कौन है असम के लैशराम कमलबाबू सिंह? जिन्हें ढूंढने के लिए 2,000 सेना कर्मियों को किया गया तैनात

मणिपुर में हिंसा के दौरान असम के रहने वाले लैशराम कमलबाबू सिंह लापता हो गए थे. उनके लापता होने के बाद से काफी विरोध प्रदर्शन देखने को मिला. हालांकि अब पुलिस ने उन्हें ढूंढने के लिए भारतीय सेना की मदद ली है. भारतीय सेना के 2000 सेना कर्मी लैशराम को ढूंढने में मदद करेंगे.;

( Image Source:  Social Media: X- Manipur Police )
Edited By :  सार्थक अरोड़ा
Updated On : 3 Dec 2024 4:15 PM IST

मणिपुर के जिबीराम में 11 नवंबर को छह महिलाओं और बच्चों को किडनैप करके अगवा कर लिया गया था. इस दौरान असम के रहने असम के कछार जिले में रहने वाले लैशराम कमलबाबू सिंह भी इंफाल से लापता हुए थे. बताया गया कि 58 साल के लैशराम लीमाखोंग सैन्य शिविर में काम पर जाने के लिए घर से निकले थे. लेकिन उसके बाद से वह वापिस नहीं लौटे.

इस घटना को काफी समय हो चुका है. इस बीच पुलिस ने जानकारी देते हुए कहा कि भारतीय सेना ने लापता व्यक्ति की तलाश में 2 हजार सेना के कर्मियों को तैनात किया है.

मणिपुर सीएम ने दिया था बयान

वहीं इस मामले पर सीएम एन बिरेन सिंह ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि कमलबाबू सिंह सैने के अड्डे से 25 नवंबर को लापता हुए थे. उन्होंने सैन्य अधिकारियों से उन्हें ढूढंने की जिम्मेदारी सौंपी थी. इस बयान के बाद मणिपुर पुलिस ने जानकारी देते हुए कहा कि भारतीय सेना की मदद से मणिपुर की पुलिस लापता हुए व्यक्ति को ढूंढने के लिए अभियान चला रही है. ताकी लैशराम कमलबाबू सिंह का पता लगाया जा सके.

2 हजार अधिकारी करेंगे खोज

इस पोस्ट में बताया गया कि सेना के 2 हजार से भी ज्यादा सैनिक लापता व्यक्ति की खोज करने वाले हैं. इस दौरान हेलीकॉप्टर, ड्रोन और सेना के डॉग की मदद से उन्हें ढूंढा जाएगा. इस संबंध में हर संभव प्रयास सहायता और जरूरी सामान उपलब्ध करवाया गया है. जानकारी के अनुसार तकनीक का इस्तेमाल करते हुए आगे की जांच की जा रही है.

पत्नी ने किया विरोध प्रदर्शन

अपने पति के लापता होने के दौरान लैशराम सिंह की पत्नी ने सेना के अड्डे से करीब 2.5 किलोमीटर की दूरी पर कांटो सबल में धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान सड़क जाम के लिए कई कोशिशें की गई थी. जिसके बाद उन्हें ढूंढने को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया सामने आई थी. वहीं सेना के अड्डा इंफाल से करीब 16 कीलोमीटर की दूरी पर हैं. जहां लैशराम काम करने के लिए जाते थे. जानकारी के अनुसार इस क्षेत्र में कुकी समुदाय के लोग रहा करते हैं. लेकिन जिस समय यहां हिंसा हुई मेतई के लोग भी यहां रहने के लिए पहुंचे थे.

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