Rohtasgarh Ropeway Accident: 13 करोड़ की परियोजना, लेकिन सुरक्षा फेल? ट्रायल के दौरान रोपवे टावर गिरने से उठे सवाल
बिहार के रोहतासगढ़ में निर्माणाधीन रोपवे परियोजना के ट्रायल ऑपरेशन के दौरान ऊपरी स्टेशन और टावर गिरने से बड़ा हादसा होते-होते टल गया. चार केबिन और सहायक पिलर जमीन पर आ गिरे, हालांकि सतर्क कर्मियों की वजह से कोई जानमाल का नुकसान नहीं हुआ. घटना के बाद Bihar Rajya Pul Nirman Nigam Limited ने उच्चस्तरीय जांच समिति गठित की है और डिजाइन व गुणवत्ता ऑडिट के लिए Indian Institute of Technology Patna को जिम्मेदारी सौंपी गई है. छह साल से अधूरी इस परियोजना ने निर्माण गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.;
कैमूर की पहाड़ियों में शुक्रवार को एक ऐसी घटना घटी, जिसने विकास परियोजनाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए. रोहतासगढ़ में निर्माणाधीन रोपवे परियोजना के ट्रायल के दौरान ऊपरी स्टेशन और उससे जुड़ा एक टावर अचानक भरभराकर गिर गया. कुछ सेकंड की देरी होती, तो यह हादसा एक बड़े जनहानि वाले हादसे में बदल सकता था.
हालांकि मौके पर मौजूद कर्मियों की सतर्कता से जान-माल का नुकसान टल गया, लेकिन यह घटना स्थानीय लोगों के भरोसे को झकझोर गई. जिस परियोजना से पर्यटन और धार्मिक यात्रा को नई रफ्तार मिलने वाली थी, वही अब प्रशासन, निर्माण गुणवत्ता और निगरानी व्यवस्था पर सवालों के घेरे में आ गई है.
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ट्रायल के दौरान कैसे हुआ हादसा?
यह हादसा उस समय हुआ जब रोपवे का ट्रायल ऑपरेशन चल रहा था. चार केबिन और उनसे जुड़े सहायक पिलर परीक्षण के दौरान जमीन पर आ गिरे. गनीमत यह रही कि तकनीशियन और मजदूर समय रहते वहां से निकल गए और कोई हताहत नहीं हुआ. यह रोपवे परियोजना Rohtasgarh में स्थित रोहितेश्वर धाम और रोहतास नगर पंचायत को जोड़ने के लिए बनाई जा रही है. कैमूर की दुर्गम पहाड़ियों में यह परियोजना श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए सुगम आवागमन का जरिया मानी जा रही थी.
प्रशासन की त्वरित कार्रवाई
घटना के तुरंत बाद Bihar Rajya Pul Nirman Nigam Limited (BRPNNL) के निदेशक के निर्देश पर एक उच्चस्तरीय जांच समिति गठित की गई. समिति को 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया गया है.
IIT से होगा डिजाइन और क्वालिटी ऑडिट
सिर्फ आंतरिक जांच पर भरोसा न करते हुए परियोजना के डिजाइन और निर्माण गुणवत्ता की जांच Indian Institute of Technology Patna की विशेषज्ञ टीम से कराने का फैसला लिया गया है. इससे यह स्पष्ट होगा कि चूक तकनीकी थी या निर्माण स्तर पर.
पुराने हादसे की याद ने बढ़ाई चिंता
यह घटना जनवरी 2025 में इसी क्षेत्र में सोन नदी पर बन रहे पुल के पिलर गिरने की घटना के बाद हुई है. लगातार हो रहे ऐसे हादसों ने सरकारी निर्माण एजेंसियों की कार्यप्रणाली और निगरानी व्यवस्था पर सवाल और गहरे कर दिए हैं.
स्थानीय लोगों में गुस्सा
हादसे की खबर फैलते ही आसपास के इलाकों में अफरा-तफरी मच गई. स्थानीय लोगों ने सवाल उठाया कि जब ट्रायल में चार केबिन का भार नहीं संभाला जा सका, तो भविष्य में बारह केबिन चलने पर यात्रियों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी. कई ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना को “जनता के भरोसे का उल्लंघन” बताया. उनका कहना है कि करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद सुरक्षा मानकों से समझौता किया गया, जो किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं है.
निगम ने क्या कहा?
BRPNNL के वरिष्ठ इंजीनियर खुरशीद करीम ने बताया कि लोड बढ़ाने के दौरान एक वायर अटक गया, जिससे संरचनात्मक असंतुलन पैदा हुआ. उन्होंने कहा कि परियोजना के कई हिस्सों पर अभी काम चल रहा था और यह हादसा उसी दौरान हुआ.
बाहरी विशेषज्ञों की एंट्री
निगम ने कोलकाता से एक तकनीकी टीम को बुलाने का फैसला किया है, जो क्षति का आकलन करेगी और सुधारात्मक उपाय सुझाएगी. अधिकारियों ने भरोसा दिलाया है कि जब तक सभी ट्रायल पूरी तरह संतोषजनक नहीं हो जाते, रोपवे को आम जनता के लिए नहीं खोला जाएगा.
छह साल बाद भी अधूरी है परियोजना
करीब 1,300 मीटर लंबी और 13 करोड़ रुपये की लागत वाली इस रोपवे परियोजना की आधारशिला 12 फरवरी 2020 को रखी गई थी. छह साल बीतने के बाद भी काम अधूरा है और अब इस हादसे ने तय समय-सीमा और निर्माण एजेंसी की विश्वसनीयता दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं.