सजा या बदला? असम में बंगाल टाइगर की पीट-पीट कर हत्या, ट्रॉफी बनाकर ले गए आंख-कान

असम से एक दिल दहलाने वाली खबर सामने आई है, जहां 1 हजार लोगों की भीड़ ने पूरी प्लानिंग के साथ बंगाल टाइगर की हत्या की. इतना ही नहीं, लोग टाइगर के आंख, कान और पैर जैसे अंग घर लेकर गए. दरअसल यह बदला लिया गया.;

Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 23 May 2025 9:21 AM IST

गुरुवार की सुबह असम के गोलाघाट जिले के दुसुतिमुख गांव में एक भयावह घटना घटी. करीब 1,000 ग्रामीण माछेटी, भाले और लोहे की छड़ों के साथ जंगल की ओर निकले. उनकी नजरें एक रॉयल बंगाल टाइगर पर थीं, जो हाल ही में गांव के एक व्यक्ति की जान ले चुका था.

साथ ही, मवेशियों पर भी हमला कर रहा था. ग्रामीणों को मई की शुरुआत से ही बाघ की मौजूदगी का अंदेशा था. इसलिए उन्होंने पहले से ही हथियार जुटा लिए थे, ताकि उसकी हत्या कर सके. 

अंग-अंग काटे

सुबह 8-9 बजे के बीच ग्रामीणों ने बाघ को एक जंगल में घेर लिया. भीड़ ने मिलकर उसे बेरहमी से पीटा और धारदार हथियारों से मार डाला. बाघ की मौत के बाद लोगों ने उसके पैर, कान, दांत और चमड़ी के कुछ हिस्से काट लिए और 'ट्रॉफी' के तौर पर अपने साथ ले गए.

वन विभाग की नाकाम कोशिश 

वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे, लेकिन तब तक बाघ की जान जा चुकी थी. बाघ को बचाने की कोशिश में तीन वनकर्मी भी घायल हो गए. पोस्टमार्टम के बाद बाघ के शव का अंतिम संस्कार किया गया. घटना की जांच जारी है और अब तक एक व्यक्ति की गिरफ्तारी हो चुकी है.

कानूनी पहलू और संरक्षण की चुनौती

रॉयल बंगाल टाइगर IUCN की रेड लिस्ट में लुप्तप्राय प्रजाति है और भारत के वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत पूरी तरह संरक्षित है. शिकार, तस्करी और अंगों का व्यापार कानूनन अपराध है. इसके बावजूद, इस साल असम में बाघ की यह तीसरी मौत है.

समाज और राजनीति की प्रतिक्रिया

स्थानीय विधायक मृणाल सैकिया ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि 'धरती सिर्फ इंसानों के लिए नहीं, जानवरों के लिए भी हैं.' उन्होंने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की.

असम में बाघों की स्थिति

2022 की जनगणना के अनुसार, असम में 227 बाघ हैं. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व से महज 20 किलोमीटर दूर हुई यह घटना वन्यजीव संरक्षण की गंभीर चुनौती को उजागर करती है.

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