी सीएम का कहना है कि राकेश हाजीपुर का रहने वाला था और उसका आइसक्रीम व्यवसाय था. उनका इस मामले से कोई सीधा संबंध नहीं था. वहीं, प्रशांत किशोर ने दावा किया कि यह राकेश वही व्यक्ति था जो आज उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी हैं और उस समय उनका नाम राकेश कुमार था. अब राकेश कौन था, यह आज भी बिहार की राजनीति और शिल्पी जैन-गौतम सिंह केस के लिए बड़ा सवाल बना हुआ है. सीबीआई जांच के दौरान इस नाम का जिक्र आया था, क्योंकि गौतम सिंह के दोस्तों के ब्लड सैंपल लिए गए थे और उनमें एक राकेश भी शामिल था. इस असली पहचान के सवाल ने बिहार की राजनीति में विवाद और गहमागहमी पैदा कर दी है.

खुले क्यों घूम रहे गुनहगार?

शिल्पी जैन हत्याकांड को लेकर सोशल मीडिया में कई बातें चल रही हैं. Dr. Ashutosh Singh नामक यूजर ने लिखा कि, "चलो, मान लिया कि वो दौर जंगलराज का था, लेकिन क्या आज तक शिल्पी जैन को इंसाफ़ मिला? गुनहगार क्यों खुलेआम घूम रहे हैं और सब चुप क्यों हैं? क्या सभी राजनीतिक पार्टियां इसमें साठगांठ कर बैठी हैं? यह घटना पूरे समाज को हिला देने वाली थी. मैं अपनी आख़िरी सांस तक इस मुद्दे को उठाता रहूंगा, क्योंकि जब तक शिल्पी को न्याय नहीं मिलेगा, तब तक बिहार की बेटियां सुरक्षित महसूस नहीं करेंगी.

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बदनाम करने की साजिश

JhaAjitk नामक यूजर ने लिखा, सम्राट चौधरी को बदनाम करने की साजिश को समझिए. जनसुराज और पीके की डिजिटल टीम शिल्पी मर्डर केस पर विकीपीडिया का पेज शेयर कर रही है. इसमें सस्पेक्ट के तौर पर साधु यादव के साथ @samrat4bjp का नाम है. पर सच्चाई यह है कि यह नाम हाल में जोड़ा गया है. जानबूझकर, क्योंकि सामान्य लोगों के लिए विकीपीडिया पर लिखा सब कुछ सत्य है. 27 सितंबर को एक अकाउंट क्रिएट किया गया और 29 सितंबर को सम्राट चौधरी का नाम जोड़ने का खेला हुआ.

पार्टी से निकाले जाएं सम्राट चौधरी

manisskumar09 नामक यूजर ने लिखा, 'सबसे बड़े नरसंहारी परिवार के युवराज और भाजपा के अघोषित मुख्यमंत्री उम्मीदवार सम्राट चौधरी, इनके पिता पर कुल 16 हत्या के मामले चल रहे थे, इन युवराज पर भी लगभग 6–7 हत्या के मामले दर्ज थे और उनमें सबसे अमानवीय शिल्पी जैन रेप और हत्या मामला था. अगर भाजपा महिला सम्मान करती है तो इसे अभी पार्टी से निष्कासित करे और साबित करे शिल्पी जैन मामला सिर्फ राजनैतिक फायदे के लिए नहीं बल्कि न्याय के लिए बीजेपी ने उठाया था. प्रशांत किशोर की सराहना बनती है उन्होंने शिल्पी जैन मामले पर इस आरोपी का नाम पब्लिक डोमेन में लाया.'

क्या है शिल्पी जैन केस?

शिल्पी जैन-गौतम सिंह केस 3 जुलाई 1999 को सामने आया था, जिसने पूरे बिहार को हिला दिया था. उस दिन पटना के फ्रेजर रोड स्थित एमएलए क्वार्टर नंबर 12 के गैरेज में खड़ी एक कार से शिल्पी जैन और गौतम सिंह की लाशें बरामद हुईं. दोनों की मौत साइनाइड जहर से हुई थी. शिल्पी जैन मशहूर कारोबारी उज्जवल जैन की बेटी थीं और गौतम सिंह लंदन में बसे डॉक्टर बी.एन. सिंह के बेटे. शुरुआती जांच में दावा किया गया कि यह आत्महत्या का मामला है, लेकिन हालात ने सवाल खड़े कर दिए थे, क्योंकि शिल्पी के शरीर पर चोट और यौन शोषण के निशान पाए गए थे. परिवार ने इसे हत्या करार देते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की थी.

घटनास्थल तत्कालीन सीएम राबड़ी देवी के भाई साधु यादव के बंगले से जुड़ा हुआ था, जिस कारण मामला और भी चर्चित हो गया. राजनीतिक दबाव और परिवार की जिद के बाद केस सीबीआई को सौंपा गया. जांच के दौरान गौतम के दोस्तों के ब्लड सैंपल लिए गए, जिनमें एक ‘राकेश’ नामक व्यक्ति का नाम सामने आया. इसी वजह से विवाद और गहराया. हालांकि 2003 में सीबीआई ने केस को बंद कर दिया और इसे आत्महत्या का मामला घोषित कर दिया. इसके बावजूद कई सवाल अनुत्तरित रह गए और अब 26 साल बाद फिर यही केस बिहार की सियासत में गरमागरम बहस का केंद्र बन गया है.

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