नए मंत्रिमंडल विस्तार से डगमगाई सीएम नीतीश की कुर्सी! क्या बीजेपी और चिराग मिलकर करना चाहते हैं खेल?
बिहार में नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल विस्तार में बीजेपी के सात नए मंत्री शामिल किए गए, जिससे एनडीए गठबंधन में बेचैनी बढ़ गई. जेडी(यू) के कुछ नेता इसे सत्ता संतुलन बिगाड़ने वाला कदम मान रहे हैं. बीजेपी ने जातिगत समीकरण साधते हुए कुर्मी, कुशवाहा, भूमिहार, राजपूत और वैश्य नेताओं को मंत्री बनाया, जिससे गठबंधन में तनाव बढ़ा.;
बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में बीजेपी के सात नए मंत्रियों की एंट्री ने एनडीए गठबंधन में हलचल मचा दी है. कुछ नेताओं का मानना है कि यह कदम आगामी विधानसभा चुनावों से पहले सत्ता संतुलन को बिगाड़ सकता है. जेडी(यू) के कई नेता इस फैसले से असहज हैं. क्योंकि बीजेपी ने कुर्मी और कुशवाहा समुदायों से भी मंत्री बनाए हैं, जो आमतौर पर नीतीश कुमार के समर्थक माने जाते हैं.
बिहार की राजनीति में एक बड़ा सवाल यह है कि नीतीश कुमार कब तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे? जेडी(यू) के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह तय था कि नीतीश कुमार एनडीए गठबंधन के नेता और 2025 के चुनाव में चेहरा होंगे. इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है. लेकिन इसके साथ ही उन्होंने संकेत दिया कि यह स्थिति कब तक बनी रहेगी, यह स्पष्ट नहीं है.
जातिगत समीकरण और बीजेपी की रणनीति
बीजेपी ने इस विस्तार में विभिन्न जातियों का ध्यान रखा है. नए मंत्रियों में भूमिहार, राजपूत, वैश्य (बनिया), ओबीसी और ईबीसी समुदायों के नेता शामिल किए गए हैं. इसका मकसद राज्य में बीजेपी के जातिगत समर्थन को बढ़ाना बताया जा रहा है. पार्टी के सूत्रों का कहना है कि यह फैसला सीट बंटवारे और रणनीति को मजबूत करने के लिए लिया गया है.
नीतीश कुमार के लिए नई चुनौती?
जेडी(यू) के कुछ नेताओं को डर है कि बीजेपी का यह कदम गठबंधन में उसकी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार महाराष्ट्र की शिवसेना जैसी स्थिति में नहीं आना चाहते, जहां एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में सरकार बदल गई थी.
सीट बंटवारा होगी चुनौती
2020 के चुनाव में बीजेपी ने 74 सीटें जीतकर जेडी(यू) की 43 सीटों से बेहतर प्रदर्शन किया था. इससे पार्टी को गठबंधन में अधिक सीटों की मांग करने का हक मिलता है. वहीं, जेडी(यू) को यह डर है कि अगर बीजेपी और चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को ज्यादा सीटें मिलती हैं, तो नीतीश कुमार की भूमिका कमजोर हो सकती है.
गठबंधन बरकरार लेकिन असमंजस जारी
हालांकि, चिराग पासवान और बीजेपी नेताओं ने एनडीए गठबंधन को मजबूत बताया है और कहा कि नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री चेहरा बने रहेंगे. लेकिन जेडी(यू) के कई नेता असमंजस में हैं कि यह स्थिति कितने दिनों तक बनी रहेगी. आने वाले चुनावों में बीजेपी का रुख और सीटों का बंटवारा यह तय करेगा कि बिहार की राजनीति किस दिशा में जाती है.