बिहार चुनाव को लेकर मैदान में उतरे 8% प्रत्याशी नहीं हैं मैट्रिक पास, किन नेताओं के पास कौन सी है डिग्री?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में अब केवल जाति और जनाधार नहीं, बल्कि शिक्षा भी निर्णायक भूमिका निभा रही है. नामांकन शपथपत्रों के अनुसार एनडीए और महागठबंधन के 62% उम्मीदवार ग्रेजुएट या उससे अधिक योग्य हैं. इंजीनियरिंग, एमबीबीएस, पीएचडी, एलएलबी जैसी उच्च डिग्रीधारी उम्मीदवार मैदान में हैं, जबकि 8% नॉन-मैट्रिक उम्मीदवार भी जनाधार के दम पर मुकाबला कर रहे हैं. यह बदलाव बिहार की राजनीति में शिक्षा और योग्यता को नए महत्व की ओर ले जा रहा है.;

( Image Source:  sora ai )
Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 22 Oct 2025 10:33 AM IST

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में इस बार उम्मीदवार चयन का पैटर्न पूरी तरह बदलता हुआ नजर आ रहा है. अब केवल जातीय समीकरण और जनाधार ही नहीं, बल्कि एजुकेशनल क्वालिफ़िकेशन भी एक महत्वपूर्ण मानदंड बन गया है. चुनाव आयोग को सौंपे गए नामांकन शपथपत्रों से यह खुलासा हुआ है कि एनडीए और महागठबंधन दोनों ही लगभग 62% उम्मीदवार ग्रेजुएट या उससे अधिक योग्य हैं. यह आंकड़ा दर्शाता है कि बिहार की राजनीति अब ‘पढ़े-लिखे नेताओं’ की ओर बढ़ रही है.

इस बार कुल उम्मीदवारों में से करीब दो दर्जन के पास इंजीनियरिंग या पीएचडी जैसी उच्च शिक्षा की डिग्री है. इसके अलावा, तीन उम्मीदवार डी-लिट जैसी हायर एजुकेशनल डिग्रीधारी हैं. 17 उम्मीदवार एलएलबी, 12 इंजीनियरिंग, 12 पीएचडी, पांच एमबीबीएस, तीन एमबीए और दो एमफिल डिग्रीधारी हैं. वहीं लगभग 8% उम्मीदवार नॉन-मैट्रिक हैं, जिनमें सात साक्षर और अन्य सातवीं से नौवीं तक पढ़े-लिखे हैं.

पोस्ट ग्रेजुएट और ग्रेजुएट उम्मीदवार

एनडीए-महागठबंधन में कुल 28 उम्मीदवार पोस्ट ग्रेजुएट हैं जबकि 66 उम्मीदवार स्नातक हैं. इंटरमीडिएट योग्यताधारी 47 हैं और मैट्रिक पास 24 प्रत्याशी हैं. इस आंकड़े से स्पष्ट होता है कि बिहार में अब ज्ञान और शिक्षा भी राजनीतिक उम्मीदवारों का मूल्यांकन करने का एक अहम पैमाना बन गया है.

कानूनी और प्रशासनिक ज्ञान वाले उम्मीदवार

कुल 17 उम्मीदवार एलएलबी डिग्रीधारी हैं. ये प्रत्याशी कानून, शासन और प्रशासन की बारीकियों को बेहतर ढंग से समझने की क्षमता रखते हैं. इससे विधानसभा में विधायी और कानूनी बहस में इनकी सक्रिय भागीदारी की संभावना बढ़ जाती है.

इंजीनियरिंग और मेडिकल डिग्रीधारी

12 उम्मीदवार इंजीनियरिंग की डिग्रीधारी हैं. वहीं पांच प्रत्याशियों के पास एमबीबीएस की डिग्री है. इनमें डॉ. सुनील कुमार, डॉ. करिश्मा और डॉ. संजीव कुमार जैसे नाम शामिल हैं. इंजीनियरिंग और मेडिकल डिग्रीधारी उम्मीदवारों का चुनाव उनके पेशेवर अनुभव और तकनीकी ज्ञान के कारण भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

एमबीए, एमफिल और डी-लिट/पीएचडी धारक

तीन उम्मीदवार एमबीए की डिग्रीधारी हैं, जबकि दो उम्मीदवार एमफिल डिग्रीधारी हैं. इसके अलावा डी-लिट और पीएचडी धारक उम्मीदवारों की संख्या भी पर्याप्त है. ये उम्मीदवार शिक्षा के मामले में अत्यधिक कुशल हैं और उन्हें प्रशासनिक और नीति निर्धारण में योगदान देने की उम्मीद है.

जनाधार बनाम शिक्षा

जहां एक ओर शिक्षित उम्मीदवारों की संख्या बढ़ी है, वहीं राजनीति में पुराने समीकरण भी कायम हैं. करीब 8% उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्होंने मैट्रिक भी पास नहीं किया, लेकिन उनका जनाधार मजबूत है. इनमें कुछ केवल साक्षर हैं और कुछ ने सातवीं या आठवीं तक पढ़ाई की है. यह दिखाता है कि शिक्षा महत्वपूर्ण है, लेकिन जनाधार की ताकत भी अब भी निर्णायक है.

नई राजनीति के संकेत

इस बार के चुनाव में उम्मीदवारों की शिक्षा का बढ़ता महत्व बिहार की राजनीति में एक नई दिशा का संकेत देता है. जाति, समाज और अनुभव के साथ अब ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट उम्मीदवारों की संख्या बढ़कर यह स्पष्ट कर रही है कि भविष्य में शिक्षा और योग्यता भी राजनीतिक निर्णय में अहम भूमिका निभाएगी. यह बदलाव राज्य में राजनीतिक परिदृश्य को और अधिक पेशेवर और ज्ञानप्रधान बनाने की संभावना रखता है.

बड़े नेता और उनकी शिक्षा

1. विजय कुमार सिन्हा – लखीसराय (भाजपा)

शिक्षा: इंजीनियरिंग डिग्री

2. विश्वनाथ चौधरी – राजगीर (CPI)

शिक्षा: इंजीनियरिंग डिग्री

3. रूहेल रंजन – इस्लामपुर (जदयू)

शिक्षा: इंजीनियरिंग डिग्री

4. डॉ. सुनील कुमार – बिहारशरीफ (भाजपा)

शिक्षा: एमबीबीएस

5. डॉ. करिश्मा – परसा (राजद)

शिक्षा: एमबीबीएस

6. अमर पासवान – बोचहा (राजद)

शिक्षा: एमबीए

7. सम्राट चौधरी – तारापुर (भाजपा)

शिक्षा: डी-लिट

8. डॉ. संजीव चौरसिया – भाजपा

शिक्षा: पीएचडी

9. डॉ. रामानंद यादव – राजद

शिक्षा: पीएचडी

10. रेणु कुमारी – बिहारीगंज (राजद)

शिक्षा: पीएचडी

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