समित द्रविड़ ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज में क्यों बैठे रहे बाहर?
राहुल द्रविड़ के बेटे समित ने पिता कदमों पर चलते हुए क्रिकेट को प्रोफेशन बनाया है। समित ने कूच बेहार ट्रॉफी जैसे जूनियर टूर्नामेंट में खेलकर अपनी पहचान बनाई थी।;
राहुल द्रविड़ के बेटे समित ने भी अपने पिता कदमों पर चलते हुए क्रिकेट को प्रोफेशन बनाया है। 18 साल के समित ने कूच बेहार ट्रॉफी जैसे जूनियर टूर्नामेंट में खेलकर अपनी पहचान बनाई थी। इस टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन से उन्होंने सभी को प्रभावित भी किया था। इसके बाद उन्हें कर्नाटक की घरेलू टी20 लीग महाराजा ट्रॉफी में भी जगह मिली थी। फिर ऑस्ट्रेलिया की अंडर-19 टीम के खिलाफ यूथ वनडे और फोर डे सीरीज के लिए भी उनका सिलेक्शन हुआ था। सभी को उम्मीद थी कि इस दौरान वह भारत के अंडर-19 टीम के लिए डेब्यू करेंगे और सीरीज में अपनी छाप छोड़ेंगे। 3 मैचों की वनडे सीरीज पूरी हो चुकी है और किसी में भी उन्हें खेलने को नहीं मिला। इसके पीछे वजह है उनकी इंजरी।
NCA में कर रहे हैं रिहैब
ऑस्ट्रेलिया की अंडर-19 टीम के खिलाफ 3 मैचों की वनडे सीरीज पूरी हो चुकी है मगर किसी भी मैच में समित भारत की प्लेइंग XI में नजर नहीं आए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, समित चोटिल हैं जिसकी वजह से वह एक भी मैच नहीं खेल पाए। उनकी चोट को लेकर अभी ज्यादा जानकारी हासिल नहीं हो सकी है, इसलिए उन्हें किस चीज की इंजरी हुई है, यह बता पाना मुश्किल है। हालांकि, इतना जरूर पता चला है कि समित फिलहाल नेशनल क्रिकेट एकेडमी में रिहैब कर रहे हैं। समित फोर डे सीरीज का भी हिस्सा हैं जिसकी शुरुआत 30 सितंबर से होगी। अगर वह समय से अपनी चोट से उबर जाते हैं तो उनके पास चेन्नई में भारत की अंडर-19 टीम के लिए डेब्यू करने का मौका होगा।
सिलेक्शन पर उठे थे सवाल
राहुल द्रविड़ के बेटे को जब इस सीरीज के लिए चुना गया था, तब काफी सवाल उठाए गए थे क्योंकि महाराजा ट्रॉफी में वह बल्ले से प्रदर्शन नहीं कर सके थे। सीनियर क्रिकेट में समित का यह पहला ही बड़ा टूर्नामेंट था। उन्होंने लीग स्टेज में 10 में से 7 मैच खेले लेकिन इस दौरान कोई भी अर्धशतक नहीं बना सके थे। वहीं, इन 7 मैचों में वह सिर्फ 82 रन ही बना पाए थे। इसमें भी उनका बेस्ट स्कोर सिर्फ 33 रन ही रहा था। हालांकि, इससे पहले इसी साल जनवरी में अंडर-19 घरेलू टूर्नामेंट कूच बेहार में समित ने कर्नाटक को चैंपियन बनवाने में मदद की थी। उन्होंने तब टूर्नामेंट के 8 मैचों में 362 रन बनाए थे। इसके साथ ही अपनी मीडियम पेस बॉलिंग से 16 विकेट भी हासिल किए थे। उन्होंने सेमीफाइनल और फाइनल में 2-2 विकेट हासिल कर अपनी छाप छोड़ी थी।