IND vs PAK: 84 दिन बाद दोहराएगा इतिहास! अगर भारत जीता तो नहीं लेगा अंडर-19 एशिया कप 2025 की ट्रॉफी?
U-19 एशिया कप 2025 के फाइनल में भारत और पाकिस्तान की टक्कर सिर्फ क्रिकेट तक सीमित नहीं है. 84 दिन पहले सीनियर एशिया कप में भारत की जीत के बाद ट्रॉफी न लेने का फैसला आज भी चर्चा में है. अब वही दुबई, वही भारत-पाकिस्तान मुकाबला और वही संयोग फिर सवाल खड़ा कर रहा है—अगर टीम इंडिया जीती, तो क्या जूनियर टीम भी ट्रॉफी लेने से इनकार करेगी? यह फाइनल खेल, राजनीति और संदेश के त्रिकोण में बदल चुका है, जिस पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हैं.;
दुबई के मैदान पर एक बार फिर भारत-पाकिस्तान आमने-सामने हैं. मुकाबला अंडर-19 एशिया कप 2025 का है, लेकिन चर्चा सिर्फ क्रिकेट तक सीमित नहीं है. 84 दिन पहले सीनियर एशिया कप फाइनल में जो हुआ था, उसकी परछाईं अब जूनियर क्रिकेट तक पहुंच चुकी है. अगर भारत आज जीतता है, तो क्या वह ट्रॉफी उठाएगा या फिर एक बार फिर “इनकार” करके नया इतिहास रचेगा- यही सवाल हर फैन के मन में घूम रहा है.
यह फाइनल सिर्फ खिताब की जंग नहीं, बल्कि उस सियासी-भावनात्मक फैसले की अगली कड़ी है, जिसने सितंबर में पूरी दुनिया का ध्यान खींचा था. तब ट्रॉफी मंच पर रह गई थी, और आज फिर वही मंच, वही दुबई, वही भारत-पाकिस्तान और वही 84 दिनों का संयोग चर्चा में है.
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दुबई में हाई-वोल्टेज फाइनल
अंडर-19 एशिया कप 2025 का फाइनल दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में खेला जा रहा है. भारत और पाकिस्तान दोनों ही टीमें पूरे टूर्नामेंट में दमदार प्रदर्शन के बाद यहां पहुंची हैं. मुकाबले से पहले ही स्टेडियम के बाहर और सोशल मीडिया पर माहौल गर्म है.
टॉस से शुरू हुई रणनीति की जंग
भारतीय कप्तान ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी चुनी. संकेत साफ थे- दबाव पाकिस्तान पर डालना और लक्ष्य का पीछा करना. पाकिस्तान ने भी मजबूत बल्लेबाजी क्रम के साथ उतरकर यह दिखा दिया कि वह भारत को आसान रास्ता नहीं देने वाला.
84 दिन पहले क्या हुआ था?
सितंबर 2025 में सीनियर एशिया कप फाइनल में भारत ने पाकिस्तान को हराया, लेकिन कप्तान सूर्यकुमार यादव ने ट्रॉफी लेने से इनकार कर दिया था. वजह थी एशियन क्रिकेट काउंसिल के अध्यक्ष मोहसिन नकवी, जो पाकिस्तान सरकार में मंत्री भी हैं. उस फैसले ने खेल और राजनीति की बहस को नई ऊंचाई दे दी थी.
वही चेहरा, वही मंच
अब अंडर-19 एशिया कप में भी ट्रॉफी देने वाले मंच पर वही नाम चर्चा में है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अगर भारत जीतता है, तो क्या जूनियर टीम भी सीनियर टीम की तरह ट्रॉफी लेने से मना कर देगी?
ग्रुप स्टेज में मिल चुके संकेत
इस टूर्नामेंट के ग्रुप मैच में भारत-पाकिस्तान मुकाबले के बाद भारतीय खिलाड़ियों ने पाकिस्तानी टीम से हाथ नहीं मिलाया था. यह संकेत काफी था कि जूनियर टीम भी सीनियर्स के रुख से पूरी तरह अलग नहीं है.
ICC और ACC की चिंता
आईसीसी और एशियन क्रिकेट काउंसिल दोनों ही चाहती हैं कि जूनियर क्रिकेट राजनीति से दूर रहे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों बोर्ड्स ने दोनों टीमों को खेल भावना बनाए रखने के निर्देश दिए हैं, लेकिन हालात बताते हैं कि मामला सिर्फ क्रिकेट तक सीमित नहीं रहा.
खिलाड़ियों के लिए ट्रॉफी से ज्यादा “संदेश”
टीम इंडिया के लिए यह फाइनल सिर्फ जीत का नहीं, बल्कि एक संदेश देने का मौका माना जा रहा है. अगर ट्रॉफी नहीं ली जाती, तो यह फैसला खेल से ज्यादा देश के रुख को दर्शाएगा. अगर भारत जीतकर भी ट्रॉफी नहीं लेता, तो यह पाकिस्तान और उसकी क्रिकेट व्यवस्था के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ा झटका होगा. यही वजह है कि इस फाइनल पर दुनिया की नजरें टिकी हैं.
जीत के बाद क्या होगा?
कुछ फैंस चाहते हैं कि क्रिकेट को क्रिकेट ही रहने दिया जाए, जबकि कई लोग मानते हैं कि यह फैसला भारत के आत्मसम्मान से जुड़ा है. सोशल मीडिया पर बहस अपने चरम पर है. अब सबकी निगाहें मैच के आखिरी ओवर और उसके बाद होने वाले सीन पर हैं. अगर भारत जीतता है, तो असली मुकाबला तब शुरू होगा—जब खिलाड़ी ट्रॉफी मंच की ओर बढ़ेंगे. क्या वे ट्रॉफी उठाएंगे या 84 दिन बाद इतिहास को दोहराते हुए एक और बड़ा संदेश देंगे? इसका जवाब कुछ ही घंटों में दुनिया के सामने होगा.