86 रन पर थे गावस्कर, अचानक कप्तान ने छोड़ दिया मैदान; कहानी 1983 के उस मैच की, जब शर्मसार हुआ था पाकिस्तान

1983 में बेंगलुरु टेस्ट के दौरान पाकिस्तान के कप्तान जहीर अब्बास ने अंतिम दिन अचानक मैदान छोड़ दिया, जिससे मैच 27 मिनट तक रुका रहा. उस समय सुनील गावस्कर 86 रन पर थे और शतक के करीब थे. विवाद की जड़ यह थी कि जहीर अब्बास ने दावा किया कि उनकी टीम ने दिन के 77 ओवर पूरे कर लिए हैं, जबकि नियमों के मुताबिक आखिरी दिन सभी अनिवार्य ओवर फेंकने जरूरी होते हैंय अंपायरों और मैनेजर इंतिखाब आलम की समझाइश के बाद पाक टीम वापस आई और खेल दोबारा शुरू हुआ, जिसके बाद गावस्कर ने अपना शतक पूरा किया.;

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Zaheer Abbas Walks Off in 1983, Sunil Gavaskar Century: भारत और इंग्लैंड के बीच चौथे टेस्ट के पांचवें दिन बेन स्टोक्स और रविंद्र जडेजा के बीच हैंडशेक विवाद से पहले भी क्रिकेट के मैदान पर ऐसे कई विवाद हुए हैं, जिनमें एक सबसे चर्चित घटना 1983 के बेंगलुरु टेस्ट में सामने आई थी. पाकिस्तान के कप्तान जहीर अब्बास ने अंतिम दिन अचानक अपनी टीम को मैदान से बाहर बुला लिया था, जिससे उस समय बल्लेबाजी कर रहे सुनील गावस्कर 86 रन पर नॉट आउट रह गए. मैदान पर मौजूद दर्शक और भारतीय खिलाड़ी हैरान रह गए, क्योंकि मैच के नियमों के अनुसार अभी खेल जारी रहना था.

27 मिनट तक रुका रहा खेल

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस घटना के चलते खेल करीब 27 मिनट तक रुका रहा. संदीप पाटिल ने अपनी आत्मकथा Sandy Storm में लिखा कि लगभग आधा घंटा बर्बाद हुआ. गावस्कर, उनके ओपनिंग पार्टनर अंशुमान गायकवाड़ और अंपायर्स माधव गोठोस्कर और स्वरूप किशन पूरे समय मैदान पर डटे रहे.

गावस्कर ने लिखा था, "भीड़ में गुस्सा था"

गावस्कर ने अपनी किताब Runs ’n Ruins में इस घटना को विस्तार से याद किया है. उन्होंने लिखा, “भीड़ बेचैन हो गई थी और गुस्से में चिल्ला रही थी. कर्नाटक क्रिकेट संघ के अधिकारी अंपायर्स और पाकिस्तानी टीम के मैनेजर इंतिखाब आलम से बातचीत करने पहुंचे.”

जहीर अब्बास का तर्क और नियमों की गलतफहमी

जहीर अब्बास का दावा था कि पाकिस्तान टीम ने दिन के 77 ओवर पूरे कर लिए हैं, इसलिए खेल खत्म हो गया, लेकिन अंपायर्स ने स्पष्ट किया कि अंतिम दिन 'अनिवार्य ओवर' खेलने होते हैं और प्रति घंटे 14 ओवर वाली शर्त लागू नहीं होती. TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, सुबह ही अंपायर्स ने जहीर को नियम समझा दिया था, लेकिन फिर भी उन्होंने टीम को मैदान से हटा लिया.

अगर पाकिस्तान नहीं लौटता, तो मैच भारत को मिल सकता था

रिपोर्ट में कहा गया कि जब जहीर को बताया गया कि यदि उनकी टीम नहीं लौटी, तो मैच भारत को दे दिया जाएगा, तब उन्होंने फैसला बदला. इंग्लैंड के कप्तान रे इलिंगवर्थ के साथ ऑस्ट्रेलिया में ऐसी ही स्थिति हो चुकी थी.

गावस्कर ने पूरा किया शतक, लेकिन कड़वाहट रह गई

खेल फिर से शुरू हुआ और गावस्कर ने बिना किसी परेशानी के अपना शतक पूरा किया. संदीप पाटिल ने लिखा कि ऐसे ड्रामे के बाद भी गावस्कर ने ध्यान भंग नहीं होने दिया. यह उनका 28वां टेस्ट शतक था, और वे डॉन ब्रैडमैन के 29 शतकों के रिकॉर्ड के बेहद करीब पहुंच चुके थे.

पाकिस्तान टीम के अंदर भी असंतोष

गावस्कर ने लिखा कि 'वॉकआउट' के बाद फ्लाइट में कई पाकिस्तानी खिलाड़ी अपने कप्तान की इस हरकत से नाखुश थे. वे उसे गैर-खेल भावना वाला कदम मानते थे.

मैच का नतीजा

यह टेस्ट मैच ड्रॉ रहा, लेकिन यह घटना भारत-पाक क्रिकेट इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गई.

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