आखिर किसके हाथों की कठपुतली थे Pawan Singh? RK Singh के खुलासे के बाद Bihar की सियासत में बवाल
आरके सिंह ने अपनी हार के लिए बीजेपी के भीतर की साजिश को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद की दावेदारी के कारण पार्टी के कुछ बड़े नेताओं को उनकी बढ़ती लोकप्रियता खटकने लगी. समर्थकों के नारों ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दीं, जिससे उनका राजनीतिक करियर प्रभावित हुआ. उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ नेताओं ने उनकी हार सुनिश्चित करने की साजिश रची.;
आरा लोकसभा सीट से हार के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता आरके सिंह ने बड़ा दावा किया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि उनकी ही पार्टी के एक बड़े नेता ने उनकी हार सुनिश्चित करने के लिए साजिश रची. आरके सिंह का कहना है कि भोजपुरी अभिनेता और गायक पवन सिंह को एक बीजेपी नेता ने पैसे देकर निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए कहा गया, जिससे वोटों का बंटवारा हुआ और उनकी हार हुई.
आरके सिंह ने दावा किया कि पवन सिंह को पहले आसनसोल सीट से बीजेपी का टिकट मिलने वाला था, लेकिन विवादित गानों के चलते उन्हें टिकट नहीं दिया गया. इसके बाद पार्टी के ही कुछ नेताओं ने पवन सिंह को निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे राजपूत और कुशवाहा वोट बंट गए और उपेंद्र कुशवाहा को हार का सामना करना पड़ा. सिंह का कहना है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व पवन सिंह को चुनाव लड़ने से रोक सकता था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.
पार्टी के नेताओं पर साधा निशाना
बिहार के भोजपुर जिले के तरारी ब्लॉक में एक कार्यक्रम के दौरान आरके सिंह ने कहा कि उनकी हार में पार्टी के कुछ नेताओं का बड़ा हाथ था. उन्होंने कहा कि बिहार के कुछ बीजेपी नेताओं ने उनके खिलाफ साजिश रची और चुनाव में पैसे बांटे गए. पोलिंग के दिन उनके 60 प्रतिशत बूथों पर एजेंट ही नहीं थे, जिससे उनकी हार हुई.
साजिश का करेंगे पर्दाफाश
आरके सिंह ने कहा कि वह जल्द ही सबूत जुटाकर इस साजिश में शामिल लोगों के नाम उजागर करेंगे. उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि अगर 2025 में इन साजिशकर्ताओं को टिकट मिलता है, तो वह उनके खिलाफ खड़े होंगे. उनका कहना है कि वह इस अन्याय को चुपचाप सहन नहीं करेंगे और इसके खिलाफ खुलकर लड़ाई लड़ेंगे.
सीएम पद की दावेदारी से हुई साजिश
आरके सिंह ने अपनी हार के पीछे एक और बड़ा कारण मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को बताया. उन्होंने कहा कि बीजेपी के भीतर कुछ नेताओं को उनकी बढ़ती लोकप्रियता रास नहीं आई. उनके समर्थक कई जगहों पर नारा लगाने लगे थे, "बिहार का मुख्यमंत्री कैसा हो, आरके सिंह जैसा हो." यही वजह बनी कि पार्टी में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की नजरों में वे खटकने लगे और उनके खिलाफ साजिश रची गई.