शादी से इनकार पर शख्स ने सरेआम लड़की की ले ली थी जान, अब कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा
असम में चार साल पहले हुए हत्या के मामले में कोर्ट ने अब शख्स को फांसी पर लटकाने की आदेश दिया है. दरअसल एक महिला ने दोषी से शादी करने से इनकार कर दिया था. ऐसे में उसने गुस्से में आकर सरेआम बस स्टैंड पर महिला की चाकू से हत्या कर दी.;
असम के धेमाजी जिले की एक अदालत ने एक दिल दहला देने वाले मामले में रिंतू शर्मा नाम के व्यक्ति को मौत की सजा सुनाई है. चार साल पहले, रिंतू ने एक महिला की सिर्फ इसलिए हत्या कर दी थी क्योंकि उसने उसके शादी करने से मना कर दिया था. अदालत ने इसे ‘रेरेस्ट ऑफ द रेयर’ यानी अत्यंत जघन्य अपराध मानते हुए फांसी की सजा सुनाई.
यह खौफनाक घटना 2021 में धेमाजी के ASTC बस स्टैंड पर हुई थी, जहां रिंतू शर्मा ने महिला पर चाकू से कई वार किए और उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया. इलाज के दौरान महिला की मौत हो गई थी. वारदात के बाद आरोपी ने खुद पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था.
क्या है पूरा मामला?
21 अगस्त 2021 की दोपहर असम के धेमाजी जिले में स्थित ASTC बस स्टैंड पर रोज़ की तरह हलचल थी, लेकिन उस दिन सब कुछ अचानक थम गया, जब उसने उसने मछेती (चाकू जैसा तेज़ हथियार) से नंदिता पर कई बार वार किए. सरेआम हुए इस खौफनाक हमले में नंदिता गंभीर रूप से घायल हो गई थी. स्थानीय लोगों ने उसे अस्पताल पहुंचाया, लेकिन चार दिन की जद्दोजहद के बाद, 25 अगस्त 2021 को डिब्रूगढ़ के एक निजी नर्सिंग होम में उसकी मौत हो गई.
शादी से इनकार बना हत्या की वजह
जांच के दौरान पता चला कि रिंतु शर्मा, नंदिता से शादी करना चाहता था. जब नंदिता ने उससे शादी करने से मना कर दिया, तो उसने गुस्से में आकर उस पर हमला कर दिया. यही नहीं, हमले में एक अन्य छात्रा कश्मीना दत्ता और उसके पिता देबा दत्ता भी बुरी तरह घायल हुए थे. हमले के बाद रिंतु शर्मा ने खुद पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया थाय
चार साल तक चला मुकदमा, 41 गवाह पेश
इस मामले की सुनवाई धेमाजी जिला एवं सत्र न्यायालय में हुई. पुलिस ने 400 पन्नों की चार्जशीट पेश की, जिसमें कई सबूत और चश्मदीद गवाह शामिल थे. 41 गवाहों की गवाही के बाद कोर्ट ने रिंतु को दोषी ठहराया. न्यायाधीश कल्याणजीत सैकिया ने बुधवार को रिंतु शर्मा को धारा 341 – गलत तरीके से रास्ता रोकना, धारा 326 – गंभीर रूप से चोट पहुंचाना, धारा 307 – हत्या का प्रयास और धारा 302 – हत्या की इन धाराओं के मुताबिक दोषी पाया.
'रेरेस्ट ऑफ द रेयर' केस
फैसले के दौरान अदालत ने साफ तौर पर कहा कि यह हत्या इतनी नृशंस, क्रूर और सुनियोजित थी कि इसे सिर्फ उम्रकैद से न्याय नहीं मिल सकता. यदि केवल उम्रकैद दी जाती है, तो यह न्याय की आत्मा को संतुष्ट नहीं करेगा. इसलिए, आरोपी को IPC की धारा 302 के तहत फांसी की सजा दी जाती है — उसे फांसी पर लटकाया जाएगा,"
नंदिता को मिला न्याय, पर दर्द बाकी है...
चार साल बाद नंदिता के परिजनों को न्याय मिला, लेकिन जो खालीपन उनकी जिंदगी में आया, उसे कोई फैसला नहीं भर सकता है. यह केस न सिर्फ नंदिता के लिए इंसाफ का प्रतीक बना, बल्कि समाज को यह भी याद दिलाता है कि ना कहना किसी की मौत की वजह नहीं बनना चाहिए.