योग्यता गई तेल लेने! लॉटरी से तय हुए बिहार के कॉलेज प्रिंसिपल - महिला कॉलेज को मिला पुरुष प्राचार्य
Patna University: बिहार में पटना यूनिवर्सिटी समेत 13 विश्वविद्यालयों के कॉलेजों में प्राचार्य नियुक्ति के लिए लॉटरी सिस्टम अपनाए जाने से विवाद खड़ा हो गया है. मगध महिला कॉलेज में एक पुरुष प्राचार्य की नियुक्ति और टॉपर उम्मीदवारों को मनचाहे कॉलेज न मिलने से चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठे हैं. शिक्षाविदों ने इस ‘भाग्य आधारित नियुक्ति’ को योग्यता और विषयगत उपयुक्तता की अनदेखी बताया है. राज्यपाल का दावा है कि इससे भ्रष्टाचार रुकेगा, लेकिन आलोचना तेज है.;
Patna University: Patna University: बिहार की उच्च शिक्षा प्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है, इस बार वजह है – पटना यूनिवर्सिटी में प्राचार्यों की नियुक्ति के लिए अपनाया गया ‘लॉटरी सिस्टम’. जी हां, मेरिट और इंटरव्यू के बाद चुने गए योग्य उम्मीदवारों में से कॉलेज आवंटन अब भाग्य के भरोसे किया जा रहा है. सबसे बड़ा विवाद मगध महिला कॉलेज को लेकर खड़ा हुआ है, जहां इतिहास के प्रोफेसर नागेंद्र प्रसाद वर्मा को प्राचार्य नियुक्त किया गया, जबकि यह एक महिला कॉलेज है.
यह प्रक्रिया सिर्फ पटना यूनिवर्सिटी तक सीमित नहीं रही. राज्यपाल सह कुलाधिपति अरिफ मोहम्मद खान के आदेश के बाद पूरे राज्य के 13 विश्वविद्यालयों में 116 प्राचार्य पदों पर नियुक्तियां इसी सिस्टम से की गईं. 2 जुलाई को लॉटरी निकाली गई और अगले ही दिन पोस्टिंग की पुष्टि कर दी गई.
इस प्रक्रिया की निगरानी कुलपति, रजिस्ट्रार और राज्यपाल प्रतिनिधि की त्रिसदस्यीय समिति ने की. दावा किया गया कि इससे भ्रष्टाचार और सिफारिशों पर रोक लगेगी, लेकिन शिक्षाविदों और चयनित उम्मीदवारों ने इसे अयोग्य और अनुचित बताया.
क्यों उठा विवाद?
कॉमर्स कॉलेज में होम साइंस की प्रोफेसर की पोस्टिंग
आर्ट्स कॉलेज में केमिस्ट्री के शिक्षक
टॉपर उम्मीदवारों को अपेक्षाकृत छोटे कॉलेज
मगध महिला कॉलेज को पुरुष प्राचार्य मिलने पर लिंग-संवेदनशीलता पर सवाल उठे हैं, जबकि सुहेली मेहता जैसी टॉपर कैंडिडेट ने पोस्ट जॉइन करने से पहले ही पद छोड़ने की बात कह दी.
पटना यूनिवर्सिटी के 5 कॉलेजों में लॉटरी से हुई नियुक्तियां
मगध महिला कॉलेज – नागेंद्र प्रसाद वर्मा (पुरुष)
पटना कॉलेज – अनिल कुमार
पटना साइंस कॉलेज – अलका यादव (पहली महिला प्राचार्य)
कॉमर्स कॉलेज – सुहेली मेहता
पटना लॉ कॉलेज – योगेंद्र कुमार वर्मा
शिक्षाविद बोले - किस्मत से कॉलेज मिलना योग्यता की तौहीन
विशेषज्ञों ने कहा कि कॉलेज की प्रकृति, छात्रसंख्या, विषयगत संगति जैसे बुनियादी पैमानों को नजरअंदाज कर देना न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था के साथ खिलवाड़ है, बल्कि योग्य और अनुभवी शिक्षकों का भी मनोबल तोड़ता है.