अरे ये क्या! अब भैंसों की लड़ाई के लिए ये सरकार ला रही नया कानून; समझें पूरा मामला
असम सरकार ने राज्य में भैंसों की लड़ाई के लिए बड़ा एलान किया है. सीएम सरमा ने कहा कि इस लड़ाई के लिए जल्द ही राज्य में नया कानून लाने की तैयारी में जुटी है. जल्द ही विधानसभा में नया विधेयक पेश करेगी.उन्होंने कहा कि सरकार राज्य की विरासत को संरक्षित करने के लिए पहल करेगी.;
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने शनिवार को नया कानून लाने की बात कही है. आपको बता दें कि ये नया कानून भैंसो की लड़ाई के लिए लाया जा रहा है. जानकारी के अनुसार इस पारंपारिक लड़ाई के लिए सरकार नया कानून लाने की तैयारी कर रही है. जानकारी के अनुसार राज्य में इसके आयोजन के लिए और अनुमति देने के लिए ये कानून लाया जा रहा है. सीएम का कहना है कि ये सरकार राज्य की विरासत को संरक्षित करने के लिए पहल करेगी.
दरअसल शनिवार को एक पुल के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करने पहुंचे सीएम सरमा ने ये बड़ी बात कही और बताया कि अहतगुरी में भैंसों की लड़ाई हमारी परंपरा और विरासत है. उन्होंने कहा कि इस खेल को सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी अनुमति दे दी गई है. हालांकि दिशानिर्देशों का पालन करते ही जल्द ही इस लड़ाई और पारंपरिक खेलों को अनुमति देने वाला कानून लाने वाले हैं.
जल्द पेश किया जाएगा बिल
कार्यक्रम में CM सरमा ने कहा कि असम की सरकार जल्द ही विधानसभा में एक बिल पेश करने वाली है. उन्होंने बताया कि इस बिल में भैंसों की लड़ाई के खेल को कानूनी संरक्षण देने का प्रस्ताव पेश किया जाएगा. सीएम ने कहा कि ये कानून पास होते ही लोग भैंसों की इस पारंपारिक लड़ाई को देख भी सकेंगे और इसका लुत्फ उठा पाएंगे. आपको बता दें कि पिछले साल दिसंबर में गुवाहाटी हाईकोर्ट ने असम सरकार के 2023 की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को रद्द कर दिया था.
जानकारी के अनुसार पिछले साल ही दिसंबर में असम के अंदर भैंसों और बुलबुल पक्षियों के बीच लड़ाई के इस खेल के आयोजन को लेकर सरकार की ओर से SOP हाईकोर्ट में दी गई. जिसे रद्द कर दिया गया था. उस दौरान कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार की एसओपी कई वन्यजीव संरक्षण के कानूनों का उल्लंघन कर रही है.
कई सालों से चलती आ रही ये परंपरा
आपको बता दें कि असम में भैंसों और बुलबुल पक्षियों के बीच होने वाली ये खेल वाली लड़ाई नई नहीं है. ये काफी पुरानी है और एक परंपरा का हिस्सा है. इसे बंद कर दिया गया था. क्योंकी इससे पहुंचने वाले जानवरों को चोटों पर ध्यान केंद्रित किया गया था. आपको बता दें कि भैंसों की लड़ाई का आयोजन मोरीगांव में अहतगुरी सबसे प्रसिद्ध है.