गुवाहाटी में हो क्या रहा है? डेढ़ महीने में 6 युवाओं की हुई मौत, लोगों में भय का माहौल
असम से एक बड़ी खबर सामने आ रही है. राजधानी गुवाहाटी में युवाओं की मौत की बाढ़ आ गई है. पिछले डेढ़ महीनों के दौरान 6 युवाओं की मौत हुई है. हालांकि, उनकी मौत की वजह का खुलासा अभी तक नहीं हुआ है. मामले की जांच जारी है, लेकिन इन घटनाओं से लोगों में भय का माहौल है. इन घटनाओं ने गुवाहाटी के युवाओं की स्थिति पर चर्चा को जन्म दिया है. कई लोग इस पर सवाल उठा रहे हैं.

Guwahati Crime News: असम की राजधानी गुवाहाटी में युवाओं की मौत की बाढ़ आ गई है. इससे लोगों में भय का माहौल है. पिछले डेढ़ महीने में छह युवाओं की मौत हुई है. इन मौतों की वजह का अब तक खुलासा नहीं हो पाया है, लेकिन माना जा रहा है कि उन्होंने आत्महत्या की है.
ताजा मामला 9 जनवरी का है. तिनसुकिया की रहने वाले 25 साल की महिला का शव उसके किराए के घर में पड़ा मिला. मौत की वजह का खुलासा नहीं हो पाया है. हालांकि, यह माना जा रहा है कि उसकी हत्या की गई है. मामले की जांच जारी है.
26 दिसंबर को महिला की चाकू घोंपकर हुई हत्या
एक और घटना 26 दिसंबर को हुई, जब 25 वर्षीय मौसमी गोगोई को उनके घर के बाहर बेरहमी से चाकू घोंपकर मौत के घाट उतार दिया गया. वहीं, उन पर हमला करने वाला भूपेन दास ने खुदकुशी करने की कोशिश की, लेकिन उसे गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (जीएमसीएच) ले जाया गया. वह नलबाड़ी जिले का रहने वाला है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, दास ने गोगोई के बार-बार मना करने के बावजूद लगातार उनके साथ संबंध बनाने की कोशिश की. इन घटनाओं ने गुवाहाटी के युवाओं की स्थिति पर चर्चा को जन्म दिया है. कई लोग इस पर सवाल उठा रहे हैं.
'पैसों की कमी गलत रास्ते की ओर धकेलती है'
असम ट्रिब्यून से बात करते हुए जू रोड के रहने वाले दिबाकर गोस्वामी ने कहा कि ऐसी घटनाओं के पीछे कई कारण हैं. दूरदराज के इलाकों से लोग बेहतर जीवन की तलाश में शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं. वे अक्सर शहरी जीवन को गुलाबी चश्मे से देखते हैं. पैसों की कमी की वजह से छात्र और कम आय वाले कामगार गलत काम करने लग जाते हैं. एक बार जब वे इस रास्ते पर चल पड़ते हैं, तो वे दुश्मन बना लेते हैं और चीजें नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं.
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'सभी मामले पुलिस के हस्तक्षेप से परे'
गुवाहाटी में बढ़ती आपराधिक घटनाओं पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है कि ये सभी मामले सामाजिक मुद्दों के अंतर्गत आते हैं. अगर कोई लिव-इन रिलेशनशिप में है, विवाहेतर संबंध रखता है या फिर व्यक्तिगत विवादों में उलझा हुआ है, तो ये सभी मामले पुलिस के हस्तक्षेप से परे हैं, सिवाय किसी कानूनी पहलू के. वहीं, बी बरूआ कॉलेज की छात्रा मधु एस डेका ने कहा कि मौजूदा स्थिति चिंताजनक है. हमने देखा है कि कई युवा गलत रास्ता अपनाकर खुद को खतरनाक परिस्थितियों में फंसा लेते हैं. शहरी जीवन की संरचना इसमें अहम भूमिका निभाती है.
डेका ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में लोग शाम को एक साथ मिलते हैं, जहां वे अपनी समस्याएं साझा करते हैं. इससे उन्हें मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मदद मिलती है. शहरों में ऐसे सामाजिक बंधन देखने को नहीं मिलते.
'मानसिक स्वास्थ्य विकार 2030 तक बड़ा संकट बन जाएगा'
उज़ान बाज़ार स्थित साइकियाट्रिक क्लिनिक के मनोचिकित्सक डॉ. जयंत दास ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी 50 प्रतिशत समस्याएं 15 साल की उम्र में शुरू हो जाती हैं. वहीं, 75 प्रतिशत मानसिक विकार 26 साल से पहले ही सामने आ जाते हैं. उन्होंने चेतावनी दी है कि WHO के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य विकार 2030 तक एक बड़ा संकट बन जाएगा. हमें युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए.
डॉ जयंत दास ने कहा कि माता-पिता और शिक्षक स्वस्थ भावनात्मक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उन्होंने आगे बताया कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता जन्म से पहले ही शुरू हो जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि माता-पिता को अपने बच्चे को शुरुआती चरणों से ही भावनात्मक स्थिरता प्रदान करने वाला पोषण वातावरण प्रदान करने के लिए खुद को तैयार करना चाहिए.
डॉ. दास ने सोशल मीडिया के खतरों पर भी प्रकाश डाला और कहा कि युवाओं को साइबर-बदमाशी, लत और गलत सूचना के जोखिमों के बारे में शिक्षित करना जरूरी है. केवल जागरूकता के माध्यम से ही हम उन्हें सही रास्ते पर ला सकते हैं. उन्होंने कहा कि सामुदायिक बंधन को मजबूत करना, मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ाना और प्रभावी अपराध रोकथाम उपायों को लागू करना, शहर के युवाओं को सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण होगा।