चिराग के 'जीजा' के बयान से NDA में बवाल, क्या करेंगे नीतीश कुमार? RJD बोली - CM की नीयत पर सवाल, उन्हीं से मांगें जवाब

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की पार्टी के सांसद और उनके साले अरुण भारती ने महागठबंधन सरकार द्वारा कराए गए जाति सर्वेक्षण 2023 पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने इस सर्वे को तत्कालीन उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर राष्ट्रीय जनता दल के मुस्लिम और यादव वोट बैंक को एकजुट करने की पूरी कवायद बताया है. साथ ही चुनाव से पहले जाति जनगणना को दलित और गरीब विरोधी बताकर नई बहस छेड़ दी है.;

By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 26 Jun 2025 4:13 PM IST

Caste Census Row In Bihar: लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की पार्टी के नेता एक बार फिर अप्रत्यक्ष रूप से ही सही सीएम नी​तीश और उनकी पार्टी के खिलाफ मुखर हो गए हैं. खास बात यह है कि इस सियासी मुहिम की अगुवाई खुद चिराग पासवान के करीबी और पार्टी के जमुई से सांसद अरुण भारती कर रहे हैं. उन्होंने बिहार में 2023 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन सरकार द्वारा कराए गए जाति सर्वेक्षण को दलितों और आदिवासियों सहित हाशिए पर पड़े वर्ग के खिलाफ 'सुनियोजित धोखाधड़ी और साजिश' करार दिया है.

एलजेपीआर नेता और जमुई से सांसद अरुण भारती इस बयान से साफ कि एलजेपीआर जाति जनगणना के खिलाफ है. अगर ऐसा है तो फिर इसका सियासी संदेश यह भी है कि वो नीतीश कुमार का इस बार भी विरोध कर सकते हैं. ऐसा इसलिए कि जातिगत जनगणना कराने का निर्णय सीएम नीतीश कुमार ने लिया था. हां, तेजस्वी यादव बतौर डीएम और आरजेडी नेता होने के नाते उन पर भरपूर दबाव जरूर बनाया था.

ऐसे में अरुण भारती का यह बयान तेजस्वी यादव के जाति जनगणना का विरोध, नीतीश कुमार का विरोध से ज्यादा माना जाएगा. इसका मतलब यह भी हो सकता है कि एलजेपीआर के नेता जो बात सीधे ​नीतीश कुमार से नहीं कह सकते, उसी को घुमाकर वह तेजस्वी यादव के जरिए उन्हें कहना चाहते हैं.

क्या कहा था अरुण भारती ने?

एलजेपीआर के सांसद अरुण भारती ने कहा था, "महागठबंधन सरकार में जाति सर्वेक्षण धोखाधड़ी और बहुजन समुदाय को उनके अधिकारों से वंचित रखने की एक सुनियोजित साजिश थी." अरुण भारती यहीं पर नहीं रुके, उन्होंने तत्कालीन महागठबंधन सरकार द्वारा कराए गए जातिगत सर्वेक्षण पर सवाल उठाए और तत्कालीन उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मुस्लिम और यादव वोट बैंक को मजबूत करने के लिए इस पूरी कवायद का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया.

अरुण भारती के मुताबिक, "तेजस्वी यादव ही वह व्यक्ति थे जिन्होंने जातिगत सर्वेक्षण को लेकर सबसे ज्यादा शोर मचाया था. तेजस्वी ने दावा किया था कि यह सामाजिक न्याय की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम होगा, लेकिन जो हुआ वह सिर्फ राजनीतिक चतुराई में लिपटा एक आधा-अधूरा जातिगत सर्वेक्षण था, जिसमें न तो सामाजिक न्याय था और न ही समावेशी सोच."

अरुण भारती का सवाल है कि, "जाति सर्वेक्षण में केवल जातियों की संख्या की गणना की गई, लेकिन इस बारे में विवरण नहीं दिया गया कि कौन सी जाति कितनी गरीब है, किस जाति की शिक्षा तक पहुंच है और किसकी नहीं, सरकारी सेवाओं में विभिन्न जातियों का हिस्सेदारी क्या है और भूमि और संसाधनों पर किसका कितना अधिकार है?"

