कारोबार में दुश्‍मनी और 10 लाख की सुपारी! गोपाल खेमका मर्डर केस का मास्‍टरमाइंड अशोक साव कौन?

गोपाल खेमका हत्याकांड में पटना पुलिस ने मास्टरमाइंड अशोक कुमार साव और शूटर उमेश यादव को दबोचकर सनसनी फैला दी है. 10 लाख की सुपारी बेऊर जेल से दी गई थी. कारोबारी रंजिश और जमीन विवाद ने इस हत्याकांड को जन्म दिया. डीजीपी की प्रेस कॉन्फ्रेंस से बिहार में कानून-व्यवस्था और राजनीतिक साजिशों पर नई बहस छिड़ गई है.;

Curated By :  नवनीत कुमार
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कारोबार में दुश्‍मनी और 10 लाख की सुपारी! गोपाल खेमका मर्डर केस का मास्‍टरमाइंड अशोक साव कौन?पटना के जाने-माने व्यवसायी गोपाल खेमका की सरेआम गोली मारकर हत्या ने बिहार की राजधानी को दहला दिया है. 4 जुलाई 2025 की रात गांधी मैदान थाना क्षेत्र में खेमका के अपार्टमेंट के बाहर छह सेकंड में अंजाम दिए गए इस मर्डर ने न सिर्फ राजधानी की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी उजागर किया है कि जेलों के भीतर से भी माफिया अपराधों का संचालन कर रहे हैं.

इस हत्याकांड की तह में उतरते हुए पटना पुलिस को जो साक्ष्य मिले हैं, वे बेहद चौंकाने वाले हैं. मास्टरमाइंड निकला पटना का एक नामी बिल्डर अशोक कुमार साव, जिसने जमीन के पुराने झगड़े और कारोबारी दुश्मनी में कुख्यात गैंगस्टर अजय वर्मा को 10 लाख रुपये की सुपारी दी. सुपारी का एक हिस्सा शूटर उमेश यादव को मिला, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. अब इस केस में हर दिन नए राजनीतिक और आपराधिक खुलासे हो रहे हैं.

कौन है अशोक कुमार साव?

अशोक कुमार साव, पहले पटना में एक छोटे स्तर का सरिया व्यापारी था. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उसका कद तेजी से बढ़ा और उसने खुद को रियल एस्टेट के क्षेत्र में स्थापित किया. जमीन और निर्माण से जुड़ी बड़ी डील्स में उसका नाम आने लगा. आर्थिक रूप से मजबूत होने के साथ-साथ अशोक ने कई राजनीतिक और आपराधिक संपर्क भी बनाए. पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, अशोक का नाम कई भू-माफियाओं और संदिग्ध लेन-देन में पहले भी आ चुका है.

जमीन और कारोबार की रंजिश से जन्मी साजिश

अशोक साव और गोपाल खेमका के बीच लंबे समय से कारोबारी रंजिश चल रही थी. पुलिस को शक है कि खेमका ने एक बड़ी जमीन डील में अशोक के रास्ते में रोड़ा अटकाया था, जिससे नाराज होकर अशोक ने खेमका की हत्या की साजिश रची. यह साजिश पटना के अपराध जगत के कुख्यात नाम अजय वर्मा के जरिए अंजाम तक पहुंचाई गई, जो फिलहाल बेऊर जेल में बंद है.

बेऊर जेल बनी षड्यंत्र का केंद्र

पुलिस की जांच में साफ हुआ कि खेमका की हत्या की साजिश बेऊर जेल में ही रची गई थी. अशोक कुमार साव ने कुख्यात अजय वर्मा को 10 लाख रुपये की सुपारी दी थी, जिसमें से 3.5 लाख रुपये शूटर उमेश यादव को दिए गए. जेल में की गई छापेमारी में मिले मोबाइल, सिम कार्ड और संदिग्ध नंबरों की पर्चियां इस साजिश की पुष्टि करती है.

सीसीटीवी फुटेज बना सबसे बड़ा सबूत

गांधी मैदान थाना क्षेत्र में 4 जुलाई की रात खेमका की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगाला तो शूटर का चेहरा सामने आया. उमेश यादव उर्फ विजय, पटना सिटी का रहने वाला है, जिसे गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने मालसलामी इलाके में छापा मारा. वह उस वक्त अपने बच्चे को स्कूल छोड़ने जा रहा था जब उसे दबोच लिया गया.

एमएलसी का करीबी है उमेश

शूटर उमेश यादव को लेकर चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि वह एक प्रभावशाली एमएलसी के बेहद करीबी के रूप में जाना जाता है. हालांकि, पुलिस ने अब तक उस एमएलसी के नाम को गोपनीय रखा है, लेकिन इससे मामले के राजनीतिक आयाम भी जुड़ते दिख रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, इसी रसूख के चलते उमेश अब तक कई मामलों में बचता रहा है.

उमेश की निशानदेही से कई सुराग

उमेश यादव की निशानदेही पर पटना पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल पिस्तौल, स्कूटी और 3 लाख रुपये नकद बरामद किए. इसके अलावा उसने अपने पुराने साथी और हथियार सप्लायर विकास उर्फ राजा का नाम लिया. राजा एक कुख्यात अपराधी था जो बाहर से अवैध हथियारों की सप्लाई करता था. सोमवार रात को जब पुलिस ने राजा के ठिकाने पर छापा मारा तो मुठभेड़ में वह मारा गया.

कैसे रची गई साजिश?

पूछताछ में पता चला कि उमेश यादव 24 जून को दिल्ली से लौटने के बाद सीधे अजय वर्मा से जेल में मिलने गया था. वहीं से हत्या की पूरी योजना बनी. 10 दिन बाद, यानी 4 जुलाई को, उसने गांधी मैदान के पास गोपाल खेमका की गोली मारकर हत्या कर दी. इस बीच लगातार फोन कॉल्स, पैसों की लेनदेन और हथियारों की सप्लाई होती रही.

डीजीपी करेंगे खुलासा

बिहार के डीजीपी विनय कुमार आज शाम 5 बजे सरदार पटेल भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे. इसमें आईजी जितेंद्र राणा, एसएसपी कार्तिकेय शर्मा और SIT के अन्य अधिकारी शामिल होंगे. पूरे हत्याकांड से जुड़े तथ्यों, राजनीतिक रिश्तों और अपराधियों की भूमिका का खुलासा किया जाएगा. यह मामला अब सिर्फ एक मर्डर केस नहीं रहा, बल्कि बिहार की राजनीतिक-सामाजिक व्यवस्था की परतें उधेड़ने लगा है.

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