असम सरकार ने गुवाहाटी के जंगलों में शुरू किया विशेष सर्वे, सीएम हिमंता बोले- धर्म नहीं, जनसंख्या असंतुलन रोकना है मकसद
असम सरकार ने गुवाहाटी और उसके आसपास के जंगल क्षेत्रों में बसे गैर-स्वदेशी निवासियों की पहचान के लिए एक लक्षित सर्वे शुरू किया है, जिनके परिवार कम से कम तीन पीढ़ियों से वहां नहीं रह रहे हैं. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने स्पष्ट किया कि यह सर्वे केवल जंगल भूमि तक सीमित है. इसका धर्म से कोई संबंध नहीं है. स्वदेशी समुदायों को इससे डरने की आवश्यकता नहीं है. सरकार मिशन बसुंधरा III के तहत स्वदेशी लोगों को भूमि अधिकार (पट्टा) देने पर भी विचार कर रही है.;
Himanta Biswa Sarma on forest encroachment: असम सरकार ने गुवाहाटी और आसपास के जंगलों में बसे गैर-स्थानीय लोगों की पहचान के लिए एक विशेष सर्वे अभियान शुरू किया है. यह सर्वे केवल उन्हीं लोगों पर केंद्रित है जिनके परिवार कम से कम तीन पीढ़ियों से इस क्षेत्र में नहीं रह रहे हैं. राजस्व भूमि पर बसे लोगों और मूल निवासियों को इस सर्वेक्षण से बाहर रखा गया है.
मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने गुरुवार को कैबिनेट बैठक के बाद इस सर्वेक्षण की घोषणा की और स्पष्ट किया कि इसका धर्म से कोई संबंध नहीं है, बल्कि यह सिर्फ उन लोगों के खिलाफ है जो 'क्षेत्र की जनसंख्या संरचना को बदलने के इरादे' से बसने आए हैं.
“सर्वे का धार्मिक पहचान से कोई लेना-देना नहीं है”
सीएम सरमा ने कहा, “यह सर्वे सिर्फ फॉरेस्ट लैंड तक सीमित है. इसका धार्मिक पहचान से कोई लेना-देना नहीं है. स्थानीय लोग इस दायरे में नहीं आते.” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार जल्द ही मिशन बसुंधरा III के तहत जंगलों में रह रहे मूल निवासियों को भूमि अधिकार (पट्टा) देने पर विचार कर रही है.
गुवाहाटी पर जनसंख्या का दबाव
सरमा ने कहा कि गुवाहाटी में जनसंख्या दबाव तेजी से बढ़ा है. उन्होंने कहा, “अगर शहर 10 लाख लोगों के लिए बना था, तो आज यहां लगभग 20 लाख लोग रह रहे हैं. हमें थोड़ी सफाई की जरूरत है, ताकि दबाव कम हो सके.” उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि स्थानीय लोगों को हटाने की कोई योजना नहीं है, और उन्हें डरने की आवश्यकता नहीं है.
कटाबाड़ी हिल्स में नए बेदखली नोटिस
हाल ही में आदिंगिरी क्षेत्र में कार्रवाई के बाद अब प्रशासन की नजर कटाबाड़ी हिल्स पर है. 29 जुलाई को वन विभाग ने गुवाहाटी के फतासील इलाके में अतिक्रमण करने वालों को नए बेदखली नोटिस जारी किए. इन लोगों पर संरक्षित वन भूमि में घुसपैठ, पेड़ों की कटाई और असम फॉरेस्ट रेगुलेशन, 1891 (संशोधित 1995) की धाराओं 24 और 25 के उल्लंघन का आरोप है.
अतिक्रमणकारियों को 7 दिनों के भीतर जमीन खाली करने को कहा
धारा 72(g) के तहत इन अतिक्रमणकारियों को 7 दिनों के भीतर जमीन खाली करने को कहा गया है, अन्यथा बलपूर्वक हटाया जाएगा. प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया में हुए किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी सरकार की नहीं होगी. यह अभियान गुवाहाटी और उसके आसपास के हरित क्षेत्रों को अतिक्रमण से बचाने और अनियंत्रित शहरी विस्तार पर नियंत्रण करने की राज्य सरकार की व्यापक रणनीति का हिस्सा है.