उन्होंने कहा, "यह सर्वेक्षण दलित, महादलित और आदिवासी समुदायों के साथ सीधा धोखा था. इसका असली उद्देश्य जातियों की संख्या को वोट बैंक में बदलना और सत्ता पर अपना दावा मजबूत करना था, न कि वंचित वर्ग को अवसर और अधिकार देना."

इसके उलट, सांसद अरुण भारती ने केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में प्रस्तावित जाति जनगणना की सराहना करते हुए कहा, "चिराग पासवान ने वास्तविक जाति जनगणना के लिए सरकार को मंजूरी दिलाने में निर्णायक भूमिका निभाई, जिसमें न केवल संख्या एकत्र करना शामिल है बल्कि विभिन्न जातियों की शैक्षणिक, आर्थिक और प्रशासनिक भूमिकाओं के बारे में विवरण हासिल करना भी शामिल है. अब केवल संख्या नहीं बल्कि पूरा सामाजिक और आर्थिक विवरण दर्ज किया जाएगा. संविधान, नीति और न्यायालय में बहुजन समाज की स्थिति को सबूतों के साथ पेश किया जाएगा. ताकि उन्हें संविधान और न्यायसंगत आरक्षण मिल सके. एकत्र किए गए आंकड़े बहुजन समाज के पक्ष में आरक्षण और नीति निर्धारण के विस्तार के लिए एक ठोस आधार बनेंगे."

 JDU के खिलाफ बड़ा सवाल, उन्हीं से पूछें- मृत्युंजय तिवारी

बिहार आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि जमुई से सांसद अरुण भारती जिस बात का आरोप तेजस्वी यादव पर लगा रहे हैं, वह जनता दल यूनाइटेड के लिए गंभीर सवाल है. इसका जवाब वो जेडीयू नेताओं से क्यों नहीं पूछते? फिर, उनकी पार्टी तो जातीय जनगणना का विरोधी है.

भारती इस मसले को लोकसभा में क्यों नहीं उठाते? समीर महासेठ

बिहार के मधुबनी विधानसभा सीट से विधायक समीर महासेठ ने अरुण भारती पर पलटवार करते हुए कहा, 'उनसे पूछिए कि जिस वजह से वो जातिगत जनगणना को आरजेडी की साजिश बताते हैं, उसका खुलासा करने के लिए वो इस मसले को लोकसभा में क्यों नहीं उठाते? अरुण भारतीय जमुई से सांसद हैं, अगर उन्हें दलितों और कमजोर वर्ग के लोगों की चिंता है तो पीएम मोदी से सामने इस मसले को उठाएं. अब तो राष्ट्रीय स्तर पर जनगणना पीएम कराएंगे. उसमें इन सभी पहलुओं को शामिल कराएं. उन्हें किसने रोका है?"

उन्होंने कहा जातिगत जनगणना अंतिम बार 1931 में हुआ था. अटल बिहारी वाजपेयी ने पीएम रहते हुए इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया था. जातिगत जनगणना नहीं कराएंगे तो लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधान परिषद में सीटों की संख्या कैसे बढ़ेगी? बिहार में जातिगत जनगणना होने से यह पता चला कि 94 लाख 63 हजार लोग गरीबी रेखा ने नीचे जीवन जीते हैं. अरुण भारती भारत सरकार से क्यों नहीं इस गरीबों को मदद दिलवाते हैं. नीति आयोग किसलिए हैं? वहां जाकर इस मसले को क्यों नहीं उठाते.

उन्होंने कहा कि बिहार में वैश्य समाज की आबादी 18 प्रतिशत से ज्यादा हुआ करती थी. अब 14.3 प्रतिशत है. कम कैसे हो गया? जबकि वैश्य समाज में 56 प्रतिशत उप जातियां शामिल हैं. सभी उपजातियों को अलग-अलग सरकार जनगणना कराएं. उसके वैश्य समाज को वोट बैंक अपने आप बढ़ जाएगा. इसी तरह ब्राह्मण, राजपूत व अन्य जातियों में शामिल उप जातियों की जनगणना अलग-अलग होनी चाहिए.

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