महाराष्ट्र में BJP के सियासी दांव से बिहार में हलचल! नीतीश कुमार की कैसे बढ़ गई टेंशन?
BJP-JDU: महाराष्ट्र में भाजपा के इस दांव-पेंच से बिहार की जेडीयू चिंतित है. उसे डर है कि कहीं ऐसा ही कुछ न हो जाए. आश्वासनों के बाद भी जेडीयू को इस बात की चिंता है कि अगर भाजपा बहुमत के करीब पहुंच गई तो उसका भविष्य क्या होगा?;
BJP-JDU: महाराष्ट्र में राजनीतिक में हुए उलटफेर का असर बिहार में देखने को मिल रहा है. महाराष्ट्र की सियासी हलचल से जेडी(यू) हाई अलर्ट पर है. जेडी(यू) चीफ नीतीश कुमार के नेतृत्व में 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने के बीजेपी के आश्वासन के बावजूद अब जेडी(यू) के सामने यह सवाल है कि क्या भाजपा बिहार की 243 सीटों वाली विधानसभा में 122 के बहुमत के आंकड़े के करीब पहुंचने पर 'महाराष्ट्र प्रयोग' को दोहरा सकती है.
हालांकि, दोनों राज्यों की राजनीति में जमीन-आसमान का फर्क है. ऐसे में इसकी तुलना करना मूर्खता है, लेकिन यहां बीजेपी के दांव की बात है, जो बहुमत में आने के बाद कुछ और ही होता है. लेकिन जेडी(यू) के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने कहा कि भाजपा ने बिहार के गठबंधन मॉडल को अपनाने के शिंदे के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है, जहां नीतीश अपनी पार्टी के भाजपा से कम सीटें जीतने के बावजूद सीएम बने रहेंगे.
बीजेपी के सियासी दांव से बिहार में खलबली
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में जेडी(यू) ने सिर्फ 43 सीटें जीतीं, जो भाजपा की 74 से 31 कम थीं. फिर भी बीजेपी ने नीतीश को सीएम बनाया. हालांकि, महाराष्ट्र की घटना के बाद जेडी(यू) नीतीश के भविष्य पर बहस कर रही है. जेडी(यू) के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि नीतीश सत्ता के भूखे नहीं हैं और उन्होंने 2020 में अपनी पार्टी के खराब प्रदर्शन के कारण सीएम बनने से इनकार कर दिया था.
शिंदे से मजबूत हैं नीतीश
जेडी(यू) के एक अन्य पदाधिकारी ने कहा कि हालांकि, महाराष्ट्र की घटनाओं के बाद पार्टी असुरक्षित महसूस कर रही थी, लेकिन बिहार एक अलग मामला है. उन्होंने कहा, 'शिंदे के पास विकल्प नहीं थे क्योंकि शिवसेना के दोनों गुट हिंदुत्व का पालन करते हैं और उनका सामाजिक आधार जेडी(यू) से कमजोर है.' जेडी(यू) का 16.5 % समर्थन आधार, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में साबित हुआ और ये एनडीए को मजबूत करता है, जिसने 40 में से 30 सीटें जीती हैं.
नीतीश बिना बिहार फतह है मुश्किल
जेडी(यू) के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, 'आप नीतीश कुमार से प्यार कर सकते हैं या उनसे नफरत कर सकते हैं, लेकिन आप उन्हें नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते.' उन्होंने आगे कहा कि एनडीए और इंडिया ब्लॉक दोनों ही नीतीश की राजनीतिक ताकत को पहचानते हैं. जेडीयू, भाजपा की ताकत को स्वीकार करता है, लेकिन वह बिहार में एनडीए की सफलता के लिए नीतीश कुमार के महत्व और मतदाता आधार को महत्वपूर्ण मानता है.