जीएसटी सुधारों पर पीएम मोदी के दावे पर प्रशांत किशोर का तंज: 'बिहार के लोगों को खास फायदा नहीं होगा'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीएसटी सुधारों पर किए गए दावे पर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सवाल खड़े किए हैं. किशोर ने कहा कि इन बदलावों से बिहार के आम लोगों को कोई खास फायदा नहीं मिलेगा. उन्होंने आरोप लगाया कि यह सुधार चुनावी एजेंडे को ध्यान में रखकर किए गए हैं, जबकि राज्य की असली समस्याओं पर सरकार ध्यान नहीं दे रही. उनके बयान से राजनीतिक हलकों में नई बहस छिड़ गई है.;

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Edited By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 22 Sept 2025 3:43 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए घोषणा की कि नवरात्रि के पहले दिन से देश अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों की ओर कदम बढ़ा रहा है. उन्होंने इसे “जीएसटी बचत उत्सव” का नाम देते हुए दावा किया कि इन सुधारों से गरीब, मध्यम वर्ग, किसान, युवा और व्यापारी सभी वर्गों को लाभ होगा. लेकिन पीएम मोदी के इस संबोधन पर राजनीतिक रणनीतिकार और जन सुराज आंदोलन के संस्थापक प्रशांत किशोर (PK) ने सीधा सवाल खड़ा किया.

प्रशांत किशोर ने कहा कि वे पिछले 15 सालों से प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों में सुन रहे हैं कि "कल बदलाव होगा, कल भारत विश्वगुरु बनेगा, कल हमारी समस्याओं का समाधान होगा." उनके मुताबिक, हकीकत यह है कि लोगों की जिंदगी में ठोस बदलाव अभी तक नज़र नहीं आया है. पीके ने तंज कसते हुए कहा कि पीएम मोदी का हर एलान भविष्यकाल की उम्मीदों से भरा होता है, लेकिन गरीब और पिछड़े वर्गों के लिए वास्तविक सुधार अभी भी दूर की बात है.

बिहार पर अलग दृष्टिकोण

पीके ने खास तौर पर यह कहा कि जीएसटी सुधारों का लाभ बिहार के साधारण लोगों को बहुत कम मिलेगा. उनका तर्क था कि जिन वस्तुओं या सेवाओं पर कर में कमी की गई है, वे वस्तुएं बिहार की अधिकांश जनता की पहुंच से बाहर हैं. उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, "अगर कारों पर टैक्स कम किया जाता है तो इसका लाभ बिहार के केवल 2% लोगों को मिलेगा क्योंकि बाकी 98% के पास कार ही नहीं है. बिहार की वास्तविक ज़रूरतें शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार से जुड़ी हैं."

बिहार की आर्थिक स्थिति और जीएसटी सुधार

बिहार लंबे समय से देश का सबसे गरीब राज्य माना जाता है. यहां की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से बहुत कम है. ऐसे में जब सुधारों का फोकस उपभोग-आधारित सुविधाओं पर होता है, तो बड़े वर्ग को उसका लाभ नहीं मिल पाता. आर्थिक विशेषज्ञ भी मानते हैं कि जीएसटी सुधारों से फायदा मुख्य रूप से शहरी उपभोक्ताओं और मध्यम वर्ग को होता है, जबकि ग्रामीण बिहार अब भी बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहा है.

"जन सुराज" और नालंदा का संदेश

अपनी बदलाव यात्रा के दौरान नालंदा पहुंचे प्रशांत किशोर ने कहा कि समय आ गया है कि लोग "नाली, गली और सड़क" की राजनीति से आगे बढ़कर अपने बच्चों के लिए शिक्षा और रोजगार की राजनीति करें. उन्होंने याद दिलाया कि नालंदा का इतिहास भारत को ज्ञान की भूमि के रूप में स्थापित करता है, और आज फिर बिहार को शिक्षा और ज्ञान का केंद्र बनाने की ज़रूरत है. उन्होंने कहा, "बिहार की असली ताकत युवाओं की प्रतिभा है. अगर बच्चों को सही शिक्षा और रोजगार नहीं मिलेगा, तो कोई भी सुधार यहां के गरीब परिवारों की जिंदगी नहीं बदल पाएगा."

आलोचना में छिपा राजनीतिक संदेश

विशेषज्ञ मानते हैं कि प्रशांत किशोर की इस टिप्पणी का सीधा संबंध बिहार की आने वाली राजनीतिक स्थिति से है. वे लगातार यह दिखाना चाहते हैं कि दिल्ली कीं नीतियां बिहार के हितों के मुताबिक नहीं हैं. उनका जोर स्थानीय मुद्दों पर है - जैसे शिक्षा, रोजगार और पलायन.

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