26 साल पुराना किस्सा! बृज बिहारी हत्याकांड से हिल गया था बिहार, बॉडी में उतार दी गई थी AK-47 की मैगजीन
साल 1998 में बृज बिहारी प्रसाद राबड़ी देवी सरकार में विज्ञान और प्राद्यौगिकी मंत्री थे.वह अपने इलाज के लिए IGIMS अस्पताल में भर्ती थे. इस दौरान उनकी हत्या कर दी गई जिसके बाद बिहार से लेकर यूपी हिल गया था. 3 अक्टूबर को आरोपियों के खिलाफ फैसला सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है.;
बिहार में 90 के दशक के दौरान अधिकांश हत्या, अपहरण, लूट, डकैती की घटनाओं के पीछे बाहुबलियों का नाम सामने आने लगा था. इस बीच इनके बीच गैंगवार और एक दूसरे से बदला लेने की कई घटनाएं देखने को मिलती रहती थी. इन बाहुबलियों को राजनेताओं का संरक्षण प्राप्त था. इसलिए इन्हें कानून का भी डर नहीं होता था. जिसके कारण आए दिन आतंक देखने को मिल रहा था. वहीं साल 1998 में बृज बिहारी प्रसाद राबड़ी देवी सरकार में विज्ञान और प्राद्यौगिकी मंत्री थे.वह अपने इलाज के लिए IGIMS अस्पताल में भर्ती थे. इस दौरान उनकी हत्या कर दी गई जिसके बाद बिहार से लेकर यूपी हिल गया था. 3 अक्टूबर को आरोपियों के खिलाफ फैसला सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है तो आइए इस खबर को विस्तार से जानते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के बाहुबली पूर्व मंत्री बिहारी प्रसाद मर्डर केस में पूर्व सांसद सूरजभान सिंह सहित अन्य आरोपियों को बरी कर दिया है, जबकि दो आरोपियों को दोषी ठहराया गया है. इन दोनों दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. इससे पहले पटना हाई कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया था. यह फैसला जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने सुनाया. वहीं कोर्ट ने दोषी मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने अपने फैसले में दोनों को 15 दिन के भीतर सरेंडर करने को कहा है.
बिहार में था बाहुबलियों का आतंक
करीब 26 साल पहले बिहार में फैले अंडरवर्ल्ड और बाहुबालियों के आतंक की यादें ताजा हो जाती हैं. उस समय बिहार में देवेंद्र दुबे उर्फ डीडी, मुन्ना शुक्ला, बृज बिहारी प्रसाद, राजन तिवारी और सूरजभान सिंह जैसे कई बाहुबली सक्रिय थे. इनके बीच वर्चस्व की लड़ाई में कई खूनी संघर्ष हुए. देवेंद्र दुबे का चंपारण में काफी दबदबा था, और उस पर लगभग 35 हत्याओं का आरोप लगाया गया था. डीडी की दोस्ती कुख्यात अपराधी श्री प्रकाश शुक्ला के साथ थी, जो रेलवे के ठेकों में हिस्सेदारी और इलाके में वर्चस्व के चलते विकसित हुई थी. 1995 के विधानसभा चुनाव में, डीडी ने जेल में रहते हुए जीत हासिल की थी, जिसमें श्रीप्रकाश शुक्ला और राजन तिवारी की महत्वपूर्ण भूमिका थी.
अस्पताल में टहल रहे थे बृज बिहार
साल 1998 में बृज बिहारी प्रसाद राबड़ी देवी सरकार में विज्ञान और प्राद्यौगिकी मंत्री थे और अपने इलाज के लिए IGIMS अस्पताल में भर्ती थे इस दौरान उनकी हत्या कर दी गई. इस हत्या के बाद पूरा बिहार हिल गया. राजधानी पटना के एक बड़े सरकारी अस्पताल में मंत्री की हत्या से हर कोई हैरान था. बताया जा रहा है कि 13 जून 1998 को मंत्री अस्पताल परिसर में टहल रहे थे और बॉलीगार्ड भी मौजूद थे. इसी बीच अचानक एक एंबेसडर गाड़ी और एक सूमो कार उनके पास पहुंचती है. इसी दौरान बृज बिहारी प्रसाद की हत्या कर दी जाती है.
कौन है इस हत्याकांड के आरोपी
पटना के गर्दनीबाग थाना (अब शास्त्रीनगर) कांड संख्या 336/98 में दर्ज FIR के अनुसार मंटू तिवारी, भूपेंद्र नाथ दुबे, श्रीप्रकाश शुक्ला सहित कई लोग बृजबिहारी प्रसाद और बॉडीगार्ड के पास आ गए. पहले भूपेंद्र नाथ दुबे ने गोली चलाई. उसके बाद मंटू तिवारी ने स्टेनगन से गोली चलानी शुरू कर दी. श्रीप्रकाश शुक्ला ने भी पिस्टल से अंधाधुंध फायरिंग की. जिसके बाद बॉडीगार्ड भी गिर गए.