भिखारी ठाकुर को भारत रत्न दिलाने की मांग तेज, 2.6 करोड़ भोजपुरी वोटर्स पर BJP की नजर, चुनावी गणित में बढ़ेगी पकड़?

लोकगायक और समाज सुधारक भिखारी ठाकुर को भारत रत्न दिलाने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है. इस बीच बीजेपी की नजर 2.6 करोड़ भोजपुरी वोटर्स पर है. दिल्ली बीजेपी के सांसद मनोज तिवारी गोरखपुर सीट से सांसद रवि किशन ने उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न देने की मांग की है. क्या यह मांग चुनावी रणनीति का हिस्सा है. अगर हां तो ​बीजेपी को इसका कितना लाभ मिलेगा.;

Edited By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 30 July 2025 3:52 PM IST

बिहार में नवंबर में विधानसभा चुनाव होना है. इसका असर न केवल बिहार में बल्कि पूर्वी उत्तर प्रदेश की सियासी जमीन पर एक बार फिर सांस्कृतिक और भावनात्मक कार्ड खेले जाने लगे हैं. भोजपुरी समाज के गौरव माने जाने वाले भिखारी ठाकुर को भारत रत्न दिलाने की मांग ने नया राजनीतिक रंग ले लिया है. माना जा रहा है कि बीजेपी इस मुद्दे को भुनाकर भोजपुरी भाषी 2.6 करोड़ वोटर्स को साधना चाहती है.

दरअसल, प्रेम से भिखारी ठाकुर को ‘भोजपुरी के शेक्सपियर’ नाम से पुकारने वाले उनके समर्थकों का मानना है कि वह अंग्रेजी के महान कवि और नाटककार के बराबर हैं. अभिनेता से नेता बने भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसद मनोज तिवारी और रवि किशन सहित कई हस्तियों ने भिखारी ठाकुर को भारत रत्न देने के लिए केंद्र सरकार से लिखित में अनुरोध किया है.

अस्मिता के नाम पर भिखारी का सम्मान

भोजपुरी लोकसंस्कृति के सबसे बड़े नायक माने जाने वाले भिखारी ठाकुर का योगदान अपार रहा है। उन्होंने न सिर्फ भोजपुरी रंगमंच को नई पहचान दी, बल्कि सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ भी आवाज उठाई. ऐसे में उन्हें भारत रत्न देने की मांग कोई नई नहीं है, लेकिन इस बार यह मांग अधिक संगठित और मुखर तरीके से सामने आई है. यह मांग उस समय उठी है, जब नवंबर में बिहार में चुनाव होना है.

BJP की नजर वोट बैंक पर

भिखारी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग को लेकर सियासी जानकारों का मानना है कि बीजेपी इस मांग को हवा देकर भोजपुरी समुदाय के बीच भावनात्मक जुड़ाव मजबूत करना चाहती है. बिहार, पूर्वी यूपी, झारखंड और दिल्ली जैसे क्षेत्रों में भोजपुरी भाषियों की संख्या काफी है. 2.6 करोड़ से अधिक वोटर भोजपुरी भाषी हैं, जो किसी भी चुनावी समीकरण को प्रभावित कर सकते हैं. क्या बीजेपी भिखारी ठाकुर को भारत रत्न देकर भोजपुरी भाषी मतदाताओं को रिझा पाएगी.

क्या है चुनावी स्ट्रेटजी?

भिखारी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग को केंद्र सरकार यदि स्वीकार करती है या उस पर सकारात्मक संकेत देती है, तो यह सीधे तौर पर भोजपुरी समुदाय में बीजेपी के लिए एक मजबूत संदेश बन सकता है. साल 2024 में बीजेपी को इस समुदाय से समर्थन मिला था और 2025 में भी इसे दोहराने की तैयारी है.

कौन थे भिखारी ठाकुर?

बिहार के सारण जिले के कुतुबपुर दियारा गांव में जन्मे ठाकुर जाति से नाई थे. औपचारिक शिक्षा से वंचित थे. वे तत्कालीन कलकत्ता चले गए, जहां उन्होंने प्रवासी मजदूरों के संघर्षों को आत्मसात किया और लेखन शुरू किया. उनकी पहली प्रकाशित कृति 'बटोहिया' (1912) थी, जिसके बाद 'हीरा डोम' के जीवन पर आधारित 'अछूत की शिकायत' प्रकाशित हुई. उन्होंने कुल 29 पुस्तकें लिखीं. प्रवासन के अपने मार्मिक चित्रण के लिए जाने जाने वाले ठाकुर एक कवि, नाटककार, गायक और लोक कलाकार भी बने. उनका सबसे प्रसिद्ध नाटक, 'बिदेसिया' है जो एक प्रवासी परिवार में अलगाव के दर्द को दर्शाता है. भिखारी ठाकुर भोजपुरी से ताल्लुक रखते हैं, लेकिन वे बिहार के सांस्कृतिक प्रतीक हैं.

1990 के दशक में ठाकुर की प्रतीकात्मकता उभरी जब लालू प्रसाद ने छपरा में उनकी मूर्ति स्थापित की. आरा और उनके पैतृक गांव में भी उनकी मूर्तियाँ हैं. दिसंबर 2023 में नीतीश कुमार सरकार ने छपरा में एक सभागार और कला दीर्घा का नाम उनके नाम पर रखा.

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