असम में तेजी से हो रही वनों की कटाई, NGT ने केंद्र और राज्य सरकार को भेजा नोटिस
असम में तेजी से वनों की कटाई हो रही है, जिससे वन क्षेत्र में कमी हुई है. इससे वन्य जीवन भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है. इस स्थिति का एनजीटी ने स्वतः संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज करते हुए राज्य और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. वहीं, वन क्षेत्रों में बढ़ते अतिक्रमण के बीच क्षेत्रीय राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने दीफू में कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन भी किया.;
Assam Forest Cover: केंद्रीय मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने लोकसभा में दावा किया कि असम में सबसे अधिक वन क्षेत्र है. हालांकि, आधिकारिक आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं. इनके मुताबिक, असम न केवल वन भूमि अतिक्रमण में सबसे आगे है, बल्कि यहां वनों की कटाई की दर भी चिंताजनक है. भारत वन स्थिति रिपोर्ट (ISFR) 2023 के अनुसार, असम में वर्तमान में 19,699.73 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र है, लेकिन अकेले 2021 और 2023 के बीच 86.66 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र नष्ट हो गया.
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि असम की 2,13,253.91 हेक्टेयर वन भूमि पर अतिक्रमण किया गया है, जो भारत में किसी राज्य की तुलना में सबसे अधिक है. इसके बाद महाराष्ट्र (57,554.87 हेक्टेयर) और अरुणाचल प्रदेश (53,499.96 हेक्टेयर) का स्थान है.
एनजीटी ने दर्ज किया मामला
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए स्वतः संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया है. उसने राज्य और केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया है. न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि असम ने वन संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण कानूनों का उल्लंघन किया है, जिससे पूर्वोत्तर क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव और भी खराब हो गया है.
वनों की कटाई से बुरी तरह प्रभावित हुआ है वन्य जीवन
वनों की कटाई से असम का वन्य जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. इसके चलते हाथियों को भोजन की तलाश में मानव बस्तियों की ओर आना पड़ रहा है. आधिकारिक रिपोर्टों के मुताबिक, 2019-20 और 2023-24 के बीच असम में हाथियों के साथ मानव संघर्ष के कारण 383 लोगों की मौत हुई है, जबकि 91 हाथियों को अपनी जान गंवानी पड़ी. सोनितपुर जिले में मानव-हाथी संघर्ष की घटनाएं सबसे अधिक हुई हैं।.
वन क्षेत्रों में बढ़ते अतिक्रमण के बीच क्षेत्रीय राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने दीफू में कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद (केएएसी) कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया. एपीएचएलसी, एएसडीसी, केएसए, केएनसीए, एएसडीसीवाईएफ और केएआरएए के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने अवैध आप्रवासियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की. उन्होंने स्वदेशी समुदायों की सुरक्षा के लिए सख्त भूमि कानून बनाने का आह्वान किया.
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अनियंत्रित अतिक्रमण से कार्बी आंगलोंग की सांस्कृतिक और क्षेत्रीय अखंडता को खतरा है. उन्होंने क्षेत्र की पहचान को बनाए रखने और वन भूमि पर कब्जे को रोकने के लिए निर्णायक कदम उठाने का आग्रह किया. वहीं, पर्यावरणविदों ने चेतावनी दी है कि यदि वर्तमान प्रवृत्ति जारी रही तो राज्य को गंभीर जैव विविधता हानि, जलवायु अस्थिरता और मानव-वन्यजीव संघर्ष में वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है.