'एक देश एक चुनाव' को मिला NDA दल के नेताओं का समर्थन, 'देशहित, महत्वपूर्ण और एतिहासिक कदम'
एक देश एक चुनाव को NDA दल का समर्थन मिल चुका है. केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने इसे 'देशहित, महत्वपूर्ण और एतिहासिक कदम' बताया है. वहीं जितीन राम मांझी ने भी इसका समर्थन करते हुए कहा कि दलित मतदाताओं को भी सुविधा होंगी हालांकि विपक्ष अभी भी इसे लेकर सत्ता पक्ष पर निशाना साधने में जुटा हुआ है.;
एक देश एक चुनाव को बुधवार को कैबिनेट से मंजूरी दी गई है. वहीं इसके साथ-साथ NDA दल ने भी इसका समर्थन किया है. हालांकि NDA और बीजेपी दल की 'एक देश एक चुनाव' पर ख्याल मिलने पर खूब चर्चा हो ही है. ऐसा पहली बार है जब दोनों दलों के आपसी ख्याल मिले हों. क्योंकी लेटरल एंट्री के समय स्थिति कुछ और थी.
एक देश एक चुनाव का समर्थन अब तक JDU,LJP (R), हिंदुस्तानी मोर्चा (सेक्युलर) द्वारा किया गया है. इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान ही जेदयू के केसी त्यागी ने बताया, 'बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सालों पहले ही एक देश एक चुनाव को लेकर अपना समर्थन जाहिर कर दिया था. यह हमारे जैसे कम इलेक्शन फंड वाले छोटे दलों के लिए मददगार होगा.'
देशहित में एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण कदमः चिराग पासवान
आज #OneNationOneElection प्रस्ताव को मंजूरी देकर 𝗨𝗻𝗶𝗼𝗻 𝗖𝗮𝗯𝗶𝗻𝗲𝘁 ने देशहित में एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है. '𝐎𝐧𝐞 𝐍𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧, 𝐎𝐧𝐞 𝐄𝐥𝐞𝐜𝐭𝐢𝐨𝐧' न केवल हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करेगा बल्कि चुनाव संबंधी खर्चों को भी कम करेगा और विकासात्मक गतिविधियों में तेजी लाएगा. साथ ही, इससे चुनावों में पारदर्शिता बढ़ेगी और सरकार पर वित्तीय बोझ भी कम होगा. सुरक्षा के दृष्टिकोण से, यह चुनाव के दौरान अर्धसैनिक बलों, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका को सरल बना देगा। मेरे नेता और पिता आदरणीय राम विलास पासवान जी ने भी '𝐎𝐧𝐞 𝐍𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧, 𝐎𝐧𝐞 𝐄𝐥𝐞𝐜𝐭𝐢𝐨𝐧' प्रस्ताव का समर्थन किया और मेरी पार्टी, 𝗟𝗼𝗸 (𝗥𝗮𝗺 𝗩𝗶𝗹𝗮𝘀), इस पहल का पूरा समर्थन करता है.
हिंदुस्तान आवाम मोर्चा ने भी किया समर्थन
इसी क्रम में केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने भी इसका समर्थन किया है. सोशल मीडिया एक्स पर लिखते हुए उन्होंने कहा कि हर वर्ष किसी न किसी राज्य में चुनाव होते रहते हैं. चुनावों की इस निरंतरता के कारण देश हमेशा चुनावी मोड में रहता है.
इससे न केवल प्रशासनिक और नीतिगत निर्णय प्रभावित होते हैं बल्कि देश के खजाने पर भारी बोझ भी पड़ता है. “वन नेशन-वन इलेक्शन”से दलित मतदाताओं को भी सुविधा होंगी. अब वोट के लूटेरों का राज नहीं चलेगा.