Samrat Chaudhary के गृहमंत्री बनने के बाद बिहार में भी शुरू होगी बुलडोजर-एनकाउंटर की कार्रवाई, किन लोगों को हो रही टेंशन?

बिहार की सत्ता में बड़ा फेरबदल करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहली बार गृह मंत्रालय अपने सहयोगी दल बीजेपी को सौंप दिया है. सम्राट चौधरी के गृह मंत्री बनने के बाद बिहार में बुलडोजर और एन्काउंटर स्टाइल कार्रवाई की शुरूआत की चर्चा तेज हो गई है. इसे बीजेपी के मिशन 2030 का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें सम्राट को भविष्य के सीएम फेस के रूप में तैयार किया जा रहा है. इस फैसले से अपराधी और भ्रष्ट तंत्र में बेचैनी बढ़ी है, वहीं आरजेडी व तेजस्वी यादव पर सीधा दबाव बन गया है. जातीय समीकरण की दृष्टि से भी यह NDA का रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है क्योंकि इससे कुशवाहा और पिछड़े वर्ग में पकड़ मजबूत होगी. बिहार में सम्राट चौधरी की एंट्री के साथ सुशासन का नया अध्याय शुरू हो चुका है.;

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Edited By :  नवनीत कुमार
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बिहार की राजनीति में इस बार सिर्फ सरकार ही नहीं बदली, ताक़त का असली केंद्र भी खिसक चुका है. 2025 के विधानसभा चुनाव में जब नीतीश कुमार ने एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी थामी, तो साथ ही ऐसे फैसले लिए गए जिनसे आने वाले वर्षों की राजनीति का रुख बदल सकता है. इनमें सबसे बड़ा फैसला गृह विभाग किसी और को सौंप देना. ये वही विभाग है जिसने नीतीश कुमार को “सुशासन बाबू” का ब्रांड दिलाया था और जिसे उन्होंने पिछले 20 साल में किसी भी सहयोगी के हाथ नहीं दिया था.

लेकिन इस बार तस्वीर उलट गई. नीतीश ने सत्ता के संचालन की चाबी बीजेपी नेता सम्राट चौधरी को सौंपकर यह संकेत दे दिया कि बिहार की नई कहानी अब नए किरदार लिखेंगे. और यही बदलाव कई राजनीतिक धड़ों की धड़कनें बढ़ा रहा है. क्योंकि सत्ता की असली मशीनरी अब बीजेपी समर्थित गृह मंत्री के हाथ में है.

सुशासन की विरासत का नया उत्तराधिकारी

नीतीश कुमार ने भले ही कुर्सी कायम रखी हो, पर इस बार उनका लक्ष्य भविष्य की बागडोर तय करना है. सम्राट चौधरी उसी कुशवाहा समुदाय से आते हैं जिसने दशकों से नीतीश की राजनीति को मजबूत आधार दिया. नीतीश समझ चुके हैं कि नेतृत्व का उत्तराधिकारी तय किए बिना जेडीयू का भविष्य सुरक्षित नहीं रह सकता और गृह मंत्रालय का जिम्मा देकर उन्होंने सम्राट को बीजेपी और अपने पक्ष दोनों में सबसे आगे खड़ा कर दिया है.

2030 की लड़ाई की तैयारी शुरू

बीजेपी ने इस फैसले को सिर्फ मंत्रालय वितरण नहीं, बल्कि आने वाले चुनाव का चेहरे का चयन माना है. सम्राट चौधरी को केंद्र नेतृत्व का स्पष्ट समर्थन है. संदेश साफ है, यदि अगला चुनाव नीतीश नहीं लड़ते तो जिम्मेदारी सम्राट की होगी. यानी बिहार में सीएम रेस के प्रमुख दावेदार अब वो बन चुके हैं.

कार्यभार संभालते ही अपराध पर सीधा वार

गृह मंत्री बनते ही सम्राट चौधरी का बयान घोषणापत्र जैसा था, “अब अपराधियों की खैर नहीं. पुलिस के हाथ अब बंधे नहीं, खुले हैं.” बुलडोजर, एनकाउंटर और त्वरित कार्रवाई वाला यूपी मॉडल बिहार में भी सक्रिय होने की सुगबुगाहट दिख रही है. इसी कारण, अपराध जगत से लेकर सियासत के कई चेहरों पर तनाव साफ झलक रहा है.

किसे सबसे ज्यादा बेचैनी? विपक्ष समझ गया संदेश

इस बदलाव का सबसे बड़ा असर आरजेडी और तेजस्वी यादव पर दिख रहा है. बिहार की जातीय राजनीति की जड़ों में जो समीकरण गहरे उतरे हैं, सम्राट चौधरी उन्हें चुनौती देने के लिए बिल्कुल परफेक्ट विकल्प हैं. उनकी नियुक्ति ने आरजेडी के यादव–मुस्लिम वोटबैंक को कड़ी टक्कर देने वाला नेतृत्व खड़ा कर दिया है.

जातीय गणित में बीजेपी–जेडीयू का मास्टर स्ट्रोक

बिहार की जनगणना बताती है कि सबसे बड़ा समूह EBC है, और फिर OBC. सम्राट इसी कोइरी–कुशवाहा आधार का चेहरा हैं. यानी जहां RJD यादवों पर टिकी है, वहीं NDA ने बाकी OBC/EBC समूहों को एकजुट करने की चाल चल दी है. यह समीकरण आरजेडी की सबसे बड़ी राजनीतिक टूट बन सकता है.

अपराधियों के साथ-साथ सिस्टम में भी घबराहट

बिहार पुलिस और प्रशासन नीतीश के स्टाइल से वर्षो परिचित थे. लेकिन बीजेपी शैली की कार्रवाई तेज़, कठोर और पॉलिटिकल प्रोटेक्शन से मुक्त होती है. इसलिए न केवल अपराधी, बल्कि वो नेता और अफसर भी बेचैन हैं जिनके पास पुरानी फाइलें दबी पड़ी हैं.

सरकार में ‘नंबर 2’ की पहचान भी बदल गई

नीतीश ने सिर्फ गृह मंत्रालय ही नहीं बदला. सरकार की दूसरी सबसे बड़ी कुर्सी भी बिजेंद्र प्रसाद यादव को देकर नया पावर सेंटर बना दिया है. ऊर्जा, योजना, वित्त, उत्पाद राज्य की पूरी आर्थिक नब्ज अब उन्हीं के हाथ में है. इससे आरजेडी को भी साफ़ संदेश दिया गया है कि यादव समाज का नेता सिर्फ लालू परिवार नहीं होगा.

कौन हैं बिजेंद्र यादव?

लगातार 9 बार सुपौल से विधायक, वरिष्ठ, अनुभवी, और सियासी तौर पर बेहद मजबूत हैं. बिजेंद्र यादव को अब उन कुर्सियों पर बैठाया गया है जहां से बिहार का बजट और विकास नियंत्रित होता है. वह नीतीश के भरोसेमंद सलाहकार और भविष्य की आर्थिक नीतियों के मुख्य चेहरा बन चुके हैं.

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