'बिना वारंट के कर रहे गिरफ्तार, तो..', गुवाहाटी हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव और DGP को जारी किया निर्देश

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने असम डीजीपी और मुख्य सचिव को निर्देश जारी कर कहा है कि अगर बिना वारंट के किसी को गिरफ्तार कर रहे हैं तो उसे गिरफ्तारी के समय नोटिस जारी करें. इसके साथ ही, उसे गिरफ्तारी का कारण भी बताएं. अदालत ने आगे कहा कि इस आवश्यकता का पालन न करने पर गिरफ्तारी अमान्य हो जाएगी, क्योंकि यह संवैधानिक आदेशों का उल्लंघन होगा.;

By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 13 March 2025 3:30 PM IST

Assam News Gauhati High Court:  गुवाहाटी हाईकोर्ट ने बुधवार को असम के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां बिना वारंट के गिरफ्तारी करते समय गिरफ्तारी के आधारों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करें. अदालत ने जोर देकर कहा कि बीएनएसएस, 2023 की धारा 47 या एनडीपीएस अधिनियम, 1985 की धारा 52(1) जैसे विशेष कानूनों के तहत, अधिकारियों को गिरफ्तारी के समय एक नोटिस जारी करना चाहिए, जिसमें अपराध का पूरा विवरण, आरोपों की प्रकृति और गिरफ्तारी को उचित ठहराने वाले तथ्य शामिल हों.

अदालत ने आगे कहा कि इस आवश्यकता का पालन न करने पर गिरफ्तारी अमान्य हो जाएगी, क्योंकि यह संवैधानिक आदेशों का उल्लंघन होगा. इसके अलावा, अदालत ने आदेश की एक प्रति मुख्य सचिव, असम पुलिस के महानिदेशक और न्यायिक अकादमी, असम के निदेशक को भेजने का निर्देश दिया, ताकि कानूनी आवश्यकताओं के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके.

यह आदेश साकिब चौधरी द्वारा दायर जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान आया, जिन्हें जनवरी में मंगलदाई के एक होटल से गिरफ्तार किया गया था. उन पर आरोप है कि उन्होंने हैकर्स की मदद से लक्षित खातों से अपने रिसीवर खातों में धनराशि स्थानांतरित करके बैंक धोखाधड़ी की.

'गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधारों के बारे में सूचित करें'

बचाव पक्ष के वकीलों ने तर्क दिया कि गिरफ्तारी करने वाले अधिकारियों का संवैधानिक कर्तव्य है कि वे गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधारों के बारे में सूचित करें, जिसमें अपराध का पूरा विवरण शामिल हो. हालांकि, उन्होंने दावा किया कि आरोपी को ऐसी कोई जानकारी प्रदान नहीं की गई, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22(1) और बीएनएसएस, 2023 की धारा 47 के तहत उनके संवैधानिक और वैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है.

हाई कोर्ट ने साकिब चौधरी को दी जमानत

राज्य की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक आरआर कौशिक ने जमानत का विरोध किया, यह तर्क देते हुए कि केस डायरी में साकिब चौधरी के खिलाफ पर्याप्त आपत्तिजनक सबूत हैं. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, हाई कोर्ट ने साकिब चौधरी को 50,000 रुपये के जमानत बांड और समान राशि के दो जमानतदारों के साथ जमानत दे दी, जो दरंग के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की संतुष्टि के लिए प्रस्तुत किए जाने थे.

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