न MLA, न MLC… फिर कैसे बन गए मंत्री? बिहार की सियासत में दीपक प्रकाश की अचानक आउट ऑफ सिलेबस एंट्री!
बिहार की नई सरकार के शपथ ग्रहण में सबसे बड़ा सरप्राइज़ बने उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश, जिन्होंने जींस-शर्ट में अचानक मंत्री पद की शपथ लेकर सबको चौंका दिया. न MLA, न MLC, न चुनावी अनुभव - फिर भी मंत्री! सूत्रों के अनुसार, यह फैसला आखिरी मिनट में लिया गया, क्योंकि उपेंद्र कुशवाहा को MLC सीट को लेकर भविष्य में अनिश्चितता का डर था. जातीय समीकरण, राजनीतिक दबदबा और फैमिली पावर-इन तीनों के मेल ने दीपक की ‘आउट ऑफ सिलेबस’ एंट्री कराई. छह महीने में उन्हें विधायक या एमएलसी बनना ही होगा.;
बिहार की नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में एक चेहरा सबसे ज्यादा चर्चा में रहा- दीपक प्रकाश. जींस और शर्ट में मंच पर पहुंचकर अचानक मंत्री पद की शपथ लेने वाले इस युवा नेता ने पूरे राजनीतिक हलके में तूफान ला दिया है. न वे विधायक हैं, न एमएलसी, न चुनाव लड़े, न पोस्टर-बैनर चले… फिर भी कुर्सी मंत्री की! सवाल उठना लाजमी है-ये चमत्कार कैसे हुआ?
दरअसल, यह सिर्फ एक शपथ नहीं थी, बल्कि बिहार की पावर पॉलिटिक्स में उपेंद्र कुशवाहा का सबसे बड़ा मास्टरस्ट्रोक था. कौन-सा समीकरण बना, किस वजह से जेडीयू और बीजेपी के टॉप नेताओं की रजामंदी के बावजूद आखिरी समय में नाम फाइनल हुआ… पूरी कहानी बेहद दिलचस्प और सियासी मोड़ों से भरी है.
कौन हैं दीपक प्रकाश? विदेश में पढ़ाई और अचानक मंत्री की कुर्सी
राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश का जन्म 22 अक्टूबर 1989 को हुआ. पटना में शुरुआती पढ़ाई के बाद उन्होंने 2011 में MIT, मणिपाल से कंप्यूटर साइंस में B.Tech पूरा किया. 2011–2013- सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की, इसके बाद- खुद का व्यवसाय फिर 2019–20- पिता के साथ सक्रिय राजनीति की शुरुआत, यानी न राजनीतिक विरासत का बड़ा अनुभव, न कोई चुनावी मैदान का संघर्ष- फिर भी सीधे मंत्रीपद.
शपथ में जींस-शर्ट क्यों? क्या उन्हें खुद भी नहीं था अंदाज़ा?
शपथ ग्रहण की तस्वीरें वायरल हुईं तो सबसे बड़ा सवाल यही उठा- क्या दीपक को खुद भी मंत्री बनने की खबर आखिरी पल तक नहीं थी? क्योंकि बाकी नेता जहां सफेद कुर्ता-बंदी में थे, वहीं दीपक कैज़ुअल जींस-शर्ट में मामूली अंदाज में मंच पर चले आए और सीधे मंत्री पद की शपथ ले ली. पूछे जाने पर उन्होंने खुद कहा कि जाकर पापा से पूछिए… पापा ही बता पाएंगे."
आख़िरी मिनट में लगा OK स्टैम्प-इसलिए बदल गया पूरा गेम
विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि नीतीश कुमार, अमित शाह और नरेंद्र मोदी - तीनों नहीं चाहते थे कि उपेंद्र कुशवाहा के बेटे को मंत्री बनाया जाए. सीट शेयरिंग के दौरान RLM को सिर्फ 1 MLC सीट पर सहमति हुई थी. लेकिन… शपथ ग्रहण के एक दिन पहले उपेंद्र कुशवाहा ने अपने बेटे का नाम फाइनल करवा लिया. जेडीयू-भाजपा के कई नेता आज भी मानते हैं कि यह निर्णय “लास्ट मिनट प्रेशर” में लिया गया.
उपेंद्र कुशवाहा को था एक बड़ा डर… और उसी ने कहानी पलट दी
एनडीए को बिहार में प्रचंड बहुमत मिलता देख उपेंद्र कुशवाहा को आशंका थी कि कहीं बाद में MLC सीट न बदल जाए, वादे पूरे न हों या RLM का राजनीतिक वजन कम न कर दिया जाए, इसी डर ने कुशवाहा को मजबूर किया कि वे अपने बेटे का नाम तुरंत आगे बढ़ा दें- और वही हुआ.
नीतीश सरकार में जातीय समीकरण भी बड़ी वजह
बिहार में लव-कुश यानी कुर्मी–कुशवाहा समाज NDA का सबसे मजबूत वोट बैंक माना जाता है, नीतीश कुमार (कुर्मी) और उपेंद्र कुशवाहा (कुशवाहा) इस समीकरण के दो बड़े चेहरे हैं. इसलिए कैबिनेट बैलेंस में कुशवाहा जाति से मंत्री बनाना जरूरी था और मौका सीधे दीपक को मिला.
सिर्फ बेटे नहीं, पूरी फैमिली को सेट कर दिया कुशवाहा ने यह राजनीति में ‘फुल फैमिली सेट’ का क्लासिक केस है- 2024- काराकाट से उपेंद्र कुशवाहा हारे- फिर- NDA ने उन्हें राज्यसभा भेजा- 2025: पत्नी स्नेह लता कुशवाहा RLM टिकट पर सासाराम से विधायक बनीं और अब बेटे दीपक प्रकाश मंत्री बन गए. सिर्फ एक चुनाव में पूरे परिवार का राजनीतिक रुतबा बदल गया.
अब सबसे बड़ा सवाल- दीपक प्रकाश को आगे क्या करना होगा?
कानून के अनुसार- 6 महीने के भीतर दीपक प्रकाश को विधायिका (MLA/MLC) का सदस्य बनना ही होगा, नहीं तो मंत्री पद छोड़ना पड़ेगा. और संकेत साफ हैं- उन्हें विधान परिषद भेजने की तैयारी हो चुकी है.