जिंदा शख्स ने दिया ‘मृत्यु प्रमाण पत्र खोने’ का इश्तेहार! सोशल मीडिया पर मचा हंगामा, लोग बोले- स्वर्ग जाने के लिए भी कागज...

अखबार के खोया-पाया कॉलम में छपा एक अजीब नोटिस वायरल हो गया, जिसमें एक व्यक्ति ने लिखा कि उसका डेथ सर्टिफिकेट खो गया है. सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं—क्या स्वर्ग जाने के लिए भी कागज जरूरी है? मामला टाइपो है या असली लापरवाही, इस पर बहस जारी है. जानें कैसे एक नोटिस बना हंसी का विषय और दस्तावेज़ प्रबंधन से जुड़ा एक बड़ा सबक भी दे गया.;

( Image Source:  X/DoctorAjayita )
Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On :

कभी-कभी कुछ चीजें हमें हंसा-हंसा कर चौंका देते हैं. एक अखबार के खोया-पाया कॉलम में एक विज्ञापन छपा जिसमें किसी ने अपना “डेथ सर्टिफिकेट खो गया” लिखा. सोशल मीडिया पर इस पोस्ट पर गजब का रिएक्शन मिल रहा है. क्या सच में किसी ने अपनी मौत का कागज़ खो दिया, या यह केवल एक टाइपो और दफ्तर की लूटी हुई बुद्धि का नतीजा है?

यह बात जितनी हास्यास्पद लगती है, उतनी ही सोचने पर विवश भी करती है कि हमारे दस्तावेज़ी सिस्टम, उसकी प्रक्रियाएं और वो मामूली गलतियां जिनसे बड़े मसले बन जाते हैं. आइए, इस अजीबोगरीब विज्ञापन की खबर क्या है इसे जानते हैं.

अखबार में छपा अनोखा नोट

एक स्थानीय अखबार के खोया-पाया कॉलम में रंजीत कुमार चक्रवर्ती नाम के शख्स का संदेश छपा जिसमें उसने बताया कि “मेरा डेथ सर्टिफिकेट 7 सितंबर 2022 को लुमडिंग बाजार (असम) में खो गया”. पढ़ते ही लोग दंग रह गए, क्योंकि सामान्य तौर पर डेथ सर्टिफिकेट तो किसी की मृत्यु के बाद जारी होता है. यह या तो टाइपिंग की शरारत है, या किसी के पिता/रिश्तेदार का दस्तावेज़ खोने की सूचना थी जो गलत शब्दों में छप गई.

कैसे हो सकती है इतनी बड़ी चूक?

ऐसी गलतियां अक्सर इंसानी भूल, क्लर्क की अधुरी जानकारी या ऑनलाइन फॉर्म में गलत चयन के कारण होती हैं. कभी-कभी फ़ोटो-कॉपियों के टेम्पलेट पर गलत हेडिंग रहती है, या कोई पुराना फ़ॉर्म गलती से प्रयोग हो जाता है. नतीजा बनता है कॉमिक और विवादित नोटिस. छोटे-छोटे टाइपो बड़े हास्य या कानूनी उलझनों की तरफ ले जा सकते हैं.

सोशल मीडिया ने लिया तड़का

इस खबर पर नेटिज़न्स ने चुटकियों की बारात लगा दी. कोई बोला “स्वर्ग जाने के लिए भी कागज़ चाहिए क्या?”, तो कोई सुझाव दे रहा था कि कागज़ बनवाकर टिका-टिप्पणी कर दो, जल्दी स्वर्ग ट्रिप बुक हो जाएगी! मज़ाक के साथ-साथ कई यूज़र्स ने प्रशासनिक प्रक्रियाओं पर सवाल भी उठाए कि क्यों गलतियों की जांच के बिना ही नोटिस छपवाया जा सकता है.

मज़ाक में खतरा भी छिपा है

जहां हंसी चाहिए वहां गंभीरता भी जरूरी है. मृत प्रमाण-पत्र जैसे दस्तावेज़ का दुरुपयोग हो सकता है- बैंकिंग, प्रॉपर्टी ट्रांज़ैक्शन या पहचान छेड़छाड़ में. इसलिए अगर सच में किसी के परिजन का डैथ सर्टिफिकेट खो गया हो, तो उसे तुरंत पुलिस रिपोर्ट और नगरपालिका/कांउसिल से डुप्लीकेट जारी करवा लेना चाहिए. वरना बाद में जद्दोजहद बढ़ सकती है.

दस्तावेज़ खोने पर क्या करें?

  • सामान्य तौर पर खोया दस्तावेज़ मिलने पर आवश्यक कदम होते हैं
  • नजदीकी पुलिस स्टेशन में एफआईआर/लॉस्ट रिपोर्ट दर्ज कराएं
  • संबंधित कार्यालय (नगर निगम/नगरपालिका/आरटीओ आदि) को सूचित कर डुप्लीकेट के लिए आवेदन दें
  • पहचान-प्रमाण और आवेदन-शुल्क जमा करें
  • कई जगह लोकल अखबार में खोया-पाया नोटिस देना आवश्यक होता है.

सबक भी जरूरी

यह घटना हंसी का विषय है, पर साथ ही एक छोटा सबक भी देती है. दस्तावेज़ों को संभालना और फॉर्म भरते समय मानक शब्दों का ध्यान रखना ज़रूरी है. प्रशासनिक कामों में आलोचना के साथ सुधार की गुंजाइश भी होती है. एक छोटे-से टाइपो ने लोगों को हंसाया, पर कानूनी दिक्कत भी खड़ी कर सकता था. आखिरकार, दस्तावेज़ सही हों वरना स्वर्ग में प्रवेश के लिए ‘कागज़’ की अफ़वाहें और मज़ाक दोनों चलेंगे.

Similar News