एकजुटता या चुनावी एजेंडा! सीमांचल में 'हिंदू स्‍वाभिमान यात्रा' से करना क्या चाहते हैं गिरिराज सिंह?

Hindu Swabhiman Yatra: गिरिराज सिंह की 'हिंदू स्‍वाभिमान यात्रा' को कांग्रेस और आरजेडी माहौल खराब करने वाली यात्रा बता रही है. हालांकि, बीजेपी इस यात्रा के जरिए बड़ा चुनावी दांव खेलना चाहती है. सीमांचल से सटे झारखंड के इलाकों में भी बीजेपी इन दिनों सक्रिय दिख रही है, जिसका नेतृत्व सीएम हिमंत बिस्वा सरमा कर रहे हैं.;

Hindu Swabhiman Yatra
Edited By :  सचिन सिंह
Updated On : 18 Oct 2024 12:47 PM IST

Hindu Swabhiman Yatra: बिहार के वरिष्ठ भाजपा नेता और केंद्रीय टेक्सटाइल मंत्री गिरिराज सिंह ने आज यानी 18 अक्टूबर 2024 से भागलपुर जिले से अपनी 'हिंदू स्वाभिमान यात्रा' के पहले चरण की शुरुआत की, जिसका अंत किशनगंज के उस इलाके में किया जाना है, जो मुस्लिम बाहुल्य है. अब सवाल ये है कि बीजेपी झारखंड के बाद बिहार के सीमांचल इलाके में अपनी सक्रियता बढ़ाने की कोशिश क्यों कर रही है?

गिरिराज सिंह की पांच दिवसीय यात्रा 22 अक्टूबर को मुस्लिम बहुल पूर्वोत्तर जिले किशनगंज में समाप्त होगी. बेगूसराय से दो बार भाजपा सांसद रहे बीजेपी नेता गिरिराज सिंह को अपने बेबाक अंदाज के लिए जाना जाता है. भागलपुर से सटे झारखंड के गोड्डा के सांसद अक्सर अपने और आसपास के क्षेत्र में बदलते डेमोग्राफी को लेकर संसद से सड़क तक अपनी आवाज बुलंद करते हैं. उनका दावा है कि इन क्षेत्रों में आदिवासी और आम नागरिकों की जमीन पर बांग्लादेशी घुसपैठिए तेजी से कब्जा कर रहे हैं. 

'हिंदू स्वाभिमान यात्रा' और बदलती डेमोग्राफी

सामने आई रिपोर्ट में कहा गया कि गिरिराज सिंह अपनी यात्रा की शुरुआत गोड्डा से सटे भागलपुर से कर रहे हैं, जो कटिहार-पूर्णिया होते हुए, किशनगंज में खत्म होगी. किशनगंज में AIMIM के बढ़ते वर्चस्व को देखते हुए गिरिराज सिंह ने कार्यक्रम को इस जिले में खत्‍म करने की प्लानिंग की है. चूंकि, उनकी इस यात्रा का नाम 'हिंदू स्वाभिमान यात्रा' है और अगले साल ही बिहार में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं. ऐसे में इस यात्रा का मकसद सीमांचल क्षेत्र में हिंदू वोट को एकजुट करना भी हो सकता है. हालांकि, उनकी इस यात्रा पर सहयोगी पार्टी जेडीयू ने सवाल भी खड़े किए हैं.

यात्रा ने सीमांचल में खड़े किए विवाद

गिरिराज सिंह के सीमांचल में गर्जन से विपक्ष में हलचल पैदा हो गई है. राजद और कांग्रेस नेताओं ने उन पर समाज में घृणा और अशांति उत्पन्न करने के लिए अपनी यात्रा के माध्यम से विभाजनकारी राजनीति करने का आरोप लगाया है. उनकी यात्रा की एक वजह ये भी है कि लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने एनडीए को सीमांचल में तगड़ी शिकस्त दी थी, जिसे फिर से वापस लाने के लिए बीजेपी कड़ी मेहनत में जुट गई है.

बिहार की राजनीति में बीजेपी की चाल

बीजेपी हर तरह से बिहार की राजनीति में अपना दम दिखाने के प्रयास में पसीने बहा रही है. इसकी शुरुआत तभी हो गई थी, जब प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर दिलीप जायसवाल को बिठाया था, जो सीमांचल से ही आते हैं. अपने हाथ से निकलते सीमांचल का भरोसा जीतने के लिए बीजेपी एक बार फिर से हिंदू कार्ड खेल रही है. सभी पार्टियां सीमांचल में अपना दम दिखाने की कोशिश में लगी रहती है. राहुल गांधी ने भी लोकसभा चुनाव से पहले सीमांचल में भारत जोड़ो यात्रा की थी. बदलते डेमोग्राफी के कारण सीमांचल में चुनाव परिणामों में भी अंतर देखने को मिल रहा है. 

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