Lalu Yadav पर अब CBI का शिकंजा, गृह मंत्रालय का नौकरी के बदले जमीन मामले में बड़ा आदेश
Land-for-job scam case: नौकरी के बदले जमीन मामला लालू परिवार के लिए हर दिन मुश्किलें बढ़ा रहा है. दिल्ली की एक कोर्ट में पहले ही इस मामले की सुनवाई चल रही है. इस बीच केंद्र सरकार की ओर से मामले में CBI को मुकदमा चलाने की मंजूरी मिल गई है. आरोप है कि परिवार ने सस्ते दामों में जमीन खरीदकर इसे कई गुणा महंगे कीमत पर बेच दी थी.;
Land-for-job scam case: नौकरी के बदले जमीन मामले में लालू यादव की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है. केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ जमीन के बदले नौकरी मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी के लिए अनुरोध किया, जिसे लेकर गृह मंत्रालय ने मुकदमा चलाने के लिए अपनी मंजूरी दे दी है. सीबीआई अभी भी मामले में शामिल 30 से अधिक अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी का इंतजार कर रही है, जिसके लिए एजेंसी ने कोर्ट से और 15 दिनों का समय मांगा है.
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सीबीआई को अन्य आरोपियों के लिए मंजूरी प्राप्त करने की प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को करेंगी. ईडी की PMLA जांच रिपोर्ट में दावा किया गया था कि तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के परिवार ने नौकरी के बदले जमीन घोटाले के जरिए पटना और अन्य क्षेत्रों में प्रमुख स्थानों पर अवैध रूप से कई ज़मीनें हासिल कीं. इन ज़मीनों का मौजूदा बाज़ार मूल्य 200 करोड़ रुपये से ज़्यादा होने का अनुमान है.
7.5 लाख में खरीदी जमीन को 3.5 करोड़ रुपये में बेचा
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मामले में ईडी ने आरोप लगाया था कि राबड़ी देवी और हेमा यादव ने रेलवे में नियुक्त लोगों से अवैध रूप से चार ज़मीनें अपने नाम की थी. और उन्हें मेरिडियन कंस्ट्रक्शन इंडिया लिमिटेड को बेच दिया. ये पूर्व आरजेडी विधायक सैयद अबू दोजाना से जुड़ी कंपनी है. ईडी ने इस मामले में बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा और अन्य आरोपियों के खिलाफ पहले ही आरोप पत्र दाखिल कर दिया है. ईडी ने दावा किया कि राबड़ी देवी और हेमा यादव ने इन ज़मीनों को 7.5 लाख रुपये में खरीदा और 3.5 करोड़ रुपये में बेचा.
नौकरी के बदले जमीन मामला तब का है जब 2004 से 2009 तक यूपीए-1 सरकार में लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे. उनके इस कार्यकाल के दौरान उन पर आरोप है कि भारतीय रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में ग्रुप डी पदों पर कई व्यक्तियों को नियुक्त किया गया था. इन नियुक्तियों के बदले में लोगों ने कथित तौर पर अपनी ज़मीन लालू परिवार के परिवार के सदस्यों और एक जुड़ी हुई कंपनी एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम की थी